तमिलनाडु के कुन्नूर में CDS बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 12 अन्य लोगों को ले जा रहे हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद बुधवार (8 दिसंबर) को भारत ने अपना शेर दिल और पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ खो दिया। यह दुर्घटना रूसी निर्मित Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर के सुलूर, कोयंबटूर में वायु सेना बेस से नीलगिरी हिल्स में वेलिंगटन के लिए उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद हुई।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत की दुर्घटना की खबर न्यूज स्टैंड में आने के बाद, ‘सामान्य संदिग्ध’ आबादी का एक बड़ा हिस्सा खुशी से झूम उठा। किसी ने खुशी मनाई, किसी ने उनके निधन की कामना की, तो किसी ने अपना हिसाब चुकता करने का बात किया। यह एक दुखद स्थिति है कि समाज इस हद तक हाइपर पोलराइज़्ड है कि एक व्यक्ति जिसने अपना पूरा जीवन देश की सुरक्षा में बाहरी दुश्मनों से लड़ने की कोशिश में बिताया, उनके मौत पर इस तरह का बयान बेहद निराशाजनक है।
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सोशल मीडिया पर देशद्रोहियों ने जताई खुशी
भारत के इस जांबाज की मृत्यु पर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिली। इस दुर्घटना को लेकर वामपंथी और कट्टरपंथियों की प्रतिक्रियाओं ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि ये मानसिक दिवालियापन के शिकार हो चुके हैं और इनका कुछ नहीं हो सकता।
उस्मानिया विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले हैदराबाद के एक मुस्तफा रियाज ने ट्वीट किया, “मर गया म ******* डी, अब मोदी की बारी इंशाल्लाह!” हालांकि, हैदराबाद साइबर पुलिस की नजर जब इस विवादित ट्वीट पर पड़ी तो रियाज़ ने खुद को बचाने के लिए प्राउड इंडियन, आरएसएस और ओम शांति को अपने ट्विटर बायो में जोड़ते हुए खुद का नाम बदलकर अंशुल सक्सेना कर लिया।
आसिफ नामक व्यक्ति, जिसने अपने ट्विटर बायो में खुद को एक मुस्लिम बताया है और स्पष्ट किया है कि वो हिंदुत्व समर्थक नहीं है। उसने ट्वीट करते हुए कहा कि दुखी होने का कोई कारण नहीं है और यह उसके लिए एक मिनी-ईद की तरह है।
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भारत में चल रही पाकिस्तान की बी टीम नेशनल हेराल्ड और उसके संपादक संजुक्ता बसु ने एक ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, “मैं कुछ भी कहने की कोशिश नहीं कर रही हूं, ‘आत्म-सेंसरिंग’ क्योंकि ठीक है दुखद मौत और सब कुछ, लेकिन हां, अभी कुछ हफ्ते पहले उन्होंने (सीडीएस रावत) “कश्मीरी आतंकवादी” की हत्या का उत्साहपूर्वक समर्थन किया था। लोगों को दूसरों के लिए क्रूर मौत की कामना नहीं करनी चाहिए। भले ही वे आतंकवादी क्यों न हों!” संजुक्ता बासु के इस ट्वीट से आप उनकी मानसिक स्थिति और आतंकियों के प्रति उनकी सहानुभूति का स्पष्ट तौर पर अंदाजा लगा सकते हैं!
I have been trying not to say anything, self-censoring because ok tragic death and all but yeah, just few weeks back he excitedly supported lynching of "Kashmiri terrorist" you know. People should not wish cruel death for others. Even if they are terrorists.
— Dr. Sanjukta Basu, M.A., LLB., PhD (@sanjukta) December 9, 2021
वहीं, अशोक सिंह गरचा नाम यूजर ने ट्वीट करते हुए कहा, सेना प्रमुख एक संघी प्रमुख बन गए, जिन्होंने देश की धर्मनिरपेक्ष साख के साथ विश्वासघात किया। उसने अपने ट्वीट में बिपिन रावत और वीके सिंह को संघी बताया।
सेना के पूर्व अधिकारियों की दिखी कुंठा
इस्लामवादियों और खालिस्तानियों से ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद की जा सकती है, क्योंकि दुनिया जानती है कि ये किसी के नहीं हैं। लेकिन भारतीय सेना के कुछ पूर्व अधिकारियों ने भी ऐसी प्रतिक्रिया दी, जिसे लेकर उनकी जमकर थू-थू हो रही है। सेवानिवृत्त कर्नल बलजीत बख्शी ने ट्वीट का सहारा लिया और सीडीएस के दुर्घटना की खबर पर खुशी जताई। बख्शी ने बिना नाम लिए सीडीएस पर निशाना साधा और कहा, “लोगों से निपटने का कर्म का अपना तरीका है।” हालांकि, अब इस ट्वीट को हटा दिया गया है।
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वहीं, लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल दुहून जैसे अन्य वरिष्ठ सेना अधिकारी, जिन्होंने सीडीएस के समान वर्दी पहनने के बावजूद अपनी घृणित मानसिकता का परिचय दिया।
Two tweets:-
One from India another one from Pakistan.
That's it! pic.twitter.com/83PP6pZaA3
— Sajid Yousuf Shah (@TheSkandar) December 8, 2021
43 वर्ष से सेना में काम कर रहे थे रावत
गौरतलब है कि 63 वर्षीय जनरल बिपिन सिंह रावत ने जनवरी 2019 में भारत के पहले सीडीएस के रूप में कार्यभार संभाला। इस पद की स्थापना तीनों सेनाओं- थल सेना, नौसेना और वायु सेना को एकीकृत करने के उद्देश्य से की गई थी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि उनका उत्तराधिकारी जल्द ही चुना जाएगा। CDS के रूप में पदभार ग्रहण करने से पहले, उन्होंने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के 57वें और अंतिम, और भारतीय सेना के 26वें सेनाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। उनके आकस्मिक निधन से देश में शोक की स्थिति है। लेकिन देश में मौजूद कुछ कुत्सित मानसिकता वाले लोग उनकी मृत्यु पर जश्न मना रहे हैं, जो काफी निंदनीय है। बिपिन रावत के मौत पर इस तरह की ओछी टिपण्णी करने वाले लोगों की मानसिकता पर तरस आता है।
जिन सेना की कुर्बानियों के बलबूते ये लोग अमन चैन की सांस ले पा रहे हैं, उनकी शहादत का मज़ाक बनाना यह साबित करता है कि इनके खून में वतनपरस्ती जैसी कोई चीज़ मौजूद नही है। जनरल रावत ने अपना पूरा उम्र इस देश के लिए समर्पण कर दिया, मृत्यु भी हुई तो वो अपनी वर्दी में ही थे। फिर भी देश में छिपे ऐसे गद्दारों ने उनकी मौत पर जश्न मनाकर अपने असली रंग को दिखा दिया है। सरकार और प्रशासन को ऐसे कुत्सित मानसिकता वाले लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर सबक सिखाना चाहिए!
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