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ककोलत जलप्रपात – बिहार में स्थित एक अतुलनीय झरना, कैसे पहुंचे?

TFI Desk द्वारा TFI Desk
3 January 2022
in यात्रा
ककोलत जलप्रपात
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नवादा जिले का खूबसूरत जलप्रपात

ककोलत जलप्रपात एक बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी के निकट बसा हुआ एक झरना है. यह झरना ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भों से युक्‍त है. यह झरना नवादा जिले से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह एक ऐसा ककोलत जलप्रपात है जो सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज से देश के किसी भी जलप्रपात से कम नहीं है. यह जिस पहाड़ी पर बसा है. उस पहाड़ी का नाम भी ककोलत है. ककोलत क्षेत्र खूबसूरत दृश्‍यों से भरा हुआ है. लेकिन इन खूबसूरत दृश्‍यों में भी सबसे चमकता सितारा यहां स्थित ठण्‍ढे पानी का झरना है. इस झरने के नीचे पानी का एक विशाल जलाशय है.

ककोलत जलप्रपात की ऊँचाई 160 फुट है. ठण्‍ढे पानी का यह झरना बिहार का एक प्रसिद्ध झरना है. गर्मी के मौसम में देश के विभिन्‍न भागों से लोग पिकनिक मनाने यहां आते हैं. इस झरने में 150 से 160 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है. इस झरने के चारो तरफ जंगल है. यहां का दृश्‍य अदभुत आकर्षण उत्‍पन्‍न करता है. यह दृश्‍य आंखो को ठंडक प्रदान करता है.

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ककोलत जलप्रपात पौराणिक संदर्भ

इस झरने के संबंध में एक पौराणिक बात काफी प्रचलित है. इस वाक्यांश के अनुसार त्रेता युग में एक राजा को किसी ऋषि मुनि ने शाप दे दिया. ऋषि के शाप के कारण राजा अजगर बन गया और वह यहां रहने लगा. कहा जाता है कि द्वापर में पाण्‍डव जब अपना वनवास काट कर यहां आए थे. तब उनके आशीर्वाद से इस शापयुक्‍त राजा को ऋषि के शाप से मुक्ति मिली थी. शाप से मुक्त होने के बाद राजा ने भविष्‍यवाणी की कि जो कोई भी इस झरने में स्‍नान करेगा, वह कभी भी सर्प योनि में जन्‍म नहीं लेगा. इसी कारण दूर-दूर से लोग इस झरने में स्‍नान करने के लिए आते हैं.

वहीं आजादी से पूर्व घने जंगल और दुर्गम रास्तों के बावजूद यह जलप्रपात अंग्रेजों के लिए गर्मी में प्रमुख पर्यटक केंद्र हुआ करता था. वैशाखी और चैत्र सक्रांति के अवसर पर विषुआ मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेला को ककोलत आने का औपचारिक शुरूआत भी माना जाता है,,क्योंकि यह गर्मी के शुरूआत में मनाया जाता है.

और पढ़े: पटना का गोलघर – पटना की खास पहचान 235 साल का हो गया है

ककोलत जलप्रपात कैसे पहुंचे?

वायु मार्ग

यहां का निकटतम हवाई अड्डा गया में है. लेकिन यहां वायुयानों का नियमित आना जाना नहीं होता है. इसलिए वायु मार्ग से यहां आने के लिए पटना के जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा आना होता है. यहां से सड़क मार्ग द्वारा ककोलत जाया जा सकता है.

रेल मार्ग

नवादा में रेलवे स्‍टेशन है जो गया – क्यूल रेलखंड से जुड़ा हुआ है. गया जंक्‍शन रेल मार्ग द्वारा देश से सभी शहरो से जुड़ा हुआ है. कोडरमा स्टेशन से भी बस पकड़ कर थाली मोड़ आया जा सकता है.

सड़क मार्ग

यह झरना बिहार राज्‍य के नवादा शहर से 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोविन्‍दपुर पुलिस स्‍टेशन के निकट स्थित है. नवादा से राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 31 पर 15 किलोमीटर दक्षिण रजौली की ओर जाने पर फतेहपुर से एक सड़क अलग होती है. इस सड़क को गोविन्‍दपुर-फतेहपुर रोड के नाम से जाना जाता है.

बिहार में कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध नवादा जिले के गोविंदपुर प्रखंड के अंतर्गत पड़ने वाले प्राकृतिक पर्यटन स्थल ककोलत जलप्रपात पर अस्तित्व मिटने का खतरा मंडराने लगा है. जबकि विकास के इस दौर में इसे सबसे ऊपर होना चाहिए था. लेकिन विकास के कार्यों में इसका कोई स्थान नहीं हैं. इसका विकास न होने से यहां के लोग नाराज हैं. यहां के लोगों का मानना है कि यदि ककोलत जलप्रपात को सरकारी प्रयास से विकसित कर दिया जाए तो यहां विदेशी सैलानियों की भीड़ लगी रहेगी. साथ ही लोगों के रोजगार के अवसर पैदा होंगे. आशा करते है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा एवं ऐसे ही लेख और न्यूज पढ़ने के लिए कृपया हमारा ट्विटर पेज फॉलो करें.

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