मणिपुर: चुनाव से पहले ही आ गए चुनाव के नतीजे

मणिपुर में फिर लहराएगा भगवा!

मणिपुर कांग्रेस

देश की सबसे पुरानी पार्टी ‘कांग्रेस’ के पतन की शुरुवात हो चुकी है। 2014 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद से कांग्रेस अपनी शाख बचाने में लगी हुई है, पर वो राजनीती के हर एक मोर्चे पर फेल हो रही है। कांग्रेस आज़ादी के बाद से अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है जिसका मुख्य कारण है कांग्रेस का घटता जनाधार और उनकी पार्टी के भीतर आपसी मतभेद होना।

आपको बता दें कि बीते कई वर्षों से कांग्रेस के बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना भी कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किल खड़े कर रहा है। पहले सिंधिया का पार्टी से बगावत कर भाजपा में शामिल होना और फिर राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमों में आपसी विवाद, ये सभी कांग्रेस के लिए चिंता के विषय हैं।

कांग्रेस देश की वो पार्टी भी है जिसके नेता विधायक तो कांग्रेस के पंजा छाप से बनते हैं पर चुनाव जीतने के बाद वो कमल की सवारी करके कांग्रेस को हीं ठेंगा दिखाने का काम करते हैं। इसी बीच मणिपुर में कांग्रेस को एक बड़ा राजनितिक झटका लगा है। गौरतलब है कि राज्य विधानसभा चुनाव की घोषणा के एक दिन बाद, रविवार, 9 जनवरी, 2022 को, कांग्रेस के मणिपुर के उपाध्यक्ष और विधायक, चाल्टनलियन एमो ने सत्तारूढ़ भाजपा ज्वाइन कर ली है। जिसके बाद कांग्रेस विपक्षविहीन होने के कागार पर आ गई है।

आपको बता दें कि एमो केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेद्र यादव, जो मणिपुर के पार्टी प्रभारी भी हैं, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और भाजपा मणिपुर अध्यक्ष ए शारदा देवी की उपस्थिति में इम्फाल में अपने कार्यालय में एक छोटे से समारोह में भाजपा में शामिल हुए।

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दरअसल, 2017 में मणिपुर विधानसभा के चुनावों के बाद से जब कांग्रेस ने 60 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की थी, तब से सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस मणिपुर में राजनितिक हासिये पर चली गई है। आपको बता दें कि इस बार के चुनाव में भाजपा का जीतना आसान हो गया है अगर साफ़ शब्दों में कहे तो बस भाजपा के जीतने की बस औपचारिक्ता बची है।

मणिपुर चुनाव को लेकर राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीजेपी, NCP और NPF के बीच एक अनौपचारिक समझौता है और तीनों चुनाव के बाद एक बार फिर से गठबंधन बनाकर सत्ता में वापस आएँगे। पर्यवेक्षकों का यह भी कहना है कि राजनीतिक मजबूरियों के कारण तीनों स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। इस प्रकार, मणिपुर के भगवा बने रहने की सबसे अधिक संभावना है और भाजपा अपने सहयोगियों के साथ राज्य में सत्ता में वापसी करने के लिए तैयार है।

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