भक्त रोते रहे, तमिलनाडु सरकार शिव मंदिर पर बुलडोज़र चलाती रही

हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ कर रही है स्टालिन सरकार!

तमिलनाडु मंदिर

पिछले कुछ दिनों से तमिलनाडु में हिंदू समुदाय के विरूद्ध कई घटनाएं सामने आ रही हैं। हाल ही में, तमिलनाडु में स्टालिन सरकार पर हिंदू मंदिरों को तोड़ने का आरोप लगाया जा रहा है। तमिलनाडु में इसी साल कई मंदिरों को तोड़ा गया, जिसके बाद हिन्दू संगठनों ने तमिलनाडु सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। तमिलनाडु के श्रीपेरुमबुदुर में फिर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के आरोप में एक और हिंदू मंदिर को गिरा दिया गया है। सरकारी अधिकारियों पर मूर्तियों को हटाने के लिए समय नहीं देने का आरोप लगाते हुए, भक्तों ने मंदिर को बहाल करने और अदालत के सामने इस मुद्दे को उठाने की कसम खाई है।

तमिलनाडु में हिंदू मंदिर को तोड़ा गया

दरअसल, कुछ दिनों पहले इस आरोप के आधार पर मंदिर को गिरा दिया गया था कि मंदिर ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। राजस्व विभाग के आरोप व आकलन के आधार पर श्रद्धालुओं की आपत्ति व नोटिस जारी नहीं करने के बावजूद 26 नवंबर को मंदिर को गिरा दिया गया था। इस मामले को लेकर आरोप है कि जब भक्त समझौता करने के लिए जिला कलेक्टर से मिलने गए थे, तब तक राजस्व विभाग के अधिकारियों ने मंदिर को तोड़ दिया। यह भी आरोप है कि भक्तों को आश्वासन देने के बावजूद कि वे गर्भ गृह को नहीं तोड़ेंगे पर अधिकारियों ने इसे भी ध्वस्त कर दिया।

ऐसा कहा जाता है कि गर्भ गृह 15 प्रतिशत भूमि पर बनाया गया था, जिसे कानूनी रूप से अधिग्रहित किया गया था। ट्रस्टियों और भक्तों का आरोप है कि उन्होंने इस तथ्य की उपेक्षा करते हुए आश्वासन दिया कि वे केवल परिसर की दीवार और अन्नदान हॉल को ध्वस्त कर देंगे फिर अधिकारियों ने मिशनरी बलों के साथ मिलकर पूरे मंदिर को ध्वस्त कर दिया।

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हिन्दुओं की आस्था पर चोट

भाजपा की कानूनी शाखा के सचिव अश्वथमन ने इस घटना की निंदा की और सवाल करते हुए कहा कि “जब सरकार सरकारी कार्यालयों / क्वार्टरों के निर्माण के लिए मंदिर की जमीन पर कब्जा कर रही है, तो वह सरकारी जमीन पर बने मंदिरों को क्यों तोड़ रही है?” वहीं, तमिलनाडू भाजपा के तरफ से एक वक्तव्य मे कहा गया है कि “जब मंदिर के पैसे का इस्तेमाल कॉलेज और स्कूल खोलने के लिए किया जाता है, जहां गैर-हिंदू भी कार्यरत और शिक्षित हैं, तो क्या सरकार द्वारा हिन्दू मंदिरों को बचाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए?”

आगे उन्होंने कहा कि “अदालत की आपत्ति के बावजूद जब कलेक्टर कार्यालय और पुलिस क्वार्टर (कल्लाकुरिची वीरचोझापुरम मंदिर) मंदिर की जमीन पर बने हैं, तो सरकारी जमीन पर मंदिर क्यों नहीं बन सकते?” राजनीतिक दल DMK आधिकारिक तौर पर एक नास्तिक पार्टी रही है लेकिन हर कोई भगवान में विश्वास करता है और वे मंदिरों में जाते हैं।

DMK जिस तरह से हिंदुओं की आस्था पर हमला करती है, उससे उनकी संकीर्ण मानसिकता झलकती है। आपको ज्ञात हो कि तमिलनाडु द्रविड़ आंदोलन भारत के सबसे बड़े नास्तिक आंदोलन में से एक है। सोचने वाली बात यह है कि तमिलनाडु जैसे बड़े राज्य जिसकी आबादी के 88% तमिल हिंदू भगवान में विश्वास करते हैं, वहां हिन्दुओं और हिन्दुओं की आस्था को चोट पहुंचाया जाता है, जो दुर्भाग्य पूर्ण भी है और निंदनीय भी है।

 

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