एक पवित्र तीर्थस्थल और एक पिकनिक के स्थान में जमीन आसमान का अंतर होता है। यह अंतर बहुत विशाल है एवं इसके सांस्कृतिक निहितार्थ हैं। पिकनिक आधुनिक समाज का चलन है और इस चलन के लिए सैकड़ों वर्षो से मान्यता प्राप्त धर्मस्थलों की पवित्रता भंग नहीं की जा सकती। किंतु भारत के कुछ धर्मस्थल मात्र पिकनिक का स्थान बनकर रह गए हैं। हाल ही में हमने चोल राजा राजेंद्र प्रथम द्वारा 11 वीं सदी में बनवाए गए बृहदेश्वर मंदिर को लेकर भी सवाल उठाए थे कि कैसे UNESCO की छाप पड़ने से यह मंदिर अब पिकनिक स्थान में परिवर्तित हो गया है। अब इसी सूची में एक भव्य जैन मंदिर ‘शिखरजी’ भी शामिल हो गया है, जिसकी पवित्रता को बचाने हेतु सोशल मीडिया अभियान भी शुरु हो गया है। झारखंड के गिरिडीह में पहाड़ पर स्थित यह जैन मंदिर जैन अनुयायियों का महातीर्थ है।
सोशल मीडिया पर लगातार उठ रहे हैं सवाल
टि्वटर पर आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने शिखरजी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि “शिखरजी जैनियों का सबसे पवित्र स्थान है। 24 में से 20 तीर्थंकरों ने यहीं मोक्ष प्राप्त किया था। लेकिन आज ये पिकनिक स्पॉट बनकर बन गया है. यहां लोग खुलेआम मांसाहार और शराब का सेवन करते हैं. जैन धर्म को मानने वाले लोग इस पवित्र स्थान को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।” उन्होंने आगे लिखा कि “जैन पवित्र स्थान को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक वास्तविक अल्पसंख्यक होने के खतरे।”
Shikharji is the holiest place of Jains. 20 out of 24 Tirthankaras attained Moksha here. Today it has become a mere picnic spot where people freely consume non-veg & alcohol.
Jains are struggling to save the holy place. Perils of being a real minority.#बचाओ_पवित्र_तीर्थ_शिखरजी pic.twitter.com/QfxKrqpiqb
— Arun Bothra 🇮🇳 (@arunbothra) January 11, 2022
वहीं, मोटिवेशनल स्पीकर देवेंद्र भाईजी ने भी #बचाओ_पवित्र_तीर्थ_शिखरजी हैशटैग के साथ वीडियो पोस्ट किया और अपने ट्वीट में लिखा कि हमारा पहला कर्तव्य है, हमारे धर्म और तीर्थस्थलों की रक्षा करना। हम सभी को एकता और अखंडता दिखानी होगी, तभी हम अपने तीर्थस्थल और धर्म की सही तरीके से बचा पाएंगे।
Our first duty is to protect our religion and pilgrimages. And we all have to show unity and integrity, only then we will be able to protect our pilgrimage and religion in the right way. #बचाओ_पवित्र_तीर्थ_शिखरजी pic.twitter.com/ZVRE8OyltC
— Devendra Brahmachari (@Dev_Brahmachari) January 11, 2022
दूसरी ओर जैन संत योगभूषण महाराज ने भी एक ट्वीट किया हैय़। अपने ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री समेत तमाम लोगों को टैग किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि जैनधर्म का सर्वोच्च तीर्थ श्री सम्मेदशिखर जी गौरवशाली गरिमा को बचाने एवं अनर्गल असामाजिक गतिविधियों को रोकने के लिए संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे।
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#जैनधर्म का सर्वोच्च तीर्थ श्री #सम्मेदशिखर जी गौरवशाली गरिमा को बचाने एवं अनर्गल असामाजिक गतिविधियों को रोकने के लिए @PMOIndia @narendramodi_in @JharkhandCMO @JharkhandPolice @MinOfCultureGoI संज्ञान लेकर तुरंत उचित कार्यवाही करें ।#बचाओ_पवित्र_तीर्थ_शिखरजी #Jain pic.twitter.com/L5M2JcFbap
— Yog Bhooshan Maharaj (@yogbhooshan) January 11, 2022
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एक अन्य ट्विटर यूजर Jainism_jewells ने इस बारे में टिप्पणी करते हुए लिखा, “यह शर्म की बात है कि जैनियों को अपने सबसे बड़े पूजास्थल “शिखरजी” में मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने का विरोध करना पड़ रहा है।” इस यूजर ने आगे लिखा कि “शिखरजी के आसपास के क्षेत्र में शराब और शराबियों का मिलना बहुत आम बात है। जैनियों को अपनी यात्रा सुबह 3-4 बजे शुरू करनी पड़ती है और इस कारण यह बहुत जोखिम भरा काम हो जाता है।”
It's an matter of shame, that jains have to protest for banning nonveg food at one of their biggest place of worship "shikharji"
How ridiculous it is.
Is this something which we need to ask for ?
Despite knowing our religious sentiments, local authority allows to sell meat. pic.twitter.com/8jo8ULcX9m— Jainism_jewells (@arpitjain__) January 11, 2022
3000 वर्षों से महातीर्थ है ‘शिखरजी’
जैन अनुयायियों के लिए यह तीर्थस्थल 3000 वर्षों से महातीर्थ का स्थान रखता है। तीर्थयात्री झारखंड में स्थित पहाड़ी पर नंगे पैर चढ़ते हैं और वे बिना भोजन और पानी के 27 किमी की परिक्रमा करते हैं। किंतु अब यह तीर्थस्थल पिकनिक का स्थान बन कर रह गया है। यह स्थान पिछले कुछ वर्षों से सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है और सैलानियों की बढ़ती संख्या इससे जुड़ी समस्याएं भी ला रही है। सबसे पहली बात सैलानियों की उपस्थिति ने इस स्थान की पवित्रता को भंग कर दिया है। इस स्थल की परिक्रमा के लिए बनाए गए नियम को सैलानी नहीं मानते, क्योंकि उनका मूल उद्देश्य घूमना है न कि दर्शन करना। जैन अनुयाई भोजन में अत्यधिक नियंत्रित व्यवहार करते हैं। जैन मुनियों के लिए मांस और मदिरा का सेवन प्रतिबंधित है। किंतु जैन अनुयायियों के सबसे पवित्र स्थल पर पर्यटकों की उपस्थिति ने इस क्षेत्र में मांस-मदिरा के सेवन को बढ़ावा दिया है।
वर्ष 2018 में झारखंड सरकार ने एक सरकारी आदेश जारी कर इस स्थान को विश्व का सबसे पवित्र स्थल घोषित किया था और इस स्थान की पवित्रता को शुद्ध रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी। हालांकि, वास्तव में हालात बहुत नहीं बदले हैं और यह बात वर्तमान में चल रहे सोशल मीडिया अभियान से स्पष्ट होती है। शिखरजी महातीर्थ पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है और जैन धर्मावलंबियों ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि पूरे पारसनाथ पहाड़ी को जैन धर्म का आधिकारिक पूजास्थल घोषित किया जाए।
यह सत्य है कि शिखरजी महातीर्थ झारखंड में पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है और इसका आर्थिक लाभ भी राज्य को मिल रहा है। किंतु यहां के प्रशासन और यहां जाने वाले पर्यटकों दोनों की जिम्मेदारी है कि वह इस बात का ध्यान रखें कि तीर्थ स्थान मन और आत्मा की शुद्धि के लिए होते हैं, न कि मानसिक थकावट खत्म करने के लिए। देश में नैनीताल, दार्जिलिंग, शिमला जैसे कई हिल स्टेशन हैं, जहां मेट्रोसिटी में रहने वाले शहरी लोग मनोरंजन और मौजमस्ती के लिए जा सकते हैं, किंतु जब आप किसी पवित्र स्थल की यात्रा करते हैं, तो उसकी पवित्रता का ध्यान रखना वहां जाने वाले पर्यटक की जिम्मेदारी होती है।
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