गलनांक किसे कहते है?
आज के लेख में हम बात करेंगे कि गलनांक किसे कहते है एवं बर्फ का गलनांक कितना होता है? किसी ठोस पदार्थ का वह तापमान जिस पर वह ठोस पदार्थ गलने लगता है. उसे गलनांक कहा जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब किसी ठोस पदार्थ को गर्म किया जाता है तो इस ठोस पदार्थ के कणों की गतिज ऊर्जा में वृद्धि होने लगती है.
ऊष्मा की वजह से ठोस के कणों को ऊर्जा प्राप्त होती है जिसके कारण ये आकर्षण बल को पार कर जाती है और दूर जाने का प्रयास करते है. जिसके कारण ठोस पदार्थ के कण अपनी नियत स्थिति को छोड़कर स्वतंत्र गति करने लगते है और दूर दूर चले जाते है. सामान्यता ठोस पदार्थ के कणों के मध्य बहुत कम दूरी होती है. लेकिन ताप देने के कारण जब इन कणों में कम्पन्न बढ़ने लगता है तो ठोस पदार्थ के कणों के मध्य की दूरी भी बढ़ने लगती है.
किसी ठोस पदार्थ का गलनांक वह तापमान होता है जिस पर वह अपनी ठोस अवस्था से पिघलकर द्रव अवस्था में पहुँच जाता है. गलनांक पर ठोस और द्रव प्रावस्था साम्य अवस्था में होती हैं. जब किसी पदार्थ की अवस्था द्रव से ठोस अवस्था में परिवर्तित होती है तो जिस तापमान पर यह होता है उस तापमान को हिमांक कहा जाता है.
कई पदार्थों में परम शीतल होने की क्षमता होती है, इसलिए हिमांक को किसी पदार्थ की एक विशेष गुण नहीं माना जाता है.
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गलनांक किसे कहते है?
इसके विपरीत जब कोई ठोस एक निश्चित तापमान पर ठोस से द्रव अवस्था ग्रहण करता है वह तापमान उस ठोस का गलनांक कहलाता है.
पिघलना ठोस से तरल में अवस्था का परिवर्तन है. यह पिघलने वाले बिंदु से ऊपर के तापमान पर होता है, जो ऐसा तापमान है जिस पर ठोस और तरल संतुलन में मौजूद हो सकते हैं.
1. बर्फ की बात करें तो बर्फ 0 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर तरल पानी को पिघला देता है.
2. मक्खन भी एक फ्राइंग पैन में पिघला देता है.
3. मोमबत्ती जब जलती है तो उसकी लौ की गर्मी से मोमबत्ती का मोम पिघलने लगती है.
4. कई प्लास्टिक की वस्तुओं को इंजेक्शन मोल्डिंग द्वारा बनाया जाता है, जिसमें प्लास्टिक को पिघलाया जाता है, एक मोल्ड में निचोड़ा जाता है और एक ठोस में वापस जमने दिया जाता है.
5. कई धातु की वस्तुओं को पिघला कर बनाया जाता है. जिसमें उसे एक सांचे में डाला जाता है और एक ठोस में वापस जमने दिया जाता है.
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बर्फ का गलनांक कितना होता है :-
बर्फ का गलनांक वायुमंडलीय दाब पर 0⁰C होता है बर्फ इस ताप पर जल में परिवर्तित होने लगती है
गलनांक पर दाब का प्रभाव :-
गलनांक पर दाब का प्रभाव पड़ता है जैसे
• वे पदार्थ जो गलने पर संकुचित होते है जैसे – जल , रबर आदि उनके लिए दाब बढ़ने पर गलनांक घटता है. इसका कारण यह है कि दाब संकुचन में सहायक होता है अत: गलने में भी सहायक होता है.
• सामान्यतया अधिकांश पदार्थ गलने पर फैलते है जैसे मोम , सल्फर आदि. , ऐसे पदार्थों का दाब वृद्धि गलने का विरोध करती है. अत: गलनांक में वृद्धि हो जाती है.
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