पंजाब चुनाव में एक नई घटना सामने आई है। यह घटना कम और दुर्घटना अधिक है। आम आदमी पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में आप सांसद और कॉमेडियन रहे भगवंत मान का नाम आगे बढ़ाया है। हालांकि, अभी भगवंत मान के नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन यह तय है कि आम आदमी पार्टी की ओर से पंजाब चुनाव में उन्हें ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाएगा।
सीएम प्रत्याशी के बारे में चर्चा करते हुए केजरीवाल ने बयान दिया “भगवंत मान हमारे बहुत प्यारे हैं, मेरा छोटे भाई है, आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। हम लोग तो कह रहे थे कि भगवंत मान को बना देते हैं लेकिन उन्होने कहा कि नहीं, जनता से पूछना चाहिए।”
पहली हास्यास्पद बात यह है कि केजरीवाल इस तरह बात करते हैं जैसे आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे चुकी है। दूसरी बात केजरीवाल एक ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना चाहते हैं जिसकी शराब की लत से पंजाब ही नहीं पूरे भारत का हर व्यक्ति परिचित है जिसे राजनीतिक गतिविधियों में अधिक रुचि ही नहीं है।
भगवंत मान शराब पीकर कई बार संसद गए हैं। संसद भवन में भगवंत मान के बगल में बैठने वाले आम आदमी पार्टी के पूर्व सांसद हरिंदर खालसा ने एक बार यहां तक कह दिया था कि भगवंत मान के बगल में बैठना किसी टॉर्चर जैसा है क्योंकि उनके मुंह से हमेशा शराब की बदबू आती है। 2016 में भगवंत मान शराब पीकर एक शोक सभा में चले गए थे जिसके बाद स्थानीय सिख युवकों ने उन्हें वहां से भगा दिया था।
हालांकि, 2019 में भगवंत मान ने एक जनसभा के दौरान कभी शराब न पीने की कसम खाई थी। हास्यास्पद बात यह थी कि इस सभा में खाई गई कसम की आधिकारिक जानकारी दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से लोगों को दी थी।
इसके बाद भी दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनी को अधिकृत करने को लेकर जब संसद में बिल पारित हुआ था तो उस चर्चा के दौरान की भगवंत मान शराब पीकर बैठे थे। इतना ही नहीं भगवंत मान ने एक बार अपनी मूर्खता से संसद की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया था। भगवंत मान ने लोगों को संसद भवन परिसर के बारे में जानकारी देने के लिए पूरे परिसर का अपने मोबाइल फोन से वीडियो बना लिया था। जब इस मामले पर विवाद बहुत बड़ा तो भगवंत मान ने बिना शर्त क्षमा मांगी थी।
और पढ़ें: अपनी राजनीति चमकाने के लिए केजरीवाल ने खालिस्तान को खाद-पानी से सींचा
पंजाब पहले ही कांग्रेस में चल रहे एक बड़े सियासी ड्रामा के दुष्परिणाम खेल रहा है। पंजाब में कानून व्यवस्था की समस्या दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को रोकने की घटना इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण है। लुधियाना कोर्ट में हुआ ब्लास्ट और कथित बेअदबी के आरोप में दो लोगों की हुई लिंचिंगइस इस बात का उदाहरण है कि पंजाब में अस्थिरता और कट्टरपंथ पुनः बढ़ रहा है। इस स्थिति में पंजाब को एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता है जो ना आम आदमी पार्टी के पास है और ना ही कांग्रेस के पास।
नवजोत सिंह सिद्धू और चन्नी की खींचतान, खालिस्तानियों का बढ़ता प्रभाव, ड्रग्स की समस्या ने पहले ही पंजाब को बहुत नुकसान पहुँचाया है। उस पर आम आदमी पार्टी द्वारा लगातार खालिस्तान समर्थक तत्वों का साथ लिया जा रहा है। ऐसे में अगर आम आदमी पार्टी जीत जाती है और भगवंत मान जैसा व्यक्ति मुख्यमंत्री बनता है तो पंजाब की अस्थिरता और बढ़ेगी तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर समस्याएं पैदा होंगी।