दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म Amazon का नाम अमेरिका की चार इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी Alphabet (Google), Apple, Meta (Facebook) और Microsoft के बाद आता है। Amazon अमेरिका की बिग टेक कंपनीयों की सूची में शामिल है, जो अमेरिकी टेक वर्ल्ड की रीढ़ कही जाती हैं। Amazon को दुनिया की सबसे प्रभावशाली आर्थिक और सांस्कृतिक ताकतों में से एक माना जाता है। 2019 में, अमेजन को ‘दुनिया के सबसे मूल्यवान ब्रांड’ का ताज पहनाया गया था। वर्तमान में, यह अमेरिकी कंपनी 100 से अधिक देशों में व्यापार कर रही है। वहीं, अब Amazon की छवि उसकी दोषपूर्ण व्यापारिक नीतियों के कारण धूमिल होती जा रही है।
Amazon अपनी छवि को कर रहा है ख़राब
दरअसल, Future Group के साथ हुए समझौते में Amazon द्वारा अपनाई गई दोषपूर्ण नीतियों के कारण Amazon को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। Future Group के साथ हुआ विवाद ना केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर Amazon की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला है। Amazon ने सिंगापुर ट्रिब्यूनल में Future Group के साथ हुए समझौते को लेकर, मध्यस्थता के लिए अपील दायर की थी किन्तु दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने Amazon की अपील पर स्टे लगा दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है, “प्रथम दृष्टि से यह मामला Future Group के पक्ष में दिख रहा है क्योंकि हाल ही में कंपटीशन कमिशन ऑफ इंडिया (CCI) ने भी वर्ष 2019 में Future Group और अमेजन के बीच हुए समझौते को निरस्त किया है।” बता दें कि CCI ने फैसला सुनाया कि अमेजन द्वारा आवश्यक जानकारी का खुलासा नहीं किया गया था, ज्सिके बाद CCI ने अमेजन पर 200 करोड़ का जुर्माना लगाया था। वहीं, Future Group के लिए यह बड़ी जीत है क्योंकि कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के न्यायालय कंपनियों के विवाद में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के किसी मामले पर प्रायः स्टे नहीं लगाते हैं।
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गौरतलब है कि वर्ष 2020 में रिलायंस और Future Group ने घोषणा करते हुए स्पष्ट किया कि रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) 24,713 करोड़ रुपये में Future Group से पूरे रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाउसिंग कारोबार का अधिग्रहण करेगी। इस अधिग्रहण के बाद रिलायंस ऑनलाइन शॉपिंग क्षेत्र में प्रवेश करने वाली थी किन्तु Amazon ने 2019 में Future Group के साथ हुए समझौते को आधार बनाकर रिलायंस की डील पर रोक लगवा दी थी। इसके बाद मामला न्यायालय के समक्ष है किंतु CCI की कार्रवाई ने इस मामले में रिलायंस और Future Group का पक्ष बहुत मजबूत कर दिया।
जल्द ही Amazon का एकाधिकार हो जाएगा समाप्त
वहीं, अब अमेजन सिंगापुर ट्रिब्यूनल में मध्यस्थता के लिए याचिका दायर नहीं कर पायेगा तो उसे केवल भारतीय न्यायालय एवं भारतीय एजेंसियों के समक्ष इस मामले को सुलझाने पर मजबूर होना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में Future Group का समझौता निरस्त होना तय है। दिल्ली हाई कोर्ट का निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि न्यायालयों के दरवाजे बंद होना Amazon की पूर्ण पराजय है। अब Amazon रिलायंस और Future Group के बीच होने वाले समझौते पर रोक नहीं लगा सकेगा।
बताते चलें कि रिलायंस का ऑनलाइन शॉपिंग के क्षेत्र में उतरना भारत के लिए बहुत अनुकूल है क्योंकि यह ऑनलाइन शॉपिंग के क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देगा। अमेजन ने विभिन्न दोषपूर्ण व्यवसायिक नीतियां अपनाकर भारतीय व्यापारियों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। Amazon पर यह आरोप भी सिद्ध हो चुका है कि वह अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से कुछ गिने-चुने व्यापारियों को लाभ पहुंचाता है। इन व्यापारियों द्वारा जो सामान बेचे जाते हैं, उनकी आपूर्ति भी अमेजन द्वारा होती है।
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अर्थात कहने को तो Amazon अपने प्लेटफार्म के माध्यम से सभी व्यापारियों को समान अवसर देता है, किंतु वास्तविकता यह है कि प्लेटफार्म पर केवल उन्हीं व्यापारियों को बढ़ावा मिलता है, जो अमेजन का सामान अपनी दुकानों के माध्यम से बिकवाते हैं। Amazon की नीतियों का भारत के व्यापारिक संघों द्वारा भी विरोध किया गया था। ऐसे में, यह कहा जा सकता है कि ऑनलाइन बाजार में रिलायंस के आने से हालात बदल सकते हैं क्योंकि इससे Amazon का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा।