“मोदी की तारीफ कैसे की?”, PM मोदी की सराहना करने पर लिबरलों ने रस्किन बॉन्ड को किया ‘Cancel’

अब रस्किन बॉन्ड भी संघी हो गए?

ए लिटिल बुक ऑफ इंडिया

जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है, ऐसे ही हाल इन दिनों लिबरल गैंग के उन खाताधारकों का है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सुनते ही आगबबूला हो जाते हैं। उन्हें बस मुद्दा चाहिए मोदी विरोध के लिए, और जब मुद्दा नहीं मिलता तो वो मुद्दा बना देते हैं। दरअसल, प्रख्यात लेखक रस्किन बॉण्ड की एक किताब  “ए लिटिल बुक ऑफ इंडिया: सेलिब्रेटिंग 75 इयर्स ऑफ इंडिपेंडेंस” के अंतर्गत छपे कुछ अंशों पर लिबरल गुट इस बार लेखक पर ही आक्रामक हो गया। लिबरल गैंग का झंडा उठाने वालों ने इसी सन्दर्भ में अब रस्किन बॉण्ड को “संघी” बोलना भी शुरू कर दिया। ट्विटर समेत अन्य सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों यह गुट सक्रिय रूप से अपने आधे-अधूरे तथ्य दर्शाकर यह जताना चाह रहा है कि रस्किन बॉण्ड पूर्ण रूप से एक संघी और मोदी समर्थक हैं।

ब्रिटिश मूल के प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉण्ड ने हाल ही में अपनी नई पुस्तक “ए लिटिल बुक ऑफ इंडिया: सेलिब्रेटिंग 75 इयर्स ऑफ इंडिपेंडेंस” का विमोचन किया जिसका आधार उनके भारत में बीते 84 वर्ष हैं। बॉण्ड को आज के परिवेश में भारतीय लेखनी जगत का स्तंभ माना जाता है, कई बेस्टसेलिंग किताबें लिखने के बाद उन्हें पद्मश्री भी दिया गया है। ज्ञात हो कि, उन्होंने ए लिटिल बुक ऑफ इंडिया पुस्तक के माध्यम से अपने अनुभवों को साझा करने का प्रयास किया कि कैसे उनके जीवन का सर्वाधिक कालखंड भारत में बीता।

दरअसल, इस पुस्तक को रस्किन बॉण्ड ने भारत के “भौतिक और आध्यात्मिक” गुणों के समामेलन के रूप में वर्णित किया है। इसी संदर्भ में ए लिटिल बुक ऑफ इंडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में भी कुछ शब्द हैं। बस इसी बात पर मिर्ची का प्रसार ऐसा हुआ कि एक वर्ग द्वारा रस्किन बॉण्ड को संघी कहा जाने लगा।

यूं तो बॉण्ड ने ए लिटिल बुक ऑफ इंडिया पुस्तक में और भी कई राजनेताओं का ज़िक्र किया है पर लिबरल गुट के पेट में मरोड़े सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर उठे। दिलचस्प बात यह है कि रस्किन बॉन्ड ने भारत के कुछ पूर्व प्रधानमंत्रियों जैसे जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह के नाम भी शामिल किए हैं, लेकिन लेफ़्ट ब्रिगेड को सिर्फ एक ही नाम चुभा, जो था नरेंद्र मोदी का।

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87 वर्षीय लेखक ने पुस्तक में लिखा, “यह इस अनूठी भूमि की मेरी कुछ यादों और प्रकाशित कुछ पहलुओं का एक संकलन है।”

भारत में अपने जीवन के 84 वर्ष बिता चुके बॉन्ड ने कहा कि, “वह अपने लाखों साथी नागरिकों के साथ भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाना उचित समझते हैं। हम अपनी आजादी का जश्न अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं। मैं इसे लिखित रूप के साथ मनाता हूं।”

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लेकिन यह पहली बार नहीं है जब रस्किन बॉण्ड को संघी कहा गया, वर्ष 2018 में भी बॉण्ड को इसलिए संघी कहा था क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा था कि, ”स्वच्छ भारत अभियान के बाद से भारत और भी स्वच्छ दिखने लगा है।’

 

कसौली (हिमाचल प्रदेश) में जन्मे और जामनगर, देहरादून, नई दिल्ली और शिमला में पले-बढ़े बॉण्ड को साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार, पद्म श्री और पद्म भूषण सहित अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से पुरुस्कृत किया जा चुका है। इसके बावजूद उन्हें आज इस वजह से संघी कहा जा रहा है क्योंकि उन्होंने आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए अपने पुस्तक में उनके बारे में कुछ शब्द लिख दिये।

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यह तो सच है कि रस्किन बॉण्ड केवल भारत में ही नहीं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय पटल पर प्रसिद्ध प्रख्यात लेखक हैं, परंतु उनकी लेखनी पर सवाल खड़े करने वालों को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि क्या वो कभी देश के लिए उपयोगी साबित हुए हैं? रस्किन बॉण्ड ने अपना सारा जीवन समर्पण भाव से भारत को दिया और इसमें कोई दो राय नहीं है, उन्होने भारत में रहकर, भारत से बारे में पूरे विश्व को परिचित करवाया, परन्तु कुछ लोग यह बात कभी नहीं समझेंगे।

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