मुख्य बिंदु
- बंगाल CM ममता और उनकी पार्टी TMC ने Tesla के CEO Elon Musk को अपने इलेक्ट्रिक कार व्यवसाय Tesla हेतु राज्य में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया
- TMC किसी ज़माने में अपने गलत उद्योग नीतियों के लिए बदनाम रही है
- TMC ने कुछ सालों पहले पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगूर में प्रस्तावित टाटा मोटर्स की एक कार परियोजना को रद्द कराया था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के उद्योग विस्तार पर जोर दे रहे हैं। इसलिए, Tesla जो अपने आप को इलेक्ट्रिक वाहनों के उद्योग में सबसे बड़ा मनाता है, उसका भारत और उसके आने वाले EV बाजार के प्रति आकर्षित होना स्वाभाविक है। दरअसल, Tesla के सर्वेसर्वा Elon Musk ने एक ट्वीट किया था, जिसके बाद भारत के कई राज्य उन्हें अपने यहां Tesla कार की फैक्टर लगाने के लिए आंमत्रण दे रहे हैं।
ममता सरकार ने दिया Tesla को आमंत्रण
इसी बीच पश्चिम बंगाल के एक मंत्री ने Tesla के CEO Elon Musk को अपने इलेक्ट्रिक कार व्यवसाय के लिए राज्य में निवेश करने के लिए उनके ट्विटर पर हामी भरते हुए उन्हें अपने राज्य में आमंत्रित किया है। मालूम हो कि Elon Musk ने केंद्र सरकार के साथ चुनौतियों का सामना करने की शिकायत सार्वजनिक रूप से की थी। वहीं, पश्चिम बंगाल राज्य अल्पसंख्यक मामले और मदरसा शिक्षा मंत्री मोहम्मद गुलाम रब्बानी को Musk से अपने राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए की गई अपील पर उनकी पार्टी TMC का भी समर्थन मिला। गौरतलब हो कि बीते शनिवार को, रब्बानी ने Musk को रीट्वीट कर कहा कि “पश्चिम बंगाल में हमारे पास सबसे अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर है और हमारे नेता @MamataOfficial के पास विजन है। बंगाल का मतलब बिजनेस है…आप अपना उद्योग यहां शुरू कर सकते हैं।”
वहीं, TMC के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने कहा, “श्री Musk सबसे अच्छे उद्योगपतियों में से एक हैं। इलेक्ट्रिक कार उत्पादों में उनका एकाधिकार है। उन्होंने अंतरिक्ष रॉकेट और उपग्रह भी बनाए हैं। इसलिए श्री रब्बानी ने उन्हें यहां मुख्यमंत्री ममता के नेतृत्व में अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया। बनर्जी ने सर्वोत्तम बुनियादी ढांचे की उपलब्धता सुनिश्चित की है। बंगाल हमेशा उद्योग के अनुकूल है, उद्योग के लिए जबरन कृषि भूमि अधिग्रहण के पक्ष में नहीं है।”
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भाजपा ने याद दिलाई एक पुरानी घटना
हालांकि, TMC के बयान के बाद भाजपा ने राजनीतिक हमला करते हुए TMC मंत्री को याद दिलाया कि यह उनकी पार्टी थी, जिसने बहुत साल पहले टाटा की कार परियोजना को राज्य से बाहर कर दिया था। दरअसल, TMC जो बंगाल में आज Tesla को उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित कर रहा है,यह वही पार्टी है, जो किसी ज़माने में अपने गलत उद्योग नीतियों के लिए बदनाम रही है। साफ़ शब्दों में कहें तो TMC उद्योग विरोधी रही है। TMC के उद्योग विरोध की सच्चाई तब उजागर हुई थी, जब पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगूर में एक प्रस्तावित टाटा मोटर्स ऑटोमोबाइल कारखाने के भूमि अधिग्रहण से विवाद उत्पन्न हो गया था।
टाटा मोटर्स ने एक कार (टाटा नैनो) बनाने के लिए एक कारखाने का निर्माण शुरू किया था। इस कार को 2008 तक कारखाने से बाहर बेचने के लिए निर्धारित किया गया था। उस समय की पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम नियम,1894 का हवाला देते हुए 997 एकड़ (4.03 किमी 2) कृषि भूमि का एक प्रख्यात डोमेन अधिग्रहण करने के लिए विवाद पैदा किया, जिस पर टाटा मोटर्स को अपना कारखाना बनाना था। राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि यह नियम सार्वजनिक सुधार परियोजनाओं के लिए है। वहीं, इस परियोजना का विरोध बंगाल में TMC पार्टी के कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों ने भी किया था।
जब टाटा के विरुद्ध हुआ था ‘खेत बचाओ आंदोलन’
सिंगूर को टाटा समूह ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित छह साइटों में से चुना था। इस परियोजना को विस्थापित किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। अनिच्छुक किसानों को पश्चिम बंगाल की तत्कालीन विपक्षी नेता ममता बनर्जी ने राजनीतिक समर्थन दिया था। बनर्जी ने टाटा की परियोजना के विरुद्ध ‘खेत बचाओ आंदोलन’ शुरू कर दिया था। वामपंथी कार्यकर्ताओं ने भी इस आंदोलन में ममता बनर्जी का साथ दिया था। टाटा समूह ने अंततः 3 अक्टूबर 2008 को सिंगूर से बाहर निकलने का फैसला किया।
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वहीं, टाटा समूह के सर्वेसर्वा रतन टाटा ने हटने के फैसले के लिए बनर्जी और उनके समर्थकों के आंदोलन को जिम्मेदार ठहराया। 7 अक्टूबर 2008 को टाटा ने घोषणा की कि वे गुजरात के साणंद में टाटा नैनो संयंत्र स्थापित करेंगे और इसके बाद ममता बनर्जी की हठधर्मिता ने बंगाल के हाथ से बड़ा उद्योग और रोज़गार का अवसर छीन लिया जिसके लिए आज भी उनकी आलोचना होती है। ऐसे में, पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने Tesla को अपने राज्य में आमंत्रित कर यह साबित कर दिया कि वह स्वदेशी विकास का खंडन कर रही हैं और विदेशी कंपनियों की लालच में आकर अपनी कुंठित मानसिकता का परिचय दे रही हैं।