शांति पाठ का महत्त्व
सनातन धर्म में मंत्रों का काफी अधिक महत्व है. हिंदु घरों में शुरुआत ही मंत्रोच्चारण से होती है. ज्यादातर हिंदू संप्रदाय के लोग अपने किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्य, संस्कार, यज्ञ आदि के आरंभ और अंत में इस शांति पाठ (Shanti Path) के मंत्रों का मंत्रोच्चारण ज़रूर करते हैं.हिंदू धर्म में घर का मुहूर्त हो या घर बनाने की प्रक्रिया पूजा-पाठ, यज्ञ आदि मंत्रों का जाप के बिना संपन्न नहीं होता है. इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में ऐसे कई मंत्र बताए गए हैं, जिनका जाप करने से बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं. साथ ही घर-परिवार में पैदा होने वाली समस्याओं का अंत होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है.
कहा जाता है कि वेदों के आधार पर दूनिया के अन्य धर्मों की उत्पत्ति हुई है. इन वेदों में मानव जीवन की हर मुश्किल का समाधान हैं. यह मंत्र बहुत शक्तिशाली और कल्याणकारी माने जाते हैं. मान्यताओं के अनुसार, महाबली रावण ने भी कठोर तपस्या करके एंव मंत्रोच्चार करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था.तथा ऐसे अन्य उदाहरण हमें पुराणो में देखने को मिल जाएंगे जिसमें मंत्रोच्चारण करके भगवान को प्रसन्न कर उनसे वरदान प्राप्त किए हैं.
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इन मंत्रों का जाप करने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं तथा उनके जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं. घर की सुख-समृद्धि से लेकर जीवन में शांति तक के लिए सनातन धर्म में कई मंत्रों का उच्चारण किया जाता है.
यजुर्वेद के एक शांति पाठ मंत्र (Shanti Path) के द्वारा ईश्वर से शांति बनाए रखने की प्रार्थना की जाती है. प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके पारिवारिक जीवन सुख-शांति रहे.जिसके लिए वह आमतौर पर धार्मिक पूजाओं, अनुष्ठानों और प्रवचनों का पाठ इत्यादि कराता है.
शांति मंत्र शांति के लिए की जाने वाली हिंदू प्रार्थना है, अगर आप अपने जीवन में तथा परिवार में शांति का वास करना चाहते हैं तो आपको शांति मंत्र का उच्चारण अवश्य करना चाहिए. शांति मंत्र एक तरह का प्रार्थना है जो पूजा, यज्ञ या तप से पहले या बाद में उच्चारित किया जाता है.
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शांति पाठ मंत्र – Shanti Path Mantra
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षंशान्ति, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्मशान्ति,सर्वँशान्ति:, शान्तिरेवशान्ति, सा माशान्तिरेधि॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
Shanti Path Mantra Meaning –
अर्थ की बात करे तो इसमें कुल मिलाकर जगत के समस्त जीवों, वनस्पतियों और प्रकृति की शांति की प्रार्थना की गई है. इसका शाब्दिक अर्थ लें तो उसके अनुसार इसमें यह कहा गया है कि हे परमात्मा! स्वरूप शांति कीजिए, वायु में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हों, जल में शांति हो, औषध में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, विश्व में शांति हो, सभी देवतागणों में शांति हो, ब्रह्म में शांति हो, सब में शांति हो, चारों और शांति हो, हे परमपिता परमेश्वर शांति हो, शांति हो, शांति हो.
शांति पाठ (Shanti Path) मंत्र का उच्चारण करने से शरीर में उर्जा उत्पन्न होती है तथा शरीर के अंग सुव्यवस्थित तरीके से काम करते हैं. शांति मंत्र का उच्चारण करने से मस्तिष्क भी हल्का और शांत रहता है. शांति मंत्र का निरंतर जाप करने से त्रिविध ताप की प्राप्ति होती है. जिसमें अध्यात्मिक, अधिभौति और आधिदैविक शक्तियां मजबूत हैं.
शक्ति मंत्र का उच्चारण करने से शारीरिक व मानसिक स्थिति मजबूत रहती है तथा आंतरिक ऊर्जा का विकास होता है. वहीं जानकारों के मुताबिक कहा जाता है कि शांति पाठ (Shanti Path) मंत्र का उच्चारण सुबह करना चाहिए जिससे पूरा दिन शांतिपूर्ण तरीके से बीते वहीं मन में शांति बनी रहे.