SC ने NEET-PG काउंसलिंग को दी मंजूरी, डॉक्टरों को मिली कामयाबी

केंद्र सरकार ने पिछले साल ही जारी कर किया था नोटिस!

नीट-पीजी काउंसलिंग

Source- TFIPOST

दिल्ली में पिछले दिनों रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल आयोजित की थी। विवाद नीट-पीजी की काउंसलिंग में हो रही देरी के कारण उपजा था। किंतु अब यह विवाद सुलझ गया है। बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी काउंसलिंग 2021 को हरी झंडी दे दी है। ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण को भी सुप्रीम कोर्ट की ओर से मंजूरी मिल गई है। वहीं, ईडब्लूएस (EWS) के लिए 10 फीसदी आरक्षण इस वर्ष प्रभावी रहेगा।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए रखी गई आय की सीमा से जुड़े विवाद पर बाद में विस्तार से सुनवाई करने की बात कही है। हालांकि, भविष्य में इस कोटे को जारी रखा जाएगा या नहीं, इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट करेगा। मामले में अगली सुनवाई मार्च के दूसरे हफ्ते में की जाएगी। फिलहाल अजय भूषण पांडेय की अध्यक्षता में बनी समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया गया है, अर्थात् केंद्र की तरफ से इस साल के लिए तय किए गए 8 लाख रुपए सालाना आमदनी के पैमाने को ही माना जाएगा।

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केंद्र सरकार ने पिछले साल ही जारी किया था नोटिस

दरअसल, केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष नीट पीजी 2021 में 27 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण देने का फैसला किया था। इस आरक्षण के संबंध में नोटिस जुलाई 2021 में जारी किया गया था, जब नीट पीजी 2021 के आवेदन बंद हो चुके थे और परीक्षा अप्रैल में होनी थी, लेकिन Covid 19 के कारण अप्रैल में होने वाली परीक्षा स्थगित हो गई, जिसे सितंबर 2021 में लिया गया। स्टूडेंट्स इसका विरोध कर रहे थे कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण इस शैक्षणिक सत्र यानी मेडिकल पीजी एडमिशन 2021 से लागू न किया जाए।

सरकार के इस फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि केंद्र सरकार ने परीक्षा की अधिसूचना जारी करने के बाद आरक्षण लागू किया है, इस कारण आरक्षण को इस अधिसूचना के लिए अवैध घोषित करना चाहिए। साथ ही EWS वर्ग को मिलने वाले आरक्षण के लिए 8,00,000 रुपये के आर्थिक आधार को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का पक्ष था कि पूरे देश के लिए एक समान आर्थिक मानदंड लागू करना उचित नहीं है। किंतु सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। केंद्र सरकार ने अधिसूचना में जो बदलाव किए थे, वह परीक्षा शुरू होने के पूर्व ही हुए। साथ ही कोर्ट ने EWS के मुद्दे पर बाद में चर्चा करने की बात कही है।

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SC ने दिया तत्काल नीट-पीजी काउंसलिंग का आदेश

बताते चलें कि यह आरक्षण ऑल इंडिया कोटा में दिया गया है। देश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल उपलब्ध अंडर ग्रेजुएट सीटों का 15 फीसदी और कुल उपलब्ध पोस्ट ग्रेजुएट सीटों का 50 फीसदी कोटा केंद्र सरकार को ऑल इंडिया कोटे के तहत मिलता है। मोदी सरकार ने अपने इसी कोटे में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण का ऐलान किया है। राज्यों को अपने स्तर पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 25 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने नीट-पीजी काउंसलिंग रोक दी थी। हर साल मेडिकल पीजी में आने वाले लगभग 45 हज़ार नए छात्रों का दाखिला न होने से देश भर में जूनियर डॉक्टरों पर काम का बोझ काफी बढ़ गया था। इसे लेकर रेजिडेंट डॉक्टर लगातार आंदोलन कर रहे थे। मामले पर विस्तार से चर्चा मार्च के तीसरे हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में होगी, फिलहाल तत्काल नीट-पीजी काउंसलिंग शुरू करने का आदेश दे दिया गया है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसे समय में आया है, जब दिल्ली में ओमिक्रोन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों में ऐसे बहुत से चिकित्सक हैं, जो MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं, अथवा अब PG की तैयारी में हैं। उनकी नीट-पीजी काउंसलिंग रुकने का विवाद यदि जल्द नहीं सुलझता, तो अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी शुरू हो जाती। किंतु सुप्रीम कोर्ट ने सही समय पर फैसला देकर विवाद को अधिक बढ़ने से रोक दिया है।

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