‘शाहरुख पठान’ जिसे रवीश ने बताया था ‘अनुराग मिश्रा’, उसे कोर्ट ने दिखाये दिन में तारे

पुलिस पर बंदूक तानी थी, अब स्वाद चख....

अनुराग मिश्रा

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दिल्ली दंगों के घाव अभी भी भरे नहीं हैं! अंकित शर्मा की वो 400 से अधिक बार गोदा गया शरीर और नाले से निकला उनके हाथ की तस्वीर भी हिंदुओं के जेहन में ताज़ा है। कई आरोपी गुमनामी में बच निकले, तो कई नामजद भी हुए। दिल्ली दंगों के दौरान पुलिस पर पिस्तौल तानने वाला शाहरुख पठान का आरोप तय हो चुका है। अपने पिता के लिए शाहरुख और NDTV के राजा रवीश कुमार के लिए ‘अनुराग मिश्रा’ पर दिल्ली की एक कोर्ट ने आरोप तय कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की एक अदालत ने शाहरुख पठान के खिलाफ दंगा और हत्या के प्रयास के आरोप तय कर दिये हैं, जिन्होंने कथित तौर पर 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान एक पुलिस अधिकारी पर बंदूक तान दी थी। कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज करने की मांग को निरस्त करते हुए उसके ऊपर काई धाराओं में आरोप तय किया है।

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कई धाराओं के तहत कोर्ट ने तय किए आरोप

पिछले साल सांप्रदायिक दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल दीपक दहिया पर बंदूक तानते शाहरुख पठान की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार उसे 3 मार्च, 2020 को गिरफ्तार किया गया था, और मौजूदा समय में वो तिहाड़ जेल में बंद है। आरोप तय करते समय, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा, यह बिल्कुल स्पष्ट था कि शाहरुख पठान दंगाइयों के एक समूह का नेतृत्व कर रहा था और उसने हेड कांस्टेबल दीपक दहिया की जान लेने का प्रयास किया और साथ ही 24 फरवरी, 2020 को एक लोक सेवक पर आपराधिक बल का इस्तेमाल करते हुए उसके काम में बाधा डाला।

न्यायाधीश ने पठान पर आईपीसी की धारा-147 (दंगा करने की सजा), धारा-148 (घातक हथियार से लैस दंगा), धारा-186 (कर्तव्य के निर्वहन में लोक सेवक को बाधित करना) और धारा-188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) के तहत आरोप तय किया है। आईपीसी की धारा-353 (हमला), धारा-307 (हत्या का प्रयास) के साथ धारा-149 (एक सामान्य अपराध के लिए गैर-कानूनी सभा के सदस्य) और शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी आरोप तय किए गए हैं।

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यह आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने पारित किया, जिन्होंने पठान, शमीम, अब्दुल शहजाद, इश्तियाक मलिक और कलीम अहमद के खिलाफ आरोप तय किए। इसके अलावा शाहरुख पठान की मदद करने वाले अहमद को दोषी करार देते हुए आईपीसी की धारा-216 के तहत आरोप लगाया गया, जो एक ऐसे अपराधी को शरण देने से संबंधित है।

दरअसल, पुलिस ने दावा किया कि पठान ने फरार होने के बाद दोषी कलीम अहमद के शामली स्थित घर में शरण ली थी, जिसकी उनके मोबाइल फोन लोकेशन से पुष्टि होती है। पुलिस के अनुसार, पठान 26-27 फरवरी से 3 मार्च की रात तक अहमद के घर पर रहा। अहमद ने दंगा आरोपी को नया मोबाइल फोन खरीदने में भी मदद की थी।

रवीश कुमार ने ‘शाहरुख पठान’ को बताया था ‘अनुराग मिश्रा’

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका को लेकर कहा था कि “शाहरुख पठान के वीडियो क्लिप ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया था।” 23 फरवरी 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में हिंसा हुई थी। इस हिंसा में एक शाहरूख नामक एक मुस्लिम युवक सड़कों पर तमंचा लहरा रहा था, जिसका वीडियो भी जमकर वायरल हुआ। हालांकि, लिबरल ब्रिगेड ने इस वीडियो में शाहरूख नाम के शख्स को ‘अनुराग मिश्रा’ बताया था। NDTV के रवीश कुमार ने भी अपने 24 फरवरी के प्राइम टाइम शो के दौरान कहा कि, “ये लड़का कौन है, इसका असली नाम क्या है? कोई कह रहा है कि यह शाहरूख है, तो कोई कह रहा है कि यह अनुराग मिश्रा है। पुलिस दोबारा बताए कि यह शख्स कौन है?”

कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों ने भी फर्जी खबरें फैलाना शुरू कर दिया था कि हिंसा में कोई मुस्लिम युवक नहीं था, बल्कि वो एक हिंदू युवक था, जो हिंदू आतंकवाद फैला रहा था। इस कारण से एक अन्य युवक अनुराग मिश्रा को धमकियां मिलने लगी थी, जिसका चेहरा शाहरुख पठान से मिलता है। रवीश कुमार खुद को बड़ा तटस्थ पत्रकार दिखाने में कभी नहीं चूकते हैं। इसके लिए वो भक्त, ह्वाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के छात्र जैसे काल्पनिक शब्दों का सहारा लेते हैं, लेकिन खुद न जाने किस इस्लामिक यूनिवर्सिटी से खबर लेकर आए थे कि तमंचा तानने वाला कोई शाहरूख नहीं, बल्कि वह अनुराग मिश्रा था!

अगर इनका बस चलता तो वास्तव में अनुराग मिश्रा को ही मुख्य दोषी बता देते और कहते कि शाहरुख तो मासूम है, वो नमाज पढ़ने गया था, हिंसा के वक्त तो अनुराग मिश्रा था। अब जब कोर्ट ने शाहरुख की मदद करने वाले को दोषी करार दिया है और शाहरुख पठान के ऊपर भी आरोप तय कर दिए हैं, तो इससे यह स्पष्ट हो गया है कि किस तरह दिल्ली दंगों के दौरान एक वर्ग ने दंगाइयों के बचाव के हरसंभव प्रयास किए थे।

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