पीएम मोदी की घोषणा, देश में अब 26 दिसंबर को मनाया जाएगा ‘वीर बाल दिवस’

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वीर बाल दिवस

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देश में 14 नवंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरु की जयंती के अवसर पर देश में बाल दिवस मनाया जाता है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में पहली बार बाल दिवस 1956 में मनाया गया था, लेकिन उस वक्त बाल दिवस 14 नहीं, बल्कि 20 नवंबर को मनाया जाता था। 1964 में पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद, यह फैसला लिया गया कि उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाए। ध्यान देने वाली बात है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार बाल दिवस को 20 नवंबर के बदले 14 नवंबर को मनाए जाने के लिए संसद में प्रस्ताव तक लेकर आ गई थी, जिसे कानून की भांति पारित कर इसकी तारीख बदल दी गई। अगर इतिहास में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाए जाने का कारण खोजे, तो नेहरु के जन्मदिवस के अलावा विरले ही कुछ मिलेगा। इसी बीच मोदी सरकार ने गुरुगोविंद सिंह के साहिबजादों के साहस और वीरता को उचित सम्मान देते हुए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रुप में मनाए जाने की घोषणा की है।

साहिबजादों को मिलेगा उचित सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 9 जनवरी 2022 को ‘गुरु पर्व’ यानी गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती के अवसर पर एक बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इसी वर्ष से प्रत्येक वर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जायेगा। यह साहिबजादों के साहस और वीरता की एक उचित श्रद्धांजलि होगी। पीएम मोदी ने ट्विटर पर वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि “आज श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर, मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि इस वर्ष से, 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। यह साहिबजादों के साहस और न्याय की उनकी तलाश के लिए एक उचित श्रद्धांजलि है।”

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पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में माता गुजरी, गुरु गोविंद सिंह और उनके साहिबजादों की बहादुरी की सराहना की। सन् 1705 में मुगलों द्वारा गुरुगोबिंद सिंह के दो साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम धर्म कबूल न करने पर सरहिंद के नवाब ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था, माता गुजरी को किले की दीवार से गिराकर शहीद कर दिया गया था।

पीएम ने अपने ट्वीट में कहा, “माता गुजरी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और 4 साहिबजादों की बहादुरी और आदर्श, लाखों लोगों को ताकत देते हैं। वे अन्याय के आगे कभी नहीं झुके। उन्होंने एक ऐसी दुनिया की कल्पना की जो समावेशी और सामंजस्यपूर्ण हो। अधिक से अधिक लोगों को उनके बारे में जानना समय की मांग है।” उन्होंने आगे कहा, “वीर बाल दिवस’ उसी दिन होगा, जिस दिन जोरावर सिंह और फतेह सिंह को एक दीवार में जिंदा सील कर शहीद किया गया था। इन दो महानुभावों ने धर्म के महान सिद्धांतों से विचलित होने के बजाय मृत्यु को प्राथमिकता दी।”

चार साहिबजादे खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह के पुत्र थे। गुरु गोविंद सिंह के चार बेटे थे- अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह। उनके सभी चार बेटों को खालसा में दीक्षित किया गया था और सभी को 19 वर्ष की आयु से पहले मुगलों द्वारा मार डाला गया था। सिख धर्म गुरु गोविंद सिंह के शहीद पुत्रों को उनकी वीरता और बलिदान के लिए ‘चार साहिबजादों’ के रूप में सम्मानित करता है। वह खालसा योद्धा क्रम के चार राजकुमार थे। अजीत सिंह और जुझार सिंह के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उनकी वीरता के आगे बड़े-बड़े योद्धा दांतों तले उंगली दबा लेेते थे। उन्होंने कई दफा मुगल सेनाओं को गाजर-मूली की तरह काट डाला था और युद्ध करते हुए शहीद हो गए थे।

पीएम के फैसले से खुश हैं सिख समुदाय के लोग

बताते चलें कि प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले से सिख समुदाय के लोग काफी खुश हैं। सिख संगठनों ने पीएम के इस कदम की सराहना की है। सिख मदरसा दमदमी टकसाल के प्रमुख बाबा हरनाम सिंह खालसा ने कहा, “प्रधानमंत्री की घोषणा प्रशंसनीय है और 10वें गुरु और उनके पुत्रों की अद्वितीय शहादत से दुनिया को अवगत कराने का एक बड़ा प्रयास है।” अकाल पुरख की फौज के प्रमुख और एसजीपीसी के पूर्व सदस्य एडवोकेट जसविंदर सिंह ने कहा, “नामकरण के बावजूद, यह सिखों के लिए एक अवसर है। अब, यह सिखों पर निर्भर है कि वे इस अवसर का कैसे लाभ उठाते हैं।” गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरु के जन्मदिन पर मनाए जाने वाले बाल दिवस का ऐतिहासिक महत्व यही है कि इस दिन चाचा नेहरू का जन्मदिन है। यह कोई बहुत मजबूत कारण नहीं है, लेकिन अब एकदम सही दिशा में मजबूती के साथ वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा कर, प्रधानमंत्री ने बच्चों के भीतर हमारे वीर योद्धाओं को जिंदा रखने का सार्थक प्रयास किया है।

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