पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब सरकार ने सभी जिला कलेक्टर को उन सभी व्यक्तियों की सूची तैयार करने का निर्देश जारी किया है, जिनके पास 17.5 मानक एकड़ (सिंचाई के लिए कुओं पर निर्भर भूमि) से लेकर 52 मानक एकड़ से अधिक जमीन है। यह निर्देश भूमि सीमा अधिनियम, 1972 के तहत बंजर भूमि के निर्धारण पर आधारित है। जट्ट सिख और दलितों के बीच पहले से ही आवेशित माहौल में इन आदेशों का राजनीतिक असर होना तय है।
आज आदेश जारी होने के तुरंत बाद जट्ट सिखों में चिंता का माहौल था और इस मामले से मंत्रियों और समुदाय के कांग्रेस पदाधिकारियों को अवगत कराया गया। राजस्व, पुनर्वास एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने सीमा से अधिक जमीन रखने वाले सभी लोगों की रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि यह सूची तत्काल विभाग को भेजी जाए।
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23 नवंबर को सीएम और खेत मजदूर यूनियन के बीच एक बैठक के बाद यह फैसला आया है, जिसमें ऊंची जाति (जट्ट सिख) के जमींदारों के साथ अतिरिक्त जमीन हासिल करने की मांग उठाई गई थी। अब इस मुद्दे को लेकर पंजाब की कांग्रेस सरकार और राज्य की सबसे बड़ी आबादी जट्ट सिख के बीच अब बवाल तय है। कृषि कानून में पहले कांग्रेस ने जट्ट सिख का सहारा लेकर उन्हें छला फिर कांग्रेस की नज़र अब उनकी ज़मीन पर भी आ गयी है जिसका खुला विरोध सिखों के इस वर्ग के तरफ से आना शुरू हो गया है।
आपको बता दें कि राज्य की आबादी में दलितों की संख्या 33 फीसदी है, लेकिन उनके पास सिर्फ दो फीसदी जमीन है। राजस्व अधिकारियों का कहना है कि समस्या यह है कि सूची बनाना संभव नहीं है क्योंकि सभी परिवारों ने भूमि सीलिंग अधिनियम से बचने के लिए वर्षों पहले जमीन को आपस में बांट लिया है, और खुद को अलग संस्था घोषित कर दिया है।
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मालवा गांवों में, ऐसे मामले हैं जहां बड़ी जोत वाले परिवारों के सदस्यों ने अधिनियम से बचने के लिए कानूनी अलगाव दिखाया है। साथ ही, कई परिवारों को खेतिहर मजदूरों के नाम पर स्वामित्व दिखाने वाली “बेनामी” जमीन मिली है। गौरतलब है कि पंजाब में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं। राजनीतिक रूप से आवेशित पंजाब के बीच इस तरह के आदेशों का जल्द से जल्द असर होगा।
जट्ट सिख, जो पंजाब में सबसे बड़े जमींदार हैं, पहले ही कांग्रेस के मंत्रियों और पदाधिकारियों को अपनी चिंताओं से अवगत करा चुके हैं जो जट्ट सिख समुदाय से संबंधित हैं। ज़मीन के मुद्दे को लेकर नाराज़ जट्ट सिख अब कैप्टन अमरिंदर के खेमे में जा सकते हैं। अब देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस अपने सबसे बड़े जट्ट सिख नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को खोने के बाद से कांग्रेस कितने बड़े अंतर से हारती है।