देश में COVID-19 (ओमिक्रोन संस्करण) के मामलों में वृद्धि हो रही है और राष्ट्रीय राजधानी में रात्री कर्फ्यू लगा दिया गया है। रेजिडेंट डॉक्टर दिल्ली में अभी भी अपने अधिकारों के लिए विरोध कर रहे हैं। शासन और व्यवस्था के लिए यह स्थिति आदर्श नहीं है लेकिन डॉक्टर यहां तक कैसे पहुंचे और किस चीज़ का विरोध कर रहे हैं, यह जानना अत्यंत जरूरी है? दरअसल, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) मेडिकल छात्रों के लिए एक योग्यता और रैंकिंग परीक्षा है, जो देश भर के कॉलेज में विभिन्न स्नातकोत्तर विषयों जैसे डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (MD), मास्टर ऑफ सर्जरी (MS) और मेडिकल में डिप्लोमा कोर्स करनेवाले छात्र देते हैं। इस बार यह परीक्षा जनवरी 2021 में होनी थी, लेकिन कई बार स्थगित की गई और अंततः सितंबर में हुई।
मेडिकल सीट में आरक्षण का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
दरअसल, NEET के विद्यार्थियों की स्थिति ‘आसमान से टपके, खजूर पे अटके’ के समान हो गई है। इसका कारण है, परीक्षा परिणाम आने के बाद भी NEET PG 2021 की काउंसलिंग अब तक नहीं हुई है। सरकार ने परीक्षा पश्चात सीट आवंटन में OBC के लिए 27% और EWS छात्रों के लिए 10% आरक्षण निर्धारित किया। वहीं, NEET PG मेडिकल सीट में आरक्षण प्रदान करने वाली 29 जुलाई की अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
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बता दें कि NEET PG 2021 की काउंसलिंग 25 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के समक्ष की गई दलीलों के कारण काउंसलिंग स्थगित कर दी गई है। केंद्र ने आश्वासन दिया कि जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता, तब तक काउंसलिंग आगे नहीं बढ़ेगी। वहीं, EWS के रूप में अर्हता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की योग्यता को लेकर एक समस्या है। सरकार ने प्रवेश परीक्षाओं या सार्वजनिक नौकरियों में 10 प्रतिशत कोटा प्रदान करने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economic Weaker Section) की पहचान करने के लिए 8 लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा तय की है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई केंद्र सरकार को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10% आरक्षण प्रदान करने हेतु आय सीमा पर पहुंचने की प्रक्रिया निर्धारण करने में केंद्र की अक्षमता पर गंभीर विचार किया। कोर्ट ने सरकार से कहा था- “आप यूं ही हवा में से सिर्फ 8 लाख रुपये की वार्षिक आय नहीं निश्चित कर इसे एक मानदंड के रूप में स्थापित नहीं कर सकते हैं। कुछ ना आधार या फिर कुछ अध्ययन तो होना ही चाहिए। न्यायालय को बताएं कि क्या 8 लाख रुपये की वार्षिक आय की सीमा तय करने में किसी जनसांख्यिकीय अध्ययन या डेटा को ध्यान में रखा गया था। आप इस सटीक आंकड़े पर कैसे पहुंचे?” ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कोई अध्ययन नहीं किया गया तो क्या सुप्रीम कोर्ट मानदंडों को खत्म कर सकता है?
बताते चलें कि सर्वोच्च न्यायालय की यहीं टिप्पणी सारे विवादों की जड़ है। यही समस्या NEET PG 2021 के उम्मीदवारों का स्रोत है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई की अगली तारीख 6 जनवरी रखी गई है। नवंबर के अंत में, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के हवाले से केंद्र सरकार ने न्यायालय से कहा कि “आरक्षण हेतु EWS निर्धारित करने वाले ‘मानदंड’ पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया गया था।” वहीं, कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि “सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि EWS के निर्धारण के लिए चार सप्ताह के अवधि की आवश्यकता होगी और इसके निष्कर्ष के लंबित रहने पर काउंसलिंग की तारीख स्थगित हो जाएगी। अतः, शीघ्रताशीघ्र सुनवाई की अगली तारीख थी 6 जनवरी को तय की गई। पर, अभ्यर्थियों के लिए यह नाकाफी है।”
इस खींचतानी में डॉक्टर्स को रही हैं दिक्कतें
दरअसल, NEET PG काउंसलिंग एक लंबी प्रक्रिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है और EWS मुद्दे के संबंध में एक उपयुक्त जवाब सुनवाई की अगली तारीख से पहले शीर्ष अदालत को प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम अदालत से अनुरोध करते हैं कि इस मामले में तेजी लाई जाए ताकि काउंसलिंग जल्द से जल्द शुरू की जा सके।” यह मानते हुए कि समस्या वास्तव में 6 जनवरी को हल हो जाएगी अखिल भारतीय कोटा (AIQ) काउंसलिंग लगभग डेढ़ महीने में समाप्त हो जाएगी और फिर राज्य अपनी प्रक्रिया शुरू करेंगे। इस बीच, NEET PG 2022 का आयोजन आगमी 12 मार्च को होने वाला है। अगर चीजें योजनानुसार होती हैं, तो हम वास्तव में ऐसी स्थिति में आ सकते हैं, जहां NEET PG 2021 काउंसलिंग और NEET PG 2022 काउंसलिंग एक दूसरे के समानांतर हो सकती है।
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मसला या मुद्दा जो भी हो, इस खींचतानी में डॉक्टर्स ही हैं, जो असली रूप से पीड़ित हैं। EWS अधिसूचना से संबंधित मुद्दे के समाधान में तकनीकी खराबी और अत्यधिक देरी के कारण उनके करियर का एक कीमती वर्ष बर्बाद हो रहा है। कोई यह समझ सकता है कि कानूनी प्रक्रिया में समय लगता है, लेकिन NEET (PG) काउंसलिंग और चिकित्सा पेशे जैसे संवेदनशील मुद्दे में इसे तेज किया जाना चाहिए था।