बिहार की राजधानी पटना एक ऐतिहासिक शहर है जहां पर ऐसी संरचनाओं का निर्माण हुआ है जो आज ऐतिहासिक धरोहर बन गई हैं. हम आज बिहार की शान और पटना की पहचान कहे जाने वाले पटना का गोलघर के बारे में बताने जा रहें हैं.यह अपनी संरचना और इतिहास की वजह से पूरे देश दुनिया में प्रचलित है. पटना का गोलघर गांधी मैदान के पश्चिम में स्थित है. 20 जुलाई 2021 को ये गोलघर 235 साल का हो गया है. इसे 1979 में राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था.
आपकों बता दें 1770 में आई भयंकर सूखे का करीब एक करोड़ लोग शिकार हुए थे. चारों और भूखमरी फैल गई थी. इसलिए तब के गवर्नर जनरल वारेनहेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई. इस योजना का मकसद गरीबों को अनाज मिल सके साथ ही अनाज के भंडारण को सुरक्षित रखा जा सके था.
ब्रिटिश इंजिनियर कप्तान जॉनगार्स्टिन ने अनाज के भंडारण के लिए गोल ढांचे का निर्माण 20 जनवरी 1784 को शुरू किया. और 20 जुलाई 1786 को यह पूरा बनकर तैयार हो गया. इसमें एक साथ 140000 टन अनाज रख सकते हैं. लेकिन इस गोल घर में कई कमी होने की वजह से यहां पर अनाज का भंडारण नहीं हो पाया.
सबसे बड़ी कमी इस गोलघर में गर्मी इस गोलघर के अंदर इतनी गर्मी होती थी कि अनाज संग्रह नहीं किया जा सकता था. अंग्रेजों ने इसे गोस्ट्रीम मूर्खता करार दिया. फिर भी अनोखा पटना का गोलघर आकृति के कारण लोकप्रिय पूरी दुनिया में बन गया और राजधानी पटना की या पहचान भी बन गई.
और पढ़े: बिहार के लाल संप्रदा सिंह जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय, शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय एवं मृत्यु
क्यों ख़ास है पटना का गोलघर ?
गोलघर आकार 125 मीटर का है. इसकी ऊंचाई 29 मीटर है. सबसे खास बात यह हा कि इसमें कोई पिलर नहीं है. इसकी दीवारें 3.6 मीटर मोटी हैं. पटना का गोलघर हाइट यानी शिखर पर करीब तीन मीटर तक ईंट की जगह पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. गोलघर के शीर्ष पर दो फीट 7 इंच व्यास का छिद्र अनाज डालने के लिये छोड़ा गया था. बाद मे इसे बंद कर दिया गया.
इस गोलघर में 145 सीढियां हैं, जिसके सहारे आप ऊपर जा सकते हैं. जहां से आपकों पूरा पटना और गंगा का अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा. गुम्बदाकार आकृति के कारण इसकी तुलना मोहम्मद आदिल शाह के मकबरे से की जाती है. गोलघर के अंदर आपकी आवाज़ 27 से 32 बार लौट कर आएगी, जो काफी अद्भूत है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह जिस उद्देश्य से बना था वो पूरा ही नहीं हो पाया और यह एक मात्र ढ़ाचें के रूप में रह गया. पटना आने वाले एक बार जरूर इस ऐतिहासिक धरोहर पटना का गोलघर का दीदार करते हैं एक प्रमुख पर्यटक स्थल है. यहां पर संगीत फव्वारा का भी इंतजाम किया गया है.