भारत में हर बच्चे का सपना होता है कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करे। भारत में दिल्ली विश्वविद्यालय (DU), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसे तमाम ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जहां पर पढ़ना सबका सपना होता है। इन सारे विश्वविद्यालयों में इंट्रेंस एग्जाम के जरिये दाखिला होता है, लेकिन एक विश्वविद्यालय ऐसा है जो 12वीं में प्राप्त अंक के आधार पर दाखिला देता है।
यह एक तरीके का ऐसा अन्याय है, जिसके चलते बहुत बच्चों का सपना अधूरा रह जाता है। पिछले साल तक डीयू में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश कटऑफ अंकों के आधार पर होता था। कटऑफ मानदंडों को पूरा करने वाले सभी आवेदक प्रवेश के लिए पात्र थे। हालांकि, प्रवेश प्रक्रिया की समीक्षा को तब महसूस किया गया, जब पहली सूची में 100% सहित आसमान छूती कटऑफ एक नियमित विशेषता बनने लगी थी।
पिछले साल कम से कम आठ डीयू कॉलेजों ने 11 स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड के रूप में 100 फीसदी अंकों की घोषणा की थी। अधिक अंक और कम प्रवेश से उत्पन्न चुनौतियों ने भी प्रवेश तंत्र की समीक्षा की आवश्यकता को मूर्त रूप दिया था। यह बच्चों के साथ अन्याय था, क्योंकि भारत में कई तरह के स्कूल बोर्ड हैं और हर बोर्ड अलग-अलग तरीके से स्कूली अंक देता है। यह आवश्यक है कि हम इस बात को समझें कि CBSE, ICSE और राज्य बोर्ड अलग-अलग अंक देते हैं। इसके चलते बहुत से काबिल बच्चों के साथ अन्याय होता था। हर बच्चे को एक प्रकार का कोचिंग संस्थान नसीब नहीं होता है, एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज के नाम पर भी कई बोर्ड में अंक दिया जाता है। अभी तक यह सारी चीजें बहुत सारे बच्चों के साथ अन्याय करती थी, लेकिन अब बस! वर्ष 2022 में बहुत कुछ बदलने वाला है और हम सब इसके प्रत्यक्षदर्शी होंगे।
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अब कॉमन इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर होगा नामांकन
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) द्वारा वर्ष 2021 में कई महत्वपूर्ण निर्णयों को अपनी स्वीकृति देने के साथ, अब यह वर्ष विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक परिवर्तन का वर्ष हो सकता है। इस वर्ष पहली बार छात्रों को नए संरचित स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश प्राप्त होगा। प्रवेश परीक्षा विश्वविद्यालय या तो स्वयं आयोजित करेगा या राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा आयोजित किया जाएगा। पिछले साल अक्टूबर में, डीयू ने स्नातक प्रवेश सुधारों पर विचार करने के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसके बाद विश्वविद्यालय की अकादमिक और कार्यकारी परिषद ने दिसंबर में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक सामान्य प्रवेश परीक्षा शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया। जबकि सामान्य प्रवेश परीक्षा के तौर-तरीकों पर अभी भी काम किया जा रहा है। डीयू ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वर्ष 2022-23 शैक्षणिक सत्र में विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश केवल CU-CET या दिल्ली विश्वविद्यालय कॉमन इंट्रेंस टेस्ट (DU-CET) के माध्यम से होगा।
छात्रों के हित में होगा CU-CET
DU के कुलपति योगेश सिंह ने हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स को बताया था कि अगर CU-CET आयोजित होता है, तो विश्वविद्यालय CU-CET का विकल्प चुनेगा और ऐसी स्थिति में जहां CU-CET आयोजित नहीं किया जाता है, विश्वविद्यालय अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षा – DU-CET आयोजित करेगा। प्रवेश पूरी तरह से प्रवेश परीक्षा पर आधारित होगा, जबकि कक्षा 12 के अंक एक योग्यता कारक के रूप में काम करेंगे।
डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने कहा कि प्रवेश परीक्षा छात्रों के हित में है। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में हमने छात्रों को अत्यधिक अंक प्राप्त करते देखा है, जो बदले में बहुत अधिक कटऑफ की ओर ले जा रहा था। इस साल से होने वाली प्रवेश परीक्षा छात्रों के लिए थोड़ी राहत लेकर आएगी। हाई कटऑफ का दबाव नहीं रहेगा। वे तैयारी के लिए विशिष्ट विषयों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।” विकास गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय CU-CET के कार्यक्रम के ब्योरे का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा, “यदि CU-CET आयोजित किया जाता है, तो यह छात्रों के हित में होगा, क्योंकि वे कई परीक्षाओं में एक साथ शामिल हो सकते हैं।”
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जल्द ही FYUP को भी लागू करेगा DU
बताते चलें कि कटऑफ-आधारित प्रवेश प्रारूप को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के अलावा, विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में निर्धारित अन्य प्रावधानों के साथ-साथ चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (FYUP) को भी लागू करेगा, जिसमें खुद को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स में नामांकित करना शामिल है। इसमें ABC प्रणाली और छात्रों को उच्च शिक्षा में लचीलेपन में वृद्धि के लिए बहु प्रवेश-निकास योजना (MEES) का विकल्प चुनने की अनुमति देना भी शामिल है।
स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए नए ढांचे के तहत, डीयू छात्रों को तीन साल के सम्मान कार्यक्रम या एक अनुशासन में चार साल के सम्मान या शोध के साथ एक अनुशासन में चार साल के सम्मान का विकल्प चुनने की अनुमति देगा। वर्तमान सम्मान कार्यक्रम में मौजूद पाठ्यक्रमों के अलावा, नए कार्यक्रम के पहले तीन वर्षों में कई अतिरिक्त पाठ्यक्रम शामिल होंगे। ये पाठ्यक्रम सामाजिक और भावनात्मक शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता, पाठ्येतर गतिविधियां, नैतिकता और संस्कृति तथा बहु-विषयक अनुसंधान पर केंद्रित होंगे।