इंद्रधनुष कैसे बनता है?
स्वागत है आपका आज के इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे यही कि इंद्रधनुष कैसे बनता है, इसकी खोज किसने की, इंद्रधनुष के प्रकार और इसके बारें में रोचक तथ्य. इंद्रधनुष देखने में जितना सुंदर लगता है. उतना ही विचत्र भी है. जब सूर्य की किरने वायुमंडल में उपस्थित वर्षा की छोटी-छोटी बूंदो पर पड़ती है इंद्रधनुष दिखाई देता है. वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है. पानी के फुहारे पर दर्शक के पीछे से सूर्य किरणों के पड़ने पर भी इंद्रधनुष देखा जा सकता है.
इंद्रधनुष कैसे बनता है इसकी खोज सबसे पहले किसने की थी ?
चलिए इंद्रधनुष को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझते हैं. सूर्य का प्रकाश जब धरती पर पढ़ता है तो यह देखने में सफेद दिखाई देता है. पर यदि हम उसे किसी प्रिज्म में से निकालेंगे तो हमें उसकी रोशनी अलग-अलग कलर में दिखाई देंगी. इस प्रकाशीय विक्षेपण की घटना से ही इन्द्रधनुष बनाता है. आपकों बता दें इंद्रधनुष कैसे बनता है इसकी खोज सबसे पहले रने डॅकार्ट ने की थी.
जिन्होने सन 1637 में पता लगाया कि इंद्रधनुष कैसे बनता है? इंद्रधनुष सूर्य की रोशनी के बारिश की बूंदों से गुजरने पर रिफ्लेक्ट (वर्ण विक्षेपण) होने पर बनता हैं. वहीं इंद्रधनुष के रंगों में बैंगनी और नारंगी रंग 1666 में आइजैक न्यूटन ने जोड़ा था, इससे पहले इंद्रधनुष में केवल 5 रंग माने जाते थे.
सरल शब्दों में समझने की कोशिश करें कि इंद्रधनुष कैसे बनता है? तो जब बारिश होती है तो कभी कभी बारिश की कुछ बूंदे आकाश में बड़े आकार में रह जाती हैं और जब सूर्य की किरणें इन बादलों में से होकर गुजरती है धरती पर आते समय सात अलग-अलग प्रकार के कलर में परिवर्तित हो जाती हैं जो आपको नीचे से देखने पर सतरंगी इंद्रधनुष के रूप में दिखाई देती है. इन्द्रधनुष को सुबह के समय पश्चिम दिशा मे और शाम के समय में पूर्व दिशा में देखा जा सकता है. इंद्रधनुष हमेशा बरसात के समय दिखाई देता है . वहीं इंद्रधनुष तभी दिखाई देता है जब सूरज आपके पीछे की तरफ हो ना कि सामने.
इन्द्रधनुष में 7 रंग होते है- लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी, बैंगनी ज्यादातर लाल सबसे बाहर और बैंगनी सबसे अंदर होता है. कई बार तो दो-दो rainbow दिखाई देते हैं. ऐसा तब होता है जब
एक ही जगह मौजूद बूंदें धूप के संपर्क में आती हैं. पहले Rainbow से निकली रंगीन रोशनी जैसे ही सफेद में बदलती है, वैसे ही उसका संपर्क दूसरी बूंदों से हो जाता है और फिर प्रकाश अलग अलग रंगों में बिखर जाता है, लेकिन उसके रंग उल्टे क्रम में होते हैं.
इंद्रधनुष के बारे में रोचक तथ्य
चाँद की रोशनी से भी इंद्रधनुष बनता है. जिसे Moonbow कहा जाता है. वहीं कोहरे से बनने वाले इंद्रधनुष को Fogbow कहा जाता है. यह इंद्रधनुष बहुत ही दुर्लभ होता है.आपकों ता दें कोई भी दो इंसान एक जैसा इंद्रधनुष नही देख सकता. अलग स्थान पर खड़े होने के कारण उसे इंद्रधनुष भी अलग ही दिखाई देगा.हालांकि आप दोनों को लग सकता हैं कि आप एक ही इंद्रधनुष देख रहे हैं लेकिन वास्तव में आप दोनों अलग इंद्रधनुष ही देख रहें होते हैं. वहीं आप इंद्रधनुष को छू नही सकते हैं.
सौर मंडल में पृथ्वी और शनि ग्रह का चंद्रमा टाइटन दो ऐसी जगह हैं जहाँ इंद्रधनुष बनना संभव हैं. टाइटन पर इंद्रधनुष का कोण 42 डिग्री की बजाय लगभग 49 डिग्री होता हैं.दो इंद्रधनुष के बीच के गाढ़े भाग को अलेक्जेंडर बैंड कहा जाता हैं. इसे पहली बार 200 ईस्वी में अलेक्जेंडर ने परिभाषित किया था.’इंद्रधनुष’ शब्द लेटिन भाषा के ‘arcus pluvius’ शब्द से लिया गया है. जिसका अर्थ होता है “बरसात की चाप”.
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इंद्रधनुष दो प्रकार के होते हैं
1.प्राथमिक इंद्रधनुष,
2 द्वितीयक इंद्रधनुष
1. प्राथमिक इंद्रधनुष-प्राथमिक इंद्रधनुष में लाल रंग बाहर की ओर और बैगनी रंग अंदर की ओर होता है. तथा शेष रंगीन दोनों रंगों के बीच में होते हैं. प्राथमिक इंद्रधनुष में बैगनी किरण आंख पर 40.8 डिग्री तथा बाहर वाली लाल किरण आंख पर 42.8 डिग्री का कोण बनाती है.यह एक साधारणत दिखाई देने वाला इंद्रधनुष होता है. क्योंकि जब वर्षा की बूंदों पर आपतीत होने वाली सूर्य की किरणों का दो बार अपवर्तन व एक बार परिवर्तन होता है तो प्राथमिक इंद्रधनुष बनता है.
2. द्वितीयक इंद्रधनुष- द्वितीयक इंद्रधनुष प्राथमिक इंद्रधनुष की तुलना में धुंधला दिखाई पड़ता है. वहीं द्वितीय इंद्रधनुष में बाहर वाली बैगनी किरण आंख पर 54.52 डिग्री तथा अंदर वाली लाल किरण 50.8 डिग्री का कोण बनाती है. यह जब बनता है जब वर्षा की बूंदों पर सूर्य की किरणों का दो बार अपवर्तन व दो बार परिवर्तन होता है. द्वितीयक इंद्रधनुष में बाहर की और बैगनी रंग तथा अंदर की तरफ लाल रंग रहता है.
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