वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के ख़ास दोस्त तुर्की ने हाल ही में एक अनोखा निर्णय लिया है। दसअसल, तुर्की अब भारत को अपने यहां बने अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक का निर्यात करेगा। Eurasian Times के रिपोर्ट के अनुसार तुर्की की ड्रोन उत्पादक कंपनी Zyrone अपना प्रथम मिनी मल्टी रोटर ड्रोन भारत को निर्यात करेगी और स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसे 100 ड्रोन भारत को अगले साल तक डिलीवर किये जाएंगे। तुर्की के अंकारा स्थित Zyrone डायनेमिक्स नामक कंपनी ने मिनी UAV ड्रोन का निर्माण किया है। बता दें कि अगस्त 2021 में Zyrone डायनेमिक्स कंपनी की 30 फीसदी हिस्सेदारी भारत की DCM श्रीराम इंडस्ट्रीज ने खरीदी थी।
भारत को मिनी मल्टीरोटर UAV निर्यात करेगा तुर्की
कंपनी ने बताया कि उसका मल्टी-रोटर UAV प्लेटफॉर्म ZCQM सफल परीक्षण के बाद निर्यात के लिए तैयार है। बताते चलें कि DCM श्रीराम नामक भारतीय कंपनी ने इस्तान्बुल में IDEF नामक रक्षा उद्योग फेयर के दौरान एक पार्टनरशिप डील पर हस्ताक्षर किया, जिसमें लगभग 1 मिलियन डॉलर मूल्य के 30 प्रतिशत शेयर्स का अधिग्रहण किया गया। इस डील के अंतर्गत Zyrone Dynamics भारतीय कंपनी को आवश्यक तकनीक और उपकरण प्रदान करेगी और दोनों कंपनियां एक-दूसरे को ड्रोन निर्माण में सहायता देगी। इस बारे में तुर्की में स्थित भारतीय दूतावास ने भी पुष्टि की।
A new beginning – welcome Indian investment in the defence sector…..
Partnership agreement between @DCMShriramLtd of India and @zyronedynamics of Turkey signed at #IDEF2021 in Istanbul in the presence of @AmbSanjayPanda
🇮🇳🤝🇹🇷@SSB_Eng @anadoluagency @ANI @airnewsalerts pic.twitter.com/DkSBW0q9k2— India in Türkiye (@IndianEmbassyTR) August 18, 2021
तुर्की से निर्यात होने वाले इस ड्रोन की एक खास विशेषता है कि ZCQM ड्रोन भू-तल से 1.2 किलोमीटर की ऊंचाई पर 80 मिनट तक उड़ान भरने की क्षमता रखता है। बता दें कि कंपनी मार्च 2022 में भारत में रक्षा समझौते के लिए ड्रोन से जुड़े डेमो उड़ानें भी शुरू कर सकती है। वहीं, भारत के सहारे कंपनी अपने व्यापर को पूर्वी एशिया के देशों में निर्यात करने की कोशिश भी कर रही है।
तुर्की ने प्रारंभ की भारत के साथ नई साझेदारी
क्या आप जानते हैं कि यह सब अचानक नहीं हुआ है? दरअसल, तुर्की को न चाहते हुए भी यह करना पड़ रहा है, क्योंकि साल 2019 में घटी एक घटना के अनुसार तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने अपने सनक में भारत से अनावश्यक पंगा मोल लिया था। साल 2019 में जब एरदोगन कश्मीर मुद्दा उछाल कर उसे पाकिस्तान का हिस्सा बता रहे थे तब उनके इस कृत्य को तगड़ा जवाब देते हुए भारत ने एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा रद्द कर दिया था। अगले ही वर्ष जब नागोर्नो-कारबाख़ क्षेत्र के तनातनी पर आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच हिंसक झड़प हुई, तो भारत और आर्मेनिया के बीच एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा तय हुआ था, जिसका मुख्य निशाना तुर्की था। ये वो समय था जब तुर्की पाकिस्तान और मलेशिया के साथ एक वैकल्पिक इस्लामिक त्रिकोण बनाने और खिलाफत 2.0 स्थापित करने के हसीन ख्वाब देख रहा था।
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नहीं थम रही है पाकिस्तान की बौखलाहट
आज तुर्की पाकिस्तान और मलेशिया ने अवश्य एक इस्लामिक त्रिकोण बनाया है, वो अलग बात है कि वह कंगाली का त्रिकोण है, जिसमें मलेशिया पूरी तरह से शामिल नहीं हुआ TFI Post के विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार, “यदि पाकिस्तान और तुर्की की आर्थिक स्थित को देखा जाये तो दोनों ही देशों ने व्यापारिक तंगी से ऊपर उठने की बजाए राजनीतिक बयानबाजी पर अधिक ध्यान दिया है। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि इस्लामिक देश तुर्की का बाजार आर्थिक तंगी के शिकंजे में कसता जा रहा है। बीते शनिवार को शेयर बाजार खुलते तुर्की के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है और हालात यह है कि वहां की केंद्रीय बैंक स्थानीय मुद्रा टर्किश लीरा के अवमूल्यन को भी नहीं रोक पा रही है।”
ऐसे में, भारत के साथ तुर्की ने चाहे विवशता में ही सही, परंतु एक नई साझेदारी प्रारंभ है और ये सब होता देखकर पाकिस्तान की बौखलाहट थम नहीं रही है।