रूपक अलंकार किसे कहते हैं एवं रूपक अलंकार के उदाहरण

रूपक अलंकार किसे कहते हैं

रूपक अलंकार किसे कहते हैं

हिंदी विषय में अलंकार एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक पाठ है. यह अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्न है. आज हम आपको अलंकारों की श्रृंखला में रूपक अलंकार किसे कहते हैं, इसकी परिभाषा,उदाहरण के बारे में बताएंगे.

रूपक अलंकार की परिभाषा

जब गुण की अत्यंत समानता की वजह से उपमेय को ही उपमान बता दिया जाता है. यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है. वहीं दूसरे शब्दों में समझा जाए तो जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है.

रूपक अलंकार किसे कहते हैं एवं रूपक अलंकार के उदाहरण

• चरण – कमल बंदौ हरि राई .
यहाँ पर हरि के चरण को कमल का रूप दिया गया है. अतः यहां रूपक अलंकार है.

• मैया मैं तो चंद्र – खिलौना लैहों .
यहाँ पर खिलौने (उपमेय) को चन्द्र ( उपमान) का रूप दिया गया है.अतः यहाँ रूपक अलंकार है.

• पायो जी मैंने राम रतन धन पायो.
दिए गए उदाहरण में राम रतन को ही धन बता दिया गया है. ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है एवं दोनों में अभिन्नता है. यहां आप देख सकते हैं की उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही है. हम जानते हैं की जब अभिन्नता दर्शायी जाती ही तब वहां रूपक अलंकार होता है.
अतः यह उदाहरण रूपक अलंकार के अंतर्गत आएगा.

रूपक अलंकार के भेद

(1) सांग रूपक
(2) निरंग रूपक
(3) परम्परिक रूपक

1.सांगरूपक
उपमेय के अंगों अथवा अवयवों पर उपमान के अंगों अथवा अवयवों का आरोप किया जाता है. उसे सांग रूपक कहते है

उदाहरण-
उदित उदयगिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग .
विकसे सन्त सरोज सब, हरषै लोचन भृंग ॥

2.निरंग-रूपक
जिसमें उपमेय पर उपमान का आरोप होता हो और अंगों का आरोप न होता हो,उसे निरंग रुपक कहते है
उदाहरण-
हैं शत्रु भी यों मग्न जिसके शौर्य पारावार में .

3.परम्परित-रूपक
वह रूपक जिसमें एक आरोप दूसरे आरोप का कारण होता है, वहाँ ‘परम्परित रुपक होता है.
उदाहरण –
महिमा-मृगी कौन सुकृति की, खल-वच-विसिख न बाँची ?
यहाँ महिमा में मृगी का आरोप, दुष्ट वचन में बाण के आरोप के कारण करना पड़ा है. अतः यह परम्परित रूपक अलंकार है.

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रूपक अलंकार के अन्य उदाहरण:

• शशि-मुख पर घूँघट डाले अंचल में दीप छिपाये.
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा आप देख सकते हैं की मुख(उपमेय) पर शशि यानी चन्द्रमा(उपमान) का आरोप है. अतः यह उदाहरण रूपक अलंकार के अंतर्गत आएगा.

• मन-सागर, मनसालहरि, बूड़े-बहे अनेक.
ऊपर दिए गए उदाहरण में मन(उपमेय) पर सागर(उपमान) का एवं मनसा यानी इच्छा(उपमेय) पर लहर(उपमान) का आरोप है. यहां उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही है. अतः यह उदाहरण रूपक अलंकार के अंतर्गत आएगा.

• सिर झुका तूने नीयति की मान ली यह बात. स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदय-जलजात.
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं हृदय जलजात में हृदय(उपमेय) पर जलजात यानी कमल(उपमान) का अभेद आरोप किया गया है. अतः यह उदाहरण रूपक अलंकार के अंतर्गत आएगा.

• मुनि पद कमल बंदिदोउ भ्राता.
मुनि के चरणों (उपमेय) पर कमल (उपमान) का आरोप.

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