वड़ोदरा स्थित मदर टेरेसा के संगठन पर युवतियों के जबरन धर्म परिवर्तन का मामला हुआ दर्ज

लातों के भूत बातों से नहीं मानते!

मकरपुरा

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 हमें धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है। धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक स्वतन्त्रता प्रस्तावना से लेकर संविधान के मूलभूत ढांचे में निहित एक सिद्धान्त है परंतु आपके अधिकार निरंकुश ना हों जाएं इसके लिए इन्हें कर्तव्यों के सीमाओं से बांधा गया है। वहीं, कुछ कुकृत्यों को जन्म देने वाले लोग इन सीमाओं को भूलकर अपने विकृत और कुत्सित उद्देश्यों के कारण निरंकुश हो जाते हैं। ऐसी ही निरंकुशता वर्तमान परिपेक्ष्य में देखी जा सकती है, जहां गुजरात के वड़ोदरा में मकरपुरा स्थित एक संगठन धर्मांतरण को अंजाम दे रहा है और युवा लड़कियों को इसाई धर्म अपनाने के लिए जबरन मजबूर कर रहा है।

मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संगठन पर धर्मांतरण का आरोप

हाल ही में, धर्मान्तरण को लेकर गुजरात के वड़ोदरा में मकरपुरा पुलिस ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संगठन मिशनरीज ऑफ चैरिटी के खिलाफ कथित तौर पर हिंदू धार्मिक भावनाओं को आहत करने और युवा लड़कियों को ईसाई धर्म में बदलने के लिए लालच देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। बता दें कि यह संस्था वड़ोदरा शहर के मकरपुरा में एक शेल्टर होम चलाती है। जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी मयंक त्रिवेदी की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया है।

हालात यह हो गए हैं कि विभिन्न संस्थाएं अपने स्वतन्त्रता का प्रयोग धर्मांतरण के लिए करने लगी हैं। वो ये भूल गईं है कि धर्मांतरण न सिर्फ संवैधानिक रूप से वर्जनीय है बल्कि एक प्रकार का अपराध भी है। एक ऐसा अपराध जिससे आप दूसरे की धार्मिक स्वतन्त्रता को अवरुद्ध कर देते हैं। संबंधित संगठन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295A (किसी भी वर्ग की धार्मिक मान्यताओं का अपमान करके उसकी भावनाओं को आहत करने के लिए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), धारा 298 (जानबूझकर किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए शब्द कहना) और गैर-धर्मांतरण अधिनियम के धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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युवा लड़कियों का हो रहा था जबरन धर्म-परिवर्तन

इसके साथ ही संगठन पर गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 के (जबरन धर्मांतरण का निषेध) तहत जबरन धर्मांतरण के लिए तीन साल तक की सजा का प्रावधान और 50,000  रूपए तक का न्यायिक हर्जाना लगया गया है। आपको बता दें कि इस मामले में एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि “संगठन ने एक हिंदू लड़की को ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार एक ईसाई व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर किया है। इसके साथ हीं संगठन के खिलाफ एक और आरोप लगाया गया कि उन्होंने कुछ लड़कियों को मांसाहारी भोजन परोसा।”

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के हवाले से स्थानीय सहायक पुलिस आयुक्त एस.बी. कुमावत ने बताया कि जिला कलेक्टर ने संगठन के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि, “जिला कलेक्टर ने बाल कल्याण समिति की शिकायत के बाद एक कमेटी बनाई थी और इसको लेकर कई विभागों के सदस्यों की एक टीम ने आरोप की जांच करते हुए शिकायत दर्ज की है और पुलिस आरोपों की जांच करेगी और यह देखने के लिए सबूत जुटाएगी कि आरोप  सही हैं या नहीं।”

धर्मांतरण पर सख्त कानून के पक्ष में राज्य सरकारें 

एक रिपोर्ट के अनुसार सामाजिक सुरक्षा अधिकारी मयंक त्रिवेदी और जिले की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने 9 दिसंबर को मकरपुरा क्षेत्र में लड़कियों के आश्रय गृह का दौरा किया था। प्राथमिकी के अनुसार, त्रिवेदी ने पाया कि घर में रहने वाली लड़कियों को मजबूर किया गया था कि वो लड़कियां ईसाई धार्मिक ग्रंथों को पढ़ें। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें ईसाई धर्म में लुभाने के इरादे से ईसाई प्रार्थनाओं में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया था। वहीं, पुलिस द्वारा दर्ज FIR के अनुसार, “10 फरवरी 2021 से 9 दिसंबर 2021 के बीच संस्था जानबूझकर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की गतिविधियों में शामिल रही है और लड़कियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोररूम की मेज पर बाइबिल रखकर उन्हें बाइबिल पढ़ने के लिए मजबूर करने के साथ उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का प्रयास किया।”

ऐसे में, धर्मान्तरण के आरोप पर आरोपी संगठन ने इस बात से इनकार किया है कि उसने किसी को भी ईसाई प्रथाओं का पालन करने के लिए मजबूर किया। वहीं, अब बढ़ते धर्मान्तरण के मुद्दे से देश की राज्य सरकारें सचेत हो गई हैं और अपने- अपने राज्यों में धर्मान्तरण पर पूरी सख्ती से कानून लाने और उसे लागु करने में जुट गई हैं।

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