विधानसभा चुनावों का प्रचार प्रसार प्रारंभ हो चुका है और लोगों को लुभाने के लिए कोई भी पार्टी किसी भी प्रकार से कोई कसर नहीं छोड़ रही है। समाजवादी पार्टी के लिए ये केवल सत्ता प्राप्ति की ही नहीं, अपितु अस्तित्व की भी लड़ाई है, जिसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है। हाल की में एक रैली में यह बात स्पष्ट रुप से दिखाई दी, जहां कुछ ‘भाजपा’ नेता, जो हाईकमान के ‘निर्णयों’ से नाराज़ थे, सपा में शामिल हो गए। उनमें स्वामी प्रसाद मौर्य भी थे, जो पहले बसपा और फिर भाजपा में कई वर्षों तक सत्ता सुख भोगकर आए थे। इस रैली में कई हज़ार लोग शामिल हुए और ये एक प्रकार से किसी शक्ति प्रदर्शन से कम नहीं था।
ध्यान देने वाली बात है कि चुनाव आयोग ने हाल ही में चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाया था, तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी रैली कैसे आयोजित हुई? क्या समाजवादी पार्टी को लोगों के जान की कोई परवाह नहीं है? गौरतलब है कि नियमों को ताक पर रखना समाजवादी पार्टी की पुरानी परिपाटी रही है, इसमें कोई दो राय नहीं है। लिहाजा इस मामले के बाद चुनाव आयोग ने तो नोटिस भेजा ही, साथ ही में लखनऊ पुलिस ने लगभग 2500 सपा कार्यकर्ताओं के विरुद्ध FIR भी दर्ज की है।
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अखिलेश यादव का हास्यास्पद तर्क
जब इस मामले पर विवाद बढ़ा तो अखिलेश यादव ने वर्चुअल रैली की ऐसी परिभाषा दी कि लॉजिक और विज्ञान दोनों आत्महत्या करने को विवश हो जाए! अखिलेश यादव के कहा कि वर्चुअल रैली का मतलब हमें नहीं पता था। हमे लगा कुछ लोग सामने रहेंगे। कैमरे से सबको दिखाया जाएगा। हमने किसी को नहीं बुलाया था। साथ ही उन्होंने कहा कि नेता के सामने जब तक माइक न हो और सामने लोग न हों, तो बात निकलती नहीं है। लेकिन ये पहली बार नहीं है जब अखिलेश यादव ने अपनी मानसिक कुशलता का इतना बेजोड़ प्रदर्शन किया हो। बता दें कि उन्होंने उन्नाव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता में वापस आती है तो सांडों के हमले में मारे जाने वाले लोगों के परिवारों को 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। जी हां! आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं, उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए खुद यह बात कही थी।
राहुल गांधी को भी मात दे रहे हैं अखिलेश यादव!
बताते चलें कि जैसे देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के सबसे अपरिपक्व राजनेता एवं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अपनी बचकानी हरकतों के कारण सदा ही मीडिया में हास्यास्पद चर्चाओं का विषय बने रहते हैं, किन्तु कभी-कभी वो कुछ ऐसी हरकतें भी कर देते हैं, जिससे उनकी छवि निचले स्तर के एक नए पायदान पर चली जाती है! मौजूदा समय में अखिलेश यादव का हाल भी कुछ ऐसा ही हो गया है। जैसे-जैसे चुनावी सरगर्मियां तेज हो रही है, वैसे-वैसे अखिलेश यादव के बयानों के लेवल भी अलग स्तर पर पहुंच रहे हैं। सच कहें तो अखिलेश यादव पर अनेकों मीम्स बने हैं, उन्हें अपने सरकारी आवास से नल उखाड़ने के लिए टोंटी चोर की भी उपाधि भी मिली है! परंतु वर्चुअल रैली पर इनका ज्ञान देखते हुए इतना तो स्पष्ट है कि अभी तक अखिलेश यादव को लोग जितना समझते थे, वो तो उससे भी बढ़कर निकलें!
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