ऐसा लग रहा है कि एनडीटीवी अपने झूठ के बाजार को बंद करने के मूड में नहीं है। ऐसा लग रहा है कि झूठ और भ्रम पैदा करने के ट्रेंड को Ndtv छोड़ना ही नहीं चाहता है।
नवनीता वरदापाण्डे नाम की एक यूजर ने ट्विटर पर अपनी समस्या को बताते हुए लिखा कि कथित तौर पर उनके बच्चे को एक्सपायर कॉवैक्सिन लगा दिया गया है। इस ट्वीट के माध्यम से सरकार की उस कोशिश पर प्रश्नचिन्ह लगाया गया जिसके तहत सरकार एक ड्राइव के रूप में 15-18 वर्ष की आयु के बच्चों को वैक्सीन लगा रही है।
अब Ndtv गिद्ध के रूप में तैयार बैठा था। उसके पत्रकार विष्णु सोम ने मुद्दे को उठाया और भारत सरकार के प्रति अपनी कुंठा जाहिर की। महिला के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए सोम ने लिखा, “यह कैसे हो सकता है मनसुख मंडविया जी? क्या सरकार ने एक्सपायर वैक्सीन इस्तेमाल करने के लिए आधिकारिक घोषणा की है?
अब कुंठा तो जाहिर हो गई लेकिन इसकी काट खुद एनडीटीवी ने ही दे दी । असल में 3 नवंबर को एनडीटीवी ने ही बताया था कि कॉवैक्सिन की डोज की शेल्फ लाइफ 12 महीने के लिए बढ़ा दी गई है।
यह कदम भारत की दवाइयों की क्षमता को देखते हुए उठाया गया था। खुद एनडीटीवी ने यह बताया कि प्रमाणित तथ्यों के आधार पर शेल्फ लाइफ बढ़ाई गई है।
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लेकिन आदत से मजबूर Ndtv की न यह पहली गलती है और न ही आखरी । Ndtv ने vaccine को लेकर बहुत भ्रांतियां फैलाई है। इससे पहले Ndtv के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने कोविड वर्किंग ग्रुप के चीफ डॉ. एन के अरोड़ा के साथ एक साक्षात्कार किया था, जहां पर उन्होंने डॉक्टर अरोड़ा के बयानों के आधार पर कोवैक्सिन की विश्वसनीयता को लेकर भ्रामक tweet किया।
इतना ही नहीं, NDTV पर ये खबर प्रकाशित हुई थी कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक द्वार निर्मित वैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग के लिए याचिका दायर की गई, जिसे केंद्र सरकार ने ठुकरा दी। इसके पीछे कारण ये दिया गया कि इन वैक्सीनों को लेकर पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है। लेकिन NDTV को आड़े हाथों लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने tweet कर स्पष्ट किया कि जो खबर NDTV पर प्रसारित हो रही है, वो फेक न्यूज है।
#FAKENEWS
The news running on @ndtvindia is Fake News. pic.twitter.com/VZv7uwW5z7— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) December 9, 2020
लेकिन क्या है न कुछ लोगों ने कसम खाई होती कि जब भी मुंह खोलेंगे, कुछ झूठ ही बोलेंगे। NDTV भी उन्हीं लोगों में से एक है।