देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन नित नए आयाम छू रहा है। अब नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI के तहत लेनदेन दिसंबर 2021 में 456 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जिससे अक्टूबर 2021 में दर्ज किए गए 421 करोड़ का रिकॉर्ड टूट गया। दिसंबर 2021 में लेनदेन के कुल मूल्य में भी 8.27 लाख करोड़ रुपये का एक नया रिकॉर्ड बना। त्योहारी सीजन की खरीदारी और ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ऑनलाइन बिक्री के चलते अक्टूबर में UPI लेनदेन ने रिकॉर्ड तोड़ दिया था। हालांकि, इसमें नवंबर में मामूली गिरावट आई थी, लेकिन दिसंबर में इसने 2021 के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। 31 दिसंबर की शाम को खाना ऑर्डर करने वाले ऐप्स पर ग्राहक भुगतान के कारण यूपीआई पर रिकॉर्ड लेनदेन हुआ।
दिसंबर 2021 में लेनदेन की संख्या में 9% और मूल्य में 7.6% की वृद्धि इसका प्रतीक है। पिछले वर्ष यानी दिसंबर 2020 में लेनदेन की तुलना में, दिसंबर 2021 में UPI का उपयोग मूल्य और मात्रा दोनों दोगुना हो गया है। अक्टूबर 2021 में UPI से 4.21 बिलियन के रिकॉर्ड लेनदेन हुए थे, जिसकी कीमत 7.71 ट्रिलियन रुपये थी। यह पहली बार था जब UPI लेनदेन एक महीने में 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया।
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कार्ड ट्रांजैक्शन के मुकाबले 8 गुना ज्यादा लेनदेन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कैलेंडर 2021 में 73 लाख करोड़ रुपये की राशि के 3800 करोड़ UPI लेनदेन हुए। UPI प्लेटफॉर्म को संचालित करने वाले नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को उम्मीद है कि जल्द ही यह वॉल्यूम एक दिन में एक अरब तक पहुंच जाएगा। UPI लेनदेन पहले से ही देश में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान का प्रमुख माध्यम था और अब कार्ड लेनदेन की संख्या से लगभग आठ गुना अधिक लेनदेन कर रहा है। क्रेडिट कार्ड जो केवल मर्चेंट भुगतान के लिए होते हैं, उसके विपरीत UPI लेनदेन नंबर पीयर टू पीयर (P2P) ट्रांसफर के साथ-साथ मर्चेंट भुगतान दोनों में वृद्धि को दर्शाते हैं। चूंकि, UPI एक अकाउंट-टू-अकाउंट ट्रांसफर मैकेनिज्म है, बैंकरों का कहना है कि उन्हें रोजाना इतनी बड़ी मात्रा में लेनदेन को संभालने के लिए अपने कोर बैंकिंग आर्किटेक्चर पर फिर से विचार करना होगा।
UPI के नाम रहा वर्ष 2021
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में UPI को अपनाया गया था, जो कोविड-19 के प्रकोप से और अधिक तेजी से बढ़ा। इसने अक्टूबर 2019 में पहली बार 1 बिलियन लेनदेन को पार किया। अगला 1 बिलियन एक वर्ष के भीतर आया। अक्टूबर 2020 में, UPI ने पहली बार 2 बिलियन से अधिक लेनदेन संसाधित किए। इसके अलावा, UPI ने 2 अरब लेनदेन से 3 अरब तक का सफर मात्र 10 महीनों में तय किया, जो उपभोक्ताओं के बीच खुदरा डिजिटल भुगतान के लिए एक मंच के रूप में UPI की अविश्वसनीय लोकप्रियता को दर्शाता है।
भारत का UPI दर्शाता है कि कैसे एक सक्षम नीतिगत ढांचा और सहायक विनियमन अपनाने से बड़े बदलाव हो सकते हैं। आज एक ठेले वाला भी इस ढांचे का इस्तेमाल कर रियल टाइम में अपने पेमेंट को डिजिटल कर रहा है। इस भुगतान प्लेटफॉर्म को प्रति माह 3 अरब से 4 अरब लेनदेन तक पहुंचने में केवल तीन महीने लगे और लगातार तीन महीने (अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर) में यूपीआई ने 4 अरब लेनदेन किए हैं। इससे अगर यह कहा जाए कि 2021 का वर्ष UPI के नाम रहा तो गलत नहीं होगा। इसी वर्ष रियल टाइम पेमेंट में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है।
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सालाना 2 ट्रिलियन डॉलर का डिजिटल भुगतान
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डिजिटल भुगतान सालाना 2 ट्रिलियन डॉलर हो रहा है, जिसमें यूपीआई की हिस्सेदारी सबसे अधिक है जिसके बाद कार्ड और मोबाइल वॉलेट हैं। विशेषज्ञों की माने तो UPI में वृद्धि का अगला चरण ऑटो-पे फीचर से आएगा, जो 5,000 रुपये तक के आवर्ती भुगतान की अनुमति देता है। यूपीआई ऑटो-पे ने पिछले कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर लोगों का आकर्षण देखा है, क्योंकि कार्ड के माध्यम से आवर्ती भुगतान में व्यवधान होता है।
हालांकि, ऑटो-पे को लेकर हाल ही में RBI ने कहा था कि UPI प्लेटफॉर्म पर आधे लेन-देन छोटे मूल्य के होते हैं, यह उन्हें UPI अनुप्रयोगों में “ऑन-डिवाइस” वॉलेट के माध्यम से सक्षम करेगा, जिससे बैंकिंग प्रणाली पर तनाव कम करने और लेनदेन प्रक्रिया को और भी सरल बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, आरबीआई ने यह भी कहा है कि वह फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए यूपीआई-आधारित डिजिटल भुगतान समाधान लॉन्च करेगा, जो 440 मिलियन से अधिक हैं। गौरतलब है कि इंडियन कंज्यूमर अब किसी तरह की खरीदारी के लिए मोबाइल से पेमेंट करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों में ऑटो-पे में भी काफी सुधार की संभावना है।