मुख्य बिंदु
- तमिलनाडु में 12वीं की छात्रा पर धर्मांतरण के लिए दबाव डाला गया और उसे प्रताड़ित भी किया गया जिससे परेशान हो कर छात्रा ने की आत्महत्या
- स्कूल के वार्डन ने किया था ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर
- मीडिया द्वारा मामले पर ग्रिल करने की कोशिश की गई
- 12वीं कक्षा की छात्रा एम लावण्या की मां ने अपनी बेटी की मौत पर सवाल उठाने के लिए मीडिया को फटकार लगाई है
‘धर्म’ एक ऐसा शब्द है, जो मानव के जन्म से हीं उसे विरासत में प्राप्त में होता है। धर्म की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने अपना बलिदान दिया था। आज के परिदृश्य में हिन्दुओं पर बढ़ते धर्मान्तरण की घटना ने देश के बहुसंखयक समाज को चिंता में डाल दिया है। इसी क्रम में भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु से धर्मान्तरण का एक मामला सामने आया है, जहां पर एक ईसाई स्कूल की वार्डन ने हिन्दू बालिका लावण्या को धर्मांतरण के लिए दबाव डाला और उसे प्रताड़ित भी किया था, जिससे परेशान हो कर छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी।
धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद से तमिलनाडु में बवाल मचा हुआ है। छात्रा और उसके परिवार एवं विपक्षी पार्टी भाजपा ने आरोप लगाया कि छात्रावास के वार्डन द्वारा लावण्या के धर्म बदलने और ईसाई धर्म अपनाने के दबाव में आकर पीड़िता ने खुद की जान ले ली थी। वहीं, इस छात्रा की मृत्यु के बाद सोशल मीडिया पर नेटिज़न्स ने #JusticeForLavanya नाम से पोस्ट शुरू कर दिया।
ईसाई धर्म अपनाने को किया मजबूर तो कर ली आत्महत्या
खबरों के अनुसार, स्कूल ने कथित तौर पर पीड़ित लड़की को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया था और कहा था कि अगर वह आगे पढ़ना चाहती है तो उसे अपना धर्म बदलना होगा। लेकिन छात्रा ईसाई धर्म अपनाने को तैयार नहीं थी। इसलिए स्कूल के अधिकारियों ने उसे शौचालय की सफाई, बर्तन धोने आदि जैसे काम करने के लिए मजबूर करके उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर उसका अपमान करना शुरू कर दिया। अपमान को सहन करने में असमर्थ पीड़िता ने बगीचों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों का सेवन करके आत्महत्या करने का प्रयास किया था, जिसके कुछ दिन बाद पीड़िता ने दम तोड़ दिया था।
वहीं, तमिलनाडु के तंजावुर में सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी स्कूल थिरुकट्टुपाली में 12वीं कक्षा की छात्रा एम लावण्या की मां ने अपनी बेटी की मौत पर सवाल उठाने के लिए मीडिया को फटकार लगाई है। मीडिया द्वारा मामले पर ग्रिल करने की कोशिश से नाराज, लावण्या की मां ने गुस्से में टिप्पणी की, “क्या आप कहना चाहते हैं कि उसने अपने मृत्युकालीन बयान में जो कहा वह झूठा है।”
उनकी कड़ी प्रतिक्रिया तब आई जब एक पत्रकार ने उन्हें बताया कि पुलिस के अनुसार लावण्या पर स्कूल के अधिकारियों द्वारा ईसाई धर्म अपनाने का आरोप झूठा था। पीड़ित मां ने आगे अपनी मृत बेटी की दुर्दशा के बारे में बताते हुए कहा कि सरकारी सहायता प्राप्त ईसाई मिशनरी स्कूल के अधिकारियों द्वारा उस पर अत्याचार और दबाव के कारण उन्होंने अपनी बेटी को आज खो दिया है। मां ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि, “उसे मजबूर किया गया और प्रताड़ित किया गया और अब वह हमारे बीच नहीं है… हम न्याय चाहते हैं।”
छात्रा की मां ने स्कूल अधिकारियों को ठहराया जिम्मेदार
छात्रा की मां ने खुलासा किया कि उसकी बेटी पर पिछले दो वर्षों से ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डाला जा रहा था। लावण्या की मां ने याद किया कि कैसे स्कूल ने सीधे उनसे बच्चे को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए कहा था। पीड़ित मां ने कहा, “आप अपनी बेटी को कैसे पढ़ाएंगे, उसे हमारे जैसा बनने दो। अगर वह हमारी तरह बनती है, तो उसे वह सम्मान और कद मिलेगा जिसकी वह हकदार है।”
उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर उनकी वार्डन से भी लड़ाई हुई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने आगे कहा कि, “उन्होंने मेरी बेटी को परेशान करना जारी रखा। वे उसे बताते थे कि वह एक होनहार छात्रा है और यहां तक कि उसे धमकी भी दी कि अगर उसने ये बातें हमें बताईं तो वे उसके चरित्र के बारे में अफवाहें फैलाएंगे। शायद यही कारण है कि उसने हमें कुछ भी नहीं बताया।”
उन्होंने आगे कहा कि “मैंने लावण्या का स्कूल से ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) मांगा लेकिन उस समय कोविड के कारण स्कूल बंद था।“ हम स्कूल के फिर से खुलने और TC लेने का इंतजार कर रहे थे ताकि हम किसी अन्य स्कूल में आवेदन कर सकें। हमने पोंगल की छुट्टियों के बाद स्कूल से संपर्क किया और TC मांगी किन्तु उन्होंने मना कर दिया। हमारी बेटी एक उत्कृष्ट छात्रा थी। उसने कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। हम चाहते थे कि वह अपनी पढ़ाई जारी रखे। अगर कक्षा में प्रथम आने वाले छात्र के साथ ऐसा कुछ हो सकता है, तो कल्पना कीजिए कि स्कूल के कम मेधावी छात्रों का क्या होगा?”
मीडिया में फर्जी खबर फैलाने वालों पर दर्ज हुआ मामला
इस मामले को लेकर K.Annamalai ने ट्वीट करके कहा कि “मदुरै उच्च न्यायालय के आज के फैसले का स्वागत है और मृतक छात्रा को उसकी गरिमा प्राप्त करने दो। अब तक इस मामले में माता-पिता को परेशान करने पर ही फोकस था। इस मामले में मदुरै उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अब पीड़ित को न्याय मिले की उम्मीद है।” आपको बता दें कि 20 जनवरी 2022 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले के थिरुकट्टुपल्ली में कैथोलिक शिक्षा संस्थान, सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्रावास में रहने वाली 17 वर्ष की एक छात्रा की जहर खाने से मौत हो गई।
Very sad day to see @tnpoliceoffl losing all its hard earned reputation by its irresponsible statements.
When there is a clear video testimony by the girl of forced conversion, the local police is hell bent on changing the course of the case of Lavanya.#JusticeforLavanya https://t.co/VdgLdldFzw
— K.Annamalai (மோடியின் குடும்பம்) (@annamalai_k) January 20, 2022
बताते चलें कि इस गंभीर मामले को लेकर तंजावुर के पुलिस अधीक्षक जी रावली प्रिया ने 17 वर्षीय छात्रा की मौत की फर्जी खबर (किशोर छात्रा ने 9 जनवरी को जहर खा लिया और तिरुकट्टुपल्ली पुलिस को 15 जनवरी को उसके माता-पिता से पहली सूचना मिली) फैलाने वालों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम और कुछ IPC धाराओं के प्रावधानों को लागू करके कार्रवाई की चेतावनी दी। पुलिस ने IPC की धारा 305 (बच्चे को आत्महत्या के लिए उकसाना), धारा 75 (बच्चे के साथ क्रूरता के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया और 82(1) (बच्चे को अनुशासित करने के उद्देश्य से शारीरिक दंड देना) किशोर न्याय अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।