भारत का कृषि निर्यात वित्तीय वर्ष 2021-22 में इतिहास में पहली बार 50 बिलियन डॉलर के स्तर को पार करने वाला है। अप्रैल 2021 से नवंबर 2021 के बीच भारत का कृषि निर्यात पिछले वर्ष की अपेक्षा 23.21 प्रतिशत की वृद्धि कर 31.05 बिलियन डॉलर के स्तर को छू चुका है और अगले आंकड़े आने पर निश्चित रूप से भारत का निर्यात 50 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड को तोड़कर आगे बढ़ेगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के बाद हाल में निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम का परिणाम परिलक्षित हो रहा है। सरकार ने सर्टिफिकेशन के नए तरीकों का प्रयोग शुरू किया है, जिसके अंतर्गत इन उपायों में विभिन्न प्रमाणपत्रों व मान्यताओं की वैधता की समाप्ति अवधि के बाद उनकी वैधता का विस्तार करना शामिल है। सरकार ने निर्यात की समस्याओं का समाधान करने के कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं साथ ही नए परीक्षण केंद्रों की स्थापना को सरल बनाया है।
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FPO ने निभाई है महत्वपूर्ण भूमिका
अन्न निर्यात की बात करें, तो दिसंबर में आई रिपोर्ट के अनुसार अकेले चावल निर्यात ही 33% की वृद्धि प्राप्त कर चुका है। भारत के खाद्यान्न की मांग मुख्य रूप से द० एशिया, हिन्द प्रशांत क्षेत्र के देशों और प० एशियाई देशों में बढ़ी है। कृषि निर्यात में अनाज के साथ ही जलीय उत्पादन जैसे- केकड़े, मछलियां आदि के निर्यात और बागान उत्पादन जैसे- चाय, कॉफी आदि के निर्यात में भी भारी वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, अकेले जलीय निर्यात एक वित्तीय वर्ष में 8 बिलियन डॉलर का होने वाला है, जो स्वयं एक रिकॉर्ड है।
निर्यात का लाभ सीधे किसानों को प्राप्त हो इसके लिए सरकार ने डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के माध्यम से विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को सीधे निर्यात बाजार से जोड़ा है। इसके लिए फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (FPO) स्थापित किए गए, जिससे सीधे तौर पर किसानों को जोड़ा गया और सरकार द्वारा इसकी देखरेख की गई। इसके अलावा सहकारी संस्थाओं का प्रयोग हुआ है। FPO ने विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि इसके माध्यम से सरकार ने छोटे किसानों का समूह बनाकर, उन्हें आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराई है और उनके लिए मार्केटिंग योजना का निर्माण किया है। FPO को इंडियन कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर भी किया जाता है। किसान उत्पादक संगठन का मुख्य उद्देश्य अपने स्वयं के संगठन के माध्यम से उत्पादकों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित करना है।
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कृषि क्षेत्र में लगातार सुधार कर रही है सरकार
कोरोना काल की शुरुआत में भारत सरकार ने कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। भारत वर्षों से कृषि क्षेत्र में अधिशेष उत्पादन कर रहा है, किंतु सप्लाई चेन की खस्ता हालत के कारण निर्यात को बढ़ावा नहीं मिल सका।सरकार ने अब सप्लाई चेन को सुधारा है। सरकार की गति शक्ति योजना कृषि में भी क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है।
एक बार कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग हाउस के साथ ही खेतों तक सड़कों का जाल बिछ जाएगा, तो भारत का कृषि निर्यात और तेजी से आगे बढ़ेगा, क्योंकि उत्पादन तो भारत अभी ही अपनी जरूरत से अधिक कर लेता है। एक महत्वपूर्ण पक्ष होगा कि हम अपने कृषि के आधुनिकीकरण के लिए ‛टेक्नोलॉजी’ का कितना प्रयोग करते हैं। आज आवश्यक है कि एग्रीटेक को बढ़ावा दिया जाए।
गौरतलब है कि सरकार कृषि क्षेत्र में लगातार सुधार कर रही है। कृषि का भारतीय निर्यात में महत्वपूर्ण स्थान है। सरकार का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में 400 बिलियन डॉलर के निर्यात को प्राप्त करने का है एवं कृषि इसमें एक महत्वपूर्ण पक्ष है। सरकार की इस बात के लिए विशेष रूप से प्रशंसा होनी चाहिए कि निर्यात में वृद्धि प्रशासनिक मशीनरी का उपयोग करके ही कर की गई है, जबकि भारत की ब्यूरोक्रेसी की हालत से हम सभी भलि-भांति परिचित हैं।
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