मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने मध्यप्रदेश में कार्यरत संस्थागत माफिया जगत को समाप्त करने के लिए नया गैंगस्टर कानून तैयार किया है। ऑर्गेनाइज्ड माफिया के विरुद्ध कार्रवाई हेतु मध्य प्रदेश सरकार MP Gangsters and Anti-social activities Prevention Bill ला रही है। इस बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिलने वाली है और इस शीतकालीन सत्र में यह विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में बताया कि ‛गैंगस्टर्स बिल को जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी मिल जाएगी और इसे इसी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा और यह मध्य प्रदेश के माफियाओं का सफाया करेगा।’
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यूपी की राह पर चला मध्य प्रदेश
स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की जोड़ी, योगी आदित्यनाथ सरकार के मॉडल पर काम कर रही है। मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा राज्य है, जो इस प्रकार का गैंगस्टर कानून पारित कर रहा है। जिस प्रकार योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में संगठित रूप से कार्य करने वाले बड़े माफियाओं को नियंत्रित किया है, उसी तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी कार्रवाई शुरू होने वाली है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि ‛यह विधेयक खनन माफिया, भूमाफिया, अवैध शराब बेचने वाले, नकली दवा विक्रेता, मानव तस्करी करने वाले गिरोह, नशा तस्कर, खाद्य उत्पादों में मिलावट, अवैध हथियार बनाने वाले समेत अन्य संगठित अपराधियों पर लागू होगा। पुलिस उन सभी संगठित अपराधों में गैंगस्टर कानून लागू करेगी जिनमें दो से अधिक आरोपी हैं।’
उन्होंने बताया कि ‛विधेयक जिला कलेक्टरों को आरोपियों की संपत्ति के मामले की जांच करने का अधिकार देगा और यदि यह आय से अधिक पाया जाता है, तो उन्हें इसे जब्त करने का अधिकार होगा। आरोपी को अपनी कमाई को कानूनी तरीके से साबित करना होगा।’
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पुलिस को मिलेगा स्पेशल पावर
गौरतलब है कि जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में अपराधियों की संपत्ति जब्त करने अवैध मकानों पर बुलडोजर चलाने आदि का अधिकार प्रशासन को प्राप्त है, वैसा ही अधिकार अब मध्यप्रदेश में भी प्रशासन को प्राप्त होगा। गैंगस्टर कानून के तहत पुलिस को 2 माह की न्यायिक हिरासत का अधिकार प्राप्त होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके पूर्व यह अधिकार केवल Prevention of Terrorism Act ‛पोटा’ के तहत पुलिस अधिकारियों को प्राप्त था। ऐसा देखा गया है कि अक्सर यह कानून बहुत बड़ी वारदात के बाद ही लागू हो पाता है, जबकि छोटी-छोटी वारदातों की श्रृंखला अपराध को एक संगठनात्मक ढांचा प्रदान करती है। ऐसे में इस ढांचे को तोड़ने के लिए पुलिस को नए गैंगस्टर कानून की आवश्यकता थी।
मौजूदा समय में पुलिस के पास केवल 15 दिन की न्यायिक हिरासत की शक्ति है। पेशेवर अपराधियों से इतने कम समय में उनके अपराध कबूल करवाना बहुत कठिन होता है। हालांकि, मध्य प्रदेश में गैंगस्टर कानून लागू होने के बाद पुलिस को 2 माह की न्यायिक हिरासत का अधिकार मिलेगा। पूर्व IPS अधिकारी शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया ‛यह एक बहुत ही आवश्यक प्रावधान है, क्योंकि पुलिस के लिए कट्टर अपराधियों से पूछताछ करना बहुत कठिन है। कानून के मुताबिक अभी अधिकतम 15 दिन के रिमांड का प्रावधान है, लेकिन वह पूछताछ पूरी करने के लिए काफी नहीं है।’ बताते चलें कि मध्य प्रदेश अपने अपराधियों के कारण बीमारू राज्य के रूप में बदनाम था, लेकिन चौहान और मिश्रा की जोड़ी इस प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के लिए सराहनीय कार्य कर रही है।
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