नक्सलियों और ईसाई मिशनरियों के बाद अब छत्तीसगढ़ में इस्लामिस्ट संगठनों ने अपने पांव पसारने आरंभ कर दिए हैं। उनका प्रभाव इतना बढ़ गया है कि कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दावत-ए-इस्लामी संगठन को 25 एकड़ (दस हेक्टेयर) जमीन आवंटित कर दी थी। प्रदेश सरकार के इस आवंटन के बाद बवाल मच गया और भाजपा नेताओं ने जम कर विरोध प्रकट किया, जिसके बाद राज्य सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा है।
दरअसल, भाजपा के नेताओं ने सोशल मीडिया पर बताया कि दावत-ए-इस्लामी की तरफ से 10 हेक्टेयर जमीन रायपुर के बोरियाखुर्द में मांगी गई थी। यह जमीन सामुदायिक भवन के लिए मांगी गई थी, जिसके बाद कांग्रेस सरकार ने उसे आवंटित भी कर दिया था। भाजपा के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने ट्वीट कर राज्य के कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी को 25 एकड़ जमीन आवंटित कर चुकी है।
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उन्होंने ट्वीट किया, “छत्तीसगढ़ सरकार रायपुर में दावत-ए-इस्लामी नाम के संगठन को 25 एकड़ (10 हेक्टेयर) जगह आवंटित कर रही है। दावत-ए-इस्लामी एक पाकिस्तानी संगठन है, जिसकी शाखाएं हमारे देश में खोलने का काम यह कांग्रेसी कर रहे हैं। दावत-ए-इस्लामी के ऊपर मतांतरण और आतंकवाद फैलाने व चंदे के जरिए फंडिंग के आरोप लग चुके हैं और इस संगठन से जुड़े आतंकवादियों/जासूसों को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने पकड़ा है।“
छत्तीसगढ़ सरकार रायपुर में दावते इस्लामी नाम के संगठन को 25 एकड़ (10 हेक्टेयर) जगह आवंटित कर रही है। दावते इस्लामी एक पाकिस्तानी संगठन है, जिसकी शाखाएं हमारे देश में खोलने का काम यह कांग्रेसी कर रहे हैं। दावते इस्लामी के ऊपर मतांतरण और आतंकवाद फैलाने व चंदे के जरिए फंडिंग के(1/4) pic.twitter.com/BxyqaFSKuB
— Brijmohan Agrawal (मोदी का परिवार) (@brijmohan_ag) January 2, 2022
प्रदेश के कई जिलों में आवंटित की जा रही जमीन
दैनिक जागरण के अनुसार उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश के कई जिलों में मुस्लिम संगठनों को जमीन आवंटित की जा रही है। बृजमोहन अग्रवाल ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि “छत्तीसगढ़ के दावत-ए-इस्लामी संगठन ने अपने फेसबुक पेज पर पाकिस्तानी संस्थापक इलियास कादरी की फोटो भी पोस्ट की है। पाकिस्तानी संगठन और छत्तीसगढ़ दावत-ए-इस्लामी संगठन का चिह्न (मोनो) भी एक ही है।”
उन्होंने सवाल करते हुए आगे लिखा, “छत्तीसगढ़ सरकार ऐसे पाकिस्तानी संगठन को 10 लाख 76 हजार स्क्वायर फीट जगह सामुदायिक भवन के लिए दान कर रही है। क्या इतिहास में किसी भी समाज को सामुदायिक भवन बनाने के लिए इतनी बड़ी जगह आवंटित की गई है? क्या सामुदायिक भवन बनाने के लिए 25 एकड़ जगह लगती है? ऐसे पाकिस्तानी संगठन को इतनी बड़ी जगह क्या आकाओं के आदेश पर आवंटित की गई है? सरकार अपना स्पष्टीकरण दें।“
For more details on Daawat-e-Islami and how it is linked to multiple terror incidents through out the world reffer to this detailed article. pic.twitter.com/59QOuIE3pk
— Brijmohan Agrawal (मोदी का परिवार) (@brijmohan_ag) January 3, 2022
विरोध के बाद कांग्रेस ने दी सफाई
हालांकि, भाजपा के विरोध करने के बाद कांग्रेस की ओर से इस मामले को लेकर सफाई दी गई है। राज्य सरकार ने देर रात बयान जारी कर बताया कि इस्लामिक संगठन का आवेदन निरस्त कर दिया गया है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार यह कहा गया है कि 10 हेक्टेयर जमीन दावत-ए-इस्लामी को नहीं दी जा रही है। संगठन ने आवेदन 10 हजार वर्ग फीट जमीन के लिए किया था, इस आवेदन को भी निरस्त कर दिया गया है। रायपुर के अनुविभागीय दंडाधिकारी देवेंद्र पटेल ने स्पष्ट किया है कि संस्था दावत-ए-इस्लामी का आवेदन निरस्त कर इस मामले की फाइल क्लोज की जा चुकी है।
दावत-ए-इस्लामी की वेबसाइट के अनुसार, दावत-ए-इस्लामी का शाब्दिक रूप से अर्थ ‘इस्लाम का निमंत्रण’ होता है। यह एक वैश्विक-गैर राजनीतिक संगठन है, जो दुनिया भर में कुरान और सुन्नत के प्रचार के लिए काम कर रहा है। इसकी स्थापना वर्ष 1981 में पाकिस्तान के कराची में मौलाना इलियास कादरी ने की थी। इसके बाद दावत-ए-इस्लामी सुन्नत (इस्लाम के पैगंबर की परंपराओं) का पालन, भक्ति कविता जैसे नाट का पाठ और सूफी संतों के लिए गहरी श्रद्धा व्यक्त करते हुए, बरेलवी सुन्नी इस्लाम का मुख्य प्रस्तावक बन गया।
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पहले से ही नक्सलियों और धर्मांतरण का प्रकोप झेल रहा है छतीसगढ़
गौरतलब है कि पहले से ही नक्सलियों और ईसाई धर्मांतरण का प्रकोप झेल रहे छत्तीसगढ़ में इस्लामिस्ट संगठनों का इस तरह पांव पसारना खतरे की घंटी है। यह सवाल उठाना आवश्यक है कि कैसे एक पाकिस्तानी संस्था भारत में खुलेआम काम तो कर ही रही है, इसके अतिरिक्त उसे कांग्रेस सरकार जमीन भी आवंटित कर रही है। यह न सिर्फ खतरे का संकेत है, बल्कि भविष्य में होने वाले अराजकता का सूचक भी है। अगर आतंक को समर्थन देने वाली संस्थाओं को इसी तरह खुली छूट मिलती रही, तो वे सिस्टम का दुरुपयोग कर अपने खूनी एजेंडे को बढ़ावा देने एक मौका भी नहीं छोड़ेंगे।