बॉलीवुड की सड़ांध के वर्षों बाद RRR का नया ट्रेलर एक सकारात्मक बदलाव का सूचक है

कोयले में दुर्लभ 'हीरा' के समान है RRR

RRR रौद्रम रणम रुधिरम poster

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“भीम, इन टुच्चे राक्षसों को छोड़, महासुर का संहार करना है आज!”

जिस उद्योग में देश की संस्कृति पर कीचड़ उछालना फैशन हो, जिस देश में अपने इतिहास का उपहास उड़ाना शर्म का नहीं, गर्व का विषय हो, वहां पर चाहे कमर्शियल रूप में ही सही, पर कोई भारत का गौरवशाली इतिहास चित्रित करे, तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी? रौद्रम रणम रुधिरम यानी RRR का वर्तमान ट्रेलर एक उज्जवल भविष्य का सूचक है और इस फिल्म का वास्तविक चित्रण ऐसी फिल्मों को बढ़ावा दे सकता है।

‘बाहुबली’ की अपार सफलता के 4 वर्ष बाद और कोरोना महामारी के लगभग 2 वर्ष बाद प्रसिद्ध निर्देशक एस एस राजमौली की बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ आखिरकार 7 जनवरी को तेलुगु, तमिल, हिंदी सहित अनेक भाषाओं में देशभर में प्रदर्शित होने को तैयार है। ये भारत के दो वीर क्रांतिकारियों, अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम के शौर्य को चित्रित करती एक काल्पनिक कथा है, जिसमें राम चरण तेजा और एन टी रामा राव (Junior NTR) प्रमुख भूमिकाओं में हैं, और इनका साथ देंगे अजय देवगन तथा आलिया भट्ट जैसे अन्य महत्वपूर्ण किरदार।

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इन क्रांतिकारियों के शौर्य को नमन करती है RRR (रौद्रम रणम रुधिरम)

फिल्म के केंद्र में अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम की कथाएं हैं, जिसे एक काल्पनिक टच दिया गया है। अल्लूरी सीताराम राजू ने पूर्वी गोदावरी और विशाखापट्टनम क्षेत्र में रम्पा क्रान्ति का नेतृत्व किया, तो गोंड समुदाय का नेतृत्व करते हुए कोमाराम भीम ने आदिवासियों को ब्रिटिश साम्राज्य और निज़ाम शाही के विरुद्ध एकजुट किया। 7 मई 1924 को अंग्रेज़ों के फायरिंग स्क्वाड के हाथों अल्लूरी सीताराम राजू वीरगति को प्राप्त हुए, जबकि अक्टूबर 1940 में कोमाराम भीम ने ब्रिटिश साम्राज्य और निज़ाम शाही की संयुक्त सेना से लड़ते-लड़ते अपने प्राणों की आहुति दे दी। रौद्रम रणम रुधिरम यानी RRR इन्हीं दोनों क्रांतिकारियों के शौर्य को नमन करती एक सच्ची श्रद्धांजलि प्रतीत होती है।

वो कैसे? वर्षों बाद एक ऐसी फिल्म सामने आई है, जो भारतीय संस्कृति को गौरवान्वित करती है और भारतीय इतिहास के वास्तविक नायकों को चित्रित करती है। ठीक वैसे ही, जैसे अजय देवगन के ‘तान्हाजी – द अनसंग वॉरियर’ ने मराठा योद्धा सूबेदार तानाजी मालुसारे के साथ किया था, और इसे संयोग कहिये या इनके विचारधारा की कृपा, इस फिल्म में अजय देवगन भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ऐसे में जो प्रयास ‘भुज’ में अधूरा रह गया, उसे वो रौद्रम रणम रुधिरम यानी ‘RRR’ में पूरा कर सकते हैं।

कोयले में हीरे के समान है ‘RRR’

रौद्रम रणम रुधिरम फिल्म से एक विशेष वर्ग का अंग-अंग अवश्य फड़कने वाला है और वह है हमारी लेफ्ट लिबरल मण्डली! जिनके लिए सनातन समर्थक छोड़िए, भारत समर्थक कंटेंट ही किसी महापाप से कम नहीं। ट्रेलर में जब धनुष-बाण हाथ में धारण किये हीरो ब्रिटिश दुश्मनों का नाश करें, सहयोगी मंदिरों के समक्ष शपथ लें, भगवा ध्वजों का बेजोड़ उपयोग हो और इस वर्ग को पीड़ा न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता।

वास्तव में RRR भारतीय फिल्मों के कोयला खदान में उस दुर्लभ हीरे के समान है, जिसे ढूंढने के लिए अथक परिश्रम की आवश्यकता होती है। ऐसे ही एक हीरे को लेकर एस एस राजमौली चार वर्ष पूर्व भी आये थे, और तब बाहुबली ने तहलका मचा दिया था। यदि ये फिल्म वास्तव में वैसी है, जैसी ट्रेलर में प्रतीत होती है, तो ये वास्तविक इतिहास और हमारे देश के सच्चे शूरवीरों को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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