प्राचीन महावीर हनुमान मन्दिर पटना का इतिहास, प्रसाद एवं विस्तार

प्राचीन महावीर हनुमान मन्दिर पटना

प्राचीन महावीर हनुमान मन्दिर पटना

पटना में स्थित महावीर मन्दिर भगवान श्री हनुमान जी को समर्पित सबसे बड़ा एवं पवित्र हिंदू मन्दिरों में से एक है. महावीर हनुमान मन्दिर पटना उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध मन्दिर है. मन्दिर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर की ख्याति देश-विदेश में मनोकामना पूरी करने वाले मन्दिर के रूप में है. जहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. नए भव्य मन्दिर का जीणोर्द्धार साल 1983 से 1985 के बीच किया गया था.

इस मन्दिर में रामभक्त हनुमान जी की युग्म प्रतिमाएं एक साथ हैं. पहली ‘परित्राणाय साधूनाम्’ जिसका अर्थ है अच्छे व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए और दूसरी ‘विनाशाय च दुष्कृताम्’ जिसका अर्थ है दुष्ट व्यक्तियों की बुराई दूर करना है. यह हिन्दुओं की आस्था का सबसे बडा केंद्र माना जाता है. महावीर मंदिर का क्षेत्रफल करीब 10 हजार वर्ग फुट है. मंदिर परिसर में आगंतुकों और भक्तों की सभी जरूरी सुविधाएं मौजूद है. मंदिर परिसर में प्रवेश करने के पश्चात बायीं तरफ एक चबूतरे पर सीढ़ियों की श्रृंखला है, जो गर्भगृह की ओर जाती है. है.

महावीर हनुमान मन्दिर पटना का विस्तार

मन्दिर के पुनर्निर्माण के दौरान आयोजित किए गए ‘कार सेवा’ में हजारों भक्तों ने भाग लिया. मंदिर की पहली मंजिल पर चार गर्भगृह हैं. इनमें एक भगवन राम का मंदिर है. जहां से इस मंदिर का प्रारंभ होता है. वहीं राम मंदिर के पास भगवान कृष्ण का चित्रण किया गया है. जिसमें वे अजुर्न को धमोर्पदेश दे रहे है. इसके बाद अगला देवी दुर्गा का मंदिर है. इसके बाद भगवान शिव, ध्यान करती माँ पार्वती और नंदी-पवित्र बैल की मूर्तियां हैं जो लकड़ी के कटघरे में रखी गयी हैं.

लकड़ी के कटघरे में शिव जी के ज्योतिर्लिंग को स्थापित किया गया है. इसी मंजिल पर एक अस्थायी राम सेतु भी है. इसे कांच के एक पात्र में रखा गया है जिसका वजन तकरीबन 15 किलोग्राम है. जिस तरह रामसेतु समुद्र की लहरों पर तैर रहा है. उसी तरह रामसेतु का यह टुकड़ा पानी में तैर रहा है.

इसके अलावा इस मन्दिर के बगल में पीपल का पेड़ भी है, जिसमें भगवान शनिदेव विराजमान हैं.सुबह वाल्मीकि रामायण का पाठ एक दैनिक दिनचर्या है जिसमें सभी महत्वपूर्ण शास्त्रों से नियमित पाठ शामिल हैं.मंदिर की दूसरी मंजिल का प्रयोग अनुष्ठान के लिए किया जाता है.

इस मंजिल पर रामायण के विभिन्न दृश्यों को दिखाया गया है. मन्दिर की दूसरी मंजिल का प्रयोग अनुष्ठान प्रयोजन के लिए किया जाता है. संस्कार मंडप इसी मंजिल पर मौजूद है. यहाँ मंत्रो का उच्चारण, जप, पवित्र ग्रंथो का गायन, सत्यनारायण कथा और अन्य धर्मिक अनुष्ठान किये जाते है. इस मंजिल पर रामायण की विभिन्न दृश्यों का चित्र प्रदर्शन भी किया गया है.

मंदिर में पूरे साल भक्तों की भारी भीड़ रहती है लेकिन रामनवमी के मौके पर बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से आते है और रामनवमी के अवसर पर महावीर मंदिर में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण सहित हनुमान जी की भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है.

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मन्दिर का प्रसाद

महावीर हनुमान मन्दिर पटना की एक और विशेषता इसका प्रसाद “नैवेद्यम” है, जिसे तिरुपति और आंध्र प्रदेश के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाता है. महावीर मन्दिर का नैवेद्यम लडडुओं का पर्याय है जिसे हनुमान जी को अर्पित किया जाता है. संस्कृत भाषा में नैवेद्यम का अर्थ है देवता के समक्ष खाद्य सामग्री अर्पित करना.

इस प्रसाद में बेसन, चीनी, काजू, किशमिश, हरी इलायची, कश्मीरी केसर समेत अन्य सामग्री डालकर घी में पकाया जाता है और गेंद के आकार में बनाया जाता है. नैवेद्यम बनाने में प्रयोग की जाने वाली केसर कश्मीर के पंपोर जिले के उत्पादकों से सीधे मंगाई जाती है जिसे कश्मीर में सोने (केसर) की भूमि के नाम से जाना जाता है.

महावीर हनुमान मन्दिर पटना की का इतिहास

सन् 1948 ईस्वी पटना उच्च न्यायालय ने महावीर हनुमान मन्दिर को सार्वजनिक मन्दिर घोषित कर दिया था. नए भव्य मन्दिर का विनिर्माण सन् 1983 ईस्वी से सन् 1985 ईस्वी के बीच माननीय आचार्य किशोर कुणाल और उनके भक्तो के योगदान से किया गया था.

मन्दिर में श्री हनुमान जी की दो युग्म प्रतिमाएं एक साथ हैं, पहली परित्राणाय साधूनाम् जिसका अर्थ है अच्छे व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए और दूसरी विनाशाय च दुष्कृताम् जिसका अर्थ है दुष्ट व्यक्तियों की बुराई दूर करने के लिए. ये मन्दिर सन् 1900 ईस्वी से रामानंद संप्रदाय के अंतर्गत आता है जबकि सन् 1948 ईस्वी तक गोसाईं सन्यासियों के संप्रदाय के अधीन था. आशा करते है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा एवं ऐसे ही लेख और न्यूज पढ़ने के लिए कृपया हमारा ट्विटर पेज फॉलो करें.

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