रेल मंत्रालय ने किया है RRB NTPC कटऑफ में ब्लंडर, इसमें संशोधन का यही है सही समय

सरकार की लापरवाही या सेलेक्शन बोर्ड की गलती!

RRB NTPC आंदोलन

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पूर्वांचल क्षेत्र में एक कहावत कही जाती है, “लइकन खातिर त बड़का गांव लूटा गइल।” मतलब लड़को के लिए तो बड़ा-बड़ा गांव लूट गया। छात्र भावुक होते हैं, अपने हकों के लिए मुखर होते हैं। आपातकाल से लेकर मंडल आयोग तक, छात्रों के गुस्से के सामने बड़ी बड़ी सरकारों ने घुटने टेक दिए हैं। अभी हाल ही में RRB NTPC आंदोलन को देख लीजिए। जिस दिन देश ने गणतंत्र दिवस मनाया था, उस दिन छात्रों द्वारा रेलवे की नौकरियों की परीक्षा के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन किया गया था। गणतंत्र दिवस के अवसर पर हुए RRB NTPC आंदोलन में बिहार में एक यात्री ट्रेन में आग लगा दी गई थी और दूसरे पर पथराव किया गया था।

RRB NTPC आंदोलन को लेकर सरकार पर कई तरह के सवाल भी उठे, जिसके बाद रेल मंत्रालय और रेल मंत्री, दोनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी मांगों पर विचार करने की बात कही गई है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि कैसे यह मामला सरकार की लापरवाही से नहीं, बल्कि सेलेक्शन बोर्ड की गलती के कारण आगे बढ़ा है और छात्र प्रदर्शन करने पर विवश हो गए हैं!

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क्यों आंदोलन कर रहे हैं RRB NTPC के अभ्यर्थी?

पिछले 4 दिनों से बिहार और उत्तरप्रदेश में आरआरबी-एनटीपीसी (RRB NTPC) के अभ्यर्थियों का आंदोलन चल रहा है और दिन-प्रतिदिन यह बढ़ता ही जा रहा है। रेलवे, पुलिस और सरकार अपने स्तर पर अभ्यर्थियों को मनाने और इस आंदोलन को रोकने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन अभ्यर्थियों का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ है। 28 जनवरी को कुछ छात्र संगठनों ने आरआरबी-एनटीपीसी की परीक्षा में की गई अनियमितताओं के विरोध में ‘बिहार बंद’ की घोषणा की थी।

बिहार बंद के इस कॉल पर बिहार के कई विद्यार्थी संगठनों के अलावा राजद, जन अधिकार पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टियां सड़कों पर उतरी। हालांकि, रेलवे ने आंदोलनरत अभ्यर्थियों की मांग पर 27 जनवरी को ही एक कमिटी गठित कर दी है, जिसे अभ्यर्थियों की समस्याओं को सुनने के बाद 4 मार्च तक रेल मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।

क्या है RRB NTPC परीक्षा?

रेलवे भर्ती बोर्ड ने वर्ष 2019 में नॉन-टेक्नीकल पॉपुलर कैटेगरी (NTPC) के लेवल-2 से लेवल-6 के 35,281 पदों के लिए भर्तियां निकाली। इसमें 24,281 पद स्नातक स्तर के थे, जबकि 11,000 पद बारहवीं स्तर के। इन पदों के लिए 2 परीक्षाएं 2 अलग-अलग अवधि में ली जाने वाली थी। पहले राउंड की परीक्षा दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 के बीच आयोजित की गई। पहले राउंड की इस परीक्षा में कुल 1.25 करोड़ अभ्यर्थी शामिल हुए थे। पहले राउंड की परीक्षा का परिणाम आरआरबी द्वारा इसी महीने 15 जनवरी को जारी किया गया। इसके अंतर्गत, दूसरे राउंड की परीक्षा के लिए 7,05,446 अभ्यर्थियों को चयनित किया गया। पहले राउंड की परीक्षा के इसी परिणाम के आने के बाद से अभ्यर्थियों में नाराजगी है। जिसके बाद बिहार और उत्तरप्रदेश में कई जगह उग्र विरोध-प्रदर्शन देखने को मिले।

अभ्यर्थियों की मांगें

पहले राउंड की परीक्षा के परिणाम आने के बाद से अभ्यर्थियों में काफी ज़्यादा आक्रोश है। इन अभ्यर्थियों के आरोप हैं कि कई अभ्यर्थी दोनों पदों के लिए चयनित किए गए हैं। इस प्रकार, इन अभ्यर्थियों की आरआरबी से शिकायत है कि परीक्षा के परिणाम में अनियमितता बरती गई है। उनका दूसरा आरोप यह है कि आरआरबी अब ग्रुप-डी के लिए दो परीक्षाएं ले रहा है, जो सही नहीं है। एनटीपीसी अभ्यर्थियों की मांग है कि आरआरबी ‘वन कैंडिडेट-वन रिजल्ट’ के आधार पर फिर से पहले राउंड के परिणाम घोषित करे। साथ ही उनकी दूसरी मांग यह है कि ग्रुप-डी के लिए 2 परीक्षाओं के फैसले को वापस लिया जाय।

आंदोलन के बाद क्या है RRB की प्रतिक्रिया?

एनटीपीसी अभ्यर्थियों के लगातार विरोध-प्रदर्शन के बाद रेलवे ने पहले राउंड की परीक्षा को सस्पेंड कर दिया है और इसके साथ ही रेलवे ने पहले राउंड की परीक्षा में सफल और असफल, दोनों अभ्यर्थियों की शिकयतों को सुनने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। अभ्यर्थियों को कमेटी के सामने अपनी शिकायत रखने के लिए एक ईमेल आईडी भी सार्वजानिक की गई है और अभ्यर्थियों को अपनी शिकायत कमेटी को भेजने के लिए 16 फरवरी तक का समय दिया गया है। इसके बाद कमेटी अभ्यर्थियों की शिकायतों को सुनने के बाद 4 मार्च तक रेल मंत्रालय के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। फ़िलहाल, 15 फरवरी को होने वाले दूसरे राउंड की परीक्षा को भी रद्द कर दिया गया है।

कैसी है अब RRB NTPC आंदोलन की स्थिति?

रेलवे द्वारा कमेटी बनाने के बाद भी 28 फरवरी को कई विद्यार्थी संगठन और अभ्यर्थी ‘बिहार बंद’ के लिए सड़कों पर उतरे। इनके आंदोलन को कई मुख्यधारा की पार्टियों ने भी अपना समर्थन दिया। गौरतलब है कि बिहार के गया और आरा जिले में भीड़ द्वारा ट्रेन के डब्बे में आग लगा दी गई और कई जगह पुलिस पर पथराव भी किया गया। कई वायरल वीडियों में यह भी देखा गया कि पटना और लखनऊ में पुलिस ने छात्रावासों में घुस कर विद्यार्थियों को पीटा है। पुलिस और रेलवे लगातार अभ्यर्थियों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। अब देखना यह है कि RRB NTPC अभ्यर्थियों का यह आंदोलन आगे क्या रुख लेता है।

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छात्रों की बातें सुनने को तैयार हैं रेल मंत्री

सरकार और रेलवे भी छात्रों की बात सुनने को तैयार हैं। बताया जा रहा है कि यह पुराने चयन के तरीके हैं, जिसे बहुत पहले बदल दिया जाना चाहिए था, लेकिन बोर्ड ने ऐसा नहीं किया। अब छात्रों की बात सुनते हुए उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ डॉ शिवम शर्मा ने कहा, “चिंता शॉर्टलिस्टिंग पद्धति के कारण थी, जिसे हम संबोधित कर रहे हैं; हमने प्रयागराज, झांसी और आगरा में फिजिकल आउटरीच कैंप लगाए हैं, जो 16 फरवरी तक सक्रिय रहेंगे। रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) प्रयागराज की वेबसाइट पर भी चिंताएं दर्ज की जा सकती हैं।”

वहीं, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह भी आश्वासन दिया है कि वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च समिति रेलवे नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा उठाई गई चिंताओं को देख रही है। इसके अलावा, आरआरबी के वरिष्ठ अधिकारी भी पूरे मुद्दे को बेहतर ढंग से समझने के लिए छात्रों के समूहों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं।

मामले को शांत करने के लिए, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उम्मीदवारों से अनुरोध किया कि वे इस मुद्दे के संबंध में प्रसारित होने वाली किसी भी खबर पर विश्वास न करें। उन्होंने उम्मीदवारों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ सुना जाएगा और जल्द ही समाधान किया जाएगा। यह सारी समस्याएं बोर्ड के अधिकारियों की लापरवाही से हुआ है। छात्र उग्र हुए, उन्हें ट्रेन नहीं जलाना चाहिए था, लेकिन 3 से 4 साल एक नौकरी को क्लियर करने में लगे और उसमें भी अनियमितता हो तो यह समझ आता है कि छात्रों को कितना गुस्सा आया होगा। भारत सरकार भी संवेदनशील होते हुए छात्रों के हितों को सुन रही है और शायद ऐसे रूढ़िवादी बोर्ड में बदलाव किया जाने का यही सही समय है।

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