पंजाब के मोगा फ़िरोज़पुर फ्लाईओवर पर भारत के प्रधानमंत्री को बिना किसी सुरक्षा और प्रोटोकॉल के 20 मिनट रोका जाना एक शर्मनाक घटना है। पीएम की सुरक्षा में हुई चूक को उच्चतम न्यायालय ने त्वरित संज्ञान में लिया। हालांकि, खालिस्तान की मांग करने वाले कट्टरपंथी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने इसकी ज़िम्मेदारी ले ली है। खबर है कि सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड (एओआर) को कथित तौर पर इस खालिस्तानी समूह सिख फॉर जस्टिस (SFJ) से धमकी भरे फोन आए। फोन करने वाले ने अधिवक्ताओं और जजों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मदद नहीं करने को कहा।
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अज्ञात फोन कॉल
फोन कॉल के माध्यम से एक अंजान व्यक्ति ने कहा, “यह संदेश उन उच्चतम न्यायाधीशों के लिए है, जो आज मोदी की याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं। मोदी शासन की मदद न करें और न पंजाब के सिख किसानों के खिलाफ मामले दर्ज करें। SFJ फिरोजपुर में मोदी के रास्ते को अवरुद्ध करने के लिए जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों!! 1984 सिख नरसंहार को याद रखो। क्या आपको आजतक एक भी हत्यारा नहीं मिला? आप सिख किसानों की हजारों मौतों पर भी चुप थे। अगर आप आज मोदी की मदद करते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों!!! यह आपके द्वारा किया जाने वाला सबसे शर्मनाक कार्य होगा। यह संदेश ‘SFJ’ की जनरल काउंसिल, संयुक्त राज्य अमेरिका से है और हम पंजाब में मोदी को रोकने की जिम्मेदारी लेते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (10 जनवरी) को पंजाब में पीएम की सुरक्षा में हुई चूक की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक समिति नियुक्त की, जो शीघ्रताशीघ्र अपना रिपोर्ट पेश करेगी। गौरतलब है कि पीएम मोदी 5 जनवरी को कई जनसभाओं में हिस्सा लेने हेतु पंजाब पहुंचे थे। उनका काफिला पंजाब के फिरोजपुर में एक फ्लाईओवर पर 20 मिनट से अधिक समय तक फंसा रहा, क्योंकि कुछ ‘प्रदर्शनकारियों’ ने रास्ता रोक दिया था। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कई खामियां पाई गई, जिसे लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
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गृह मंत्रालय का निर्देश
सुरक्षा चूक का संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय (एमएचए) ने एक प्रेस बयान जारी किया। जिसमें कहा गया है कि ‘गृह मंत्रालय (एमएचए) ने इस गंभीर सुरक्षा चूक का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। राज्य सरकार को भी इस चूक की जिम्मेदारी तय करने और सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है।‘
प्रेस रिलीज में कहा गया कि “प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और यात्रा योजना के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही बता दिया गया था। प्रक्रिया के अनुसार, उन्हें रसद, सुरक्षा के साथ-साथ एक आकस्मिक योजना तैयार रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया था। इसे देखते हुए आकस्मिक योजना के तहत पंजाब सरकार को सड़क मार्ग को किसी भी आंदोलन से सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा तैनात करनी थी, जो स्पष्ट रूप से तैनात नहीं थे।”
पीएम प्रोटोकॉल और वकीलों को धमकी
दरअसल, जब प्रधानमंत्री किसी राज्य का दौरा करते हैं तो मुख्यमंत्री, राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव प्रधानमंत्री की अगवानी करते हैं और उनके साथ जाते हैं। लेकिन पंजाब के मामले में प्रधानमंत्री के काफिले से सभी नदारद थे। राज्य के गृह मंत्री, गृह सचिव और फिरोजपुर के जिला कलेक्टर भी पीएम के काफिले से गायब थे, जिसे लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर खालिस्तानियों से धमकी भरा कॉल प्राप्त करने वाले एक अधिवक्ता विष्णु जैन ने टाइम्स नाउ को बताया कि “मुझे दो कॉल आए। इसमें कहा गया कि हम पीएम के काफिले को रोकने की जिम्मेदारी लेते हैं। यह 47 सेकंड का पहले से रिकॉर्ड किया गया संदेश था।”
बताते चलें कि पंजाब में आजकल कुछ सही नहीं हो रहा है। चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू और कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर फिर से खालिस्तानियों को संगठनात्मक शक्ति प्रदान की है। अब इस शक्ति ने दुस्साहस दिखाते हुए भारत के प्रधानमंत्री का काफिला रोक दिया, जो कि सोचनीय विषय है।
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