भारत की राजनीति में जो स्थान कभी नेहरू-गांधी परिवार को प्राप्त हुआ करता था, वही स्थान उत्तर प्रदेश की राजनीति में गाजीपुर के अंसारी परिवार को भी प्राप्त था। हम उसी अंसारी परिवार की बात कर रहे हैं, जिसमें भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी का जन्म हुआ था। इसी परिवार में मुख्तार अहमद अंसारी का जन्म हुआ था, जो आजादी पूर्व कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसी परिवार में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े गैंगस्टर मुख्तार अंसारी का भी जन्म हुआ। अंसारी परिवार उत्तर प्रदेश में अघोषित रूप से सरकार चलाता था। इस परिवार के सदस्यों की राजनीतिक शक्ति बहुत अधिक थी, किंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के शासन में अंसारी परिवार का वही हाल हुआ, जो गांधी परिवार का हुआ है!
मुख्तार अंसारी के दादा थे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अंसारी परिवार का राजनीतिक शक्ति के रूप में उत्थान मुख्तार अहमद अंसारी के कारण हुआ था, जिनका जन्म 25 दिसंबर 1880 को मोहम्मदाबाद में हुआ था, जो वर्तमान उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में स्थित है। मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज से शिक्षा ग्रहण करने के बाद मुख्तार अहमद अंसारी ने मेडिकल की उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन के एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया। उन्होंने 1916 में जिन्ना और कांग्रेस के बीच हुए लखनऊ समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कांग्रेस के खिलाफत आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई थी। वो जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। सन् 1926-27 में वो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे।
आजादी के बाद गाजीपुर क्षेत्र लंबे समय तक कम्युनिस्टों के प्रभाव में रहा। मुख्तार अहमद अंसारी के पुत्र सुभानल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े रहे। उसी सुभानल्लाह अंसारी के बेटे हैं मुख्तार अंसारी, जो मौजूदा समय में जेल में सजा काट रहे हैं। इसी अंसारी परिवार में जन्मे हामिद अंसारी भारत के उप राष्ट्रपति बनें। हालांकि, हामिद अंसारी सीधे तौर पर गाजीपुर से नहीं जुड़े थे, किंतु रिश्ते में वह मुख्तार अहमद अंसारी के भतीजे हैं। अंसारी परिवार को उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक शक्ति के रूप में उभरने का श्रेय मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी एवं सिबगतुल्लाह अंसारी को जाता है।
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हामिद अंसारी की बात करें, तो वो भले ही भारत के उप राष्ट्रपति रहे हों, किंतु उनके ऊपर भारतीय विदेश सेवा में रहने के दौरान गंभीर आरोप लगे हैं। हामिद अंसारी जब ईरान में भारतीय राजदूत के रूप में कार्यरत थे, उस समय ईरान में कार्यरत भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के अधिकारियों के लिए अंसारी बड़ी समस्या बन गए थे। रॉ के एक अधिकारी माथुर, कश्मीर समस्या के लिए ईरान में काम कर रहे थे और वहां से गुप्त सूचनाएं भारत भेजते थे।
यह सूचनाएं हामिद अंसारी को भी बताई जाती थी। उन्होंने कई सूचनाओं को भेजने का विरोध किया। अंततः माथुर की गतिविधियों की जानकारी ईरान की खुफिया विभाग को किसी माध्यम से मिल गई। जब माथुर को ईरान की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अगवा किया गया, तो हामिद अंसारी ने इस संदर्भ में कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाए और न ही ईरान सरकार से किसी भी तरह की कोई बातचीत की।
उनके सचिव कपूर के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ, जिसे ईरान की खुफिया एजेंसियों द्वारा अगवा कर लिया गया था। कपूर भी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के एजेंट थे। मामला बहुत बढ़ गया था और दूतावास के कर्मचारियों की पत्नियों ने अपने ही दूतावास के सामने प्रदर्शन किया, क्योंकि उनका आरोप था हामिद अंसारी के कारण ही ये सब हो रहा है। इतने गंभीर आरोपों के बाद भी कांग्रेस ने हामिद अंसारी को उप राष्ट्रपति बना दिया था।
ध्यान देने वाली बात है कि उप राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के अंतिम समय में अंसारी को यह लगने लगा कि भारत में अल्पसंख्यक अब सुरक्षित नहीं है। संभवत अपने राजनीतिक रसूख की समाप्ति के कारण उन्हें ऐसा दिख रहा था। उनके बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। किंतु अंसारी परिवार की असली राजनीतिक शक्ति पर प्रहार तब हुआ, जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी के साम्राज्य को बर्बाद करना शुरू किया। हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा हैं। जिस मुख्तार अंसारी के नाम से पूरा उत्तर प्रदेश कांपता था, सीएम योगी की सरकार में उसके अवैध संपत्तियों की नीलामी की गई, उसके गैंग के लोगों को या तो जेल में डाला गया है या उनका काम तमाम हो गया! 40 से ज्यादा मुकदमें सिर पर लिए वो पिछले 13 सालों से जेल में बंद है। मौजूदा समय में मुख्तार उत्तर प्रदेश की जेल में बंद है।
बताते चलें कि एक समय मुख़्तार का वर्चस्व इतना ज्यादा था कि गाजीपुर जेल में उसके लिए तालाब खुदवाया गया था, जहां बैठकर वह मछली पकड़ता था। शाम को गाजीपुर डीएम के साथ बैडमिंटन खेलता था। आज वह बांदा जेल में बंद है। गौरतलब है कि एक समय उत्तर प्रदेश सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जेल में हुई भाजपा नेता कृष्णनन्द राय की हत्या पर मौन रही। उस समय मुख्तार का गैंग खुलेआम AK-47 का प्रयोग कर रहा था और उसके विरुद्ध कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों को प्रदेश सरकार द्वारा प्रताड़ित भी किया गया। किन्तु आज हालात बदल चुके हैं। मुख्तार को गद्दी पर बैठाने वाले स्वयं साइकिल लेकर प्रदेश के एक कोने से दूसरे कोने की यात्रा कर रहे हैं, सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, किन्तु आगामी चुनाव में उनका हश्र क्या होगा, यह उन्हें भी पता है और आम लोग भी इससे भलि भांति परिचित हैं।
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