भारत के चुनावों में खुलेआम दखल दे रहा है Twitter

Twitter की दबंगई, सीमाएं लांघ गई!

मुख्य बिंदु 

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक सोशल नेटवर्किंग साइट किसी लोकतंत्र के लोकतांत्रिक व्यवस्था को हैक कर सकता है? अगर नहीं तो आप गलत हैं। एक सोश्ल मीडिया साइट है Twitter। वही, Twitter जो वामपंथियों का गढ़ रहा है, उसने 2020 के अमेरिकी चुनावों में जमकर दखलअंदाजी की थी। अब उस Twitter की नजर भारत में होने वाले विधानसभा चुनाव में दखलअंदाजी करने पर अड़ी है।

दरअसल, ANI ने ट्वीट करके Twitter की योजनाओं के बारे में बताया है। Twitter ने बीते गुरुवार को पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में वोट डालने से पहले नागरिकों को सही ज्ञान के साथ सशक्त बनाने के लिए कई पहलों की घोषणा की है। बता दें कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच सात चरणों में होंगे और 10 मार्च को मतगणना होगी। कुल मिलाकर 690 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है और 18.3 करोड़ मतदाताओं पर इस चुनाव का परिणाम निर्भर करता है। पांच ज्यों में 8.5 करोड़ महिलाएं वोटर हैं। वहीं, Twitter इन मतदाताओं को प्रशिक्षित करेगा।

और पढ़ें: नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के सामने Twitter का आत्मसमर्पण, मान लिए सभी नियम

भारत के चुनावों में Twitter का हस्तक्षेप

बता दें कि Twitter ने एक बयान में कहा,“चुनाव तब होते हैं जब लोग वोटिंग के बारे में विश्वसनीय जानकारी खोजने, उम्मीदवारों और उनके घोषणापत्रों के बारे में जानने और स्वस्थ नागरिक बहस और बातचीत में शामिल होने के लिए Twitter पर आते हैं। सार्वजनिक बातचीत के लिए एक सेवा के रूप में, Twitter लोगों को सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”  बयान में कहा गया है कि एक मतदाता Quiz लोगों को चुनाव के बारे में आवश्यक तथ्यों से अवगत कराएगी।

Twitter  का कहना है कि “5 राज्यों में #विधानसभा चुनावों से पहले, Twitter ने उच्च मतदान सुनिश्चित करने और मतदाताओं को जोड़ने के लिए कई पहलों की घोषणा की। वे भारत के चुनाव आयोग के साथ चुनाव खोज संकेत, कस्टम इमोजी और अधिसूचना अभियान, मतदाता साक्षरता का समर्थन करने के लिए मतदाता शिक्षा प्रश्नोत्तरी शामिल है।”

Twitter का ‘सर्च प्रॉम्प्ट’ कार्यक्रम  

Twitter ने कहा कि उसने विधानसभा चुनावों के लिए विश्वसनीय और आधिकारिक जानकारी ढूंढने के लिए भारत के चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव अधिकारियों के साथ एक ‘सर्च प्रॉम्प्ट’ प्रोग्राम शुरू किया है। ‘सर्च प्रॉम्प्ट’ का अर्थ है ट्विटर के एक्सप्लोर पेज पर संबंधित कीवर्ड के साथ खोज करने पर विश्वसनीय, आधिकारिक स्रोत प्रदान प्राप्त होगा और ये ‘सर्च प्रॉम्प्ट’ लोगों को उन संसाधनों तक ले जाएगा जहां वे उम्मीदवार सूचियों, मतदान तिथियों, मतदान केंद्रों तथा अन्य चीजों के बारे में विश्वसनीय जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

अब सवाल उठता है कि Twitter यह सब कुछ क्यों कर रहा है? इसका जवाब है-अमेरिका का चुनाव। वर्ष 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरा तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आरोप लगाया था कि Twitter अमेरिकी चुनाव में ‘हस्तक्षेप’ कर रहा है और ‘पूरी तरह से’ मुक्त भाषण पर लगाम लगा रहा है। वहीं, सोशल मीडिया नेटवर्क द्वारा पहली बार उनके एक ट्वीट पर फैक्ट-चेक को लेकर यह बयान आया था। ट्रम्प ने अपने ट्वीट में कहा था कि “Twitter अब 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप कर रहा है। वह कह रहा हैं कि मेल-इन बैलेट पर मेरा बयान, जिससे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी होगी, गलत है क्योंकि फेक न्यूज की जांच सीएनएन और अमेज़ॅन वाशिंगटन पोस्ट द्वारा तथ्य-जांच के आधार पर हो रही है।”

कट्टरपंथियों और इस्लामिस्टों का समर्थक

वहीं, जैक डोर्सी ने अक्सर स्वीकार किया है कि Twitter के सदस्यों का वामपंथ की ओर झुकाव है और बार-बार यह सच प्रमाणित भी होता रहता हैl ऐसे में, अन्य धर्मों के संबंध में हिंदुओं को दी गई नफरत और चयनात्मक स्थान देख ऐसा लगता है, जैसे उनके पास सिर्फ वामपंथी झुकाव वाले व्यक्ति नहीं, अपितु हिंदू विरोधी व्यक्ति भी हैं। हमने पहले भी बताया है कि Twitter कैसे तालिबान को समर्थन देते आया है। Twitter अब खुलेआम तालिबान के साथ गलबहियाँ करता दिखाई दे रहा है।

Twitter ने तालिबान के अवैध अधिग्रहण के बाद अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह से संबंधित सभी Twitter अकाउंट को निलंबित कर दिया था। वहीं, अब भी तालिबानी प्रवक्ता का Twitter अकाउंट सक्रिय है। दरअसल, कई तालिबानी नेताओं के अकाउंट Twitter पर उपलब्ध हैं और वे इस संख्याबल का डिजिटल रूप में लाभ उठाते हुए तालिबान द्वारा शहरों पर कब्जा कर रहे हैं और समूह के नेताओं द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस के वीडियो साझा कर रहे हैं। साथ ही वे अपने बार्बर शासन को स्वीकार्यता दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में, इससे न केवल Twitter द्वारा तालिबान के समक्ष आत्मसमर्पण को दर्शाता है बल्कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर उसका दोगला चरित्र भी जगजाहिर करता है!

और पढ़ें: ट्विटर और तालिबान की यारी: तालिबान को छोड़, Twitter ने अमरुल्लाह सालेह का ऑफिस अकाउंट सस्पेंड कर दिया है

मदद की लालच देकर कही षड़यंत्र तो नहीं! 

Twitter हमेशा से ही एक वामपंथी सोशल नेटवर्किंग साइट रहा है और समय के साथ इसने साबित कर दिया है कि वास्तविक मुद्दों के बारे में इसकी हमेशा पक्षपातपूर्ण राय ही होती है, जो दक्षिणपंथियों के लिए चिंता का विषय है। बांग्लादेश में जघन्य हत्याओं के हालिया मामले हों या फिर बहुत सारे बलात्कार और घरों को जलाने के मामले जिसके कारण हिंदुओं और हिंदू परिवारों की भारी तबाही हुई थी, उनके समर्थन में आवाज उठाने वाले कुछ Twitter हैंडल को बैन कर दिया गया था। बांग्लादेश के हिन्दू Twitter के माध्यम से दुनिया भर के सभी लोगों तक ‘बांग्लादेश हिंदू परिषद‘ और ‘इस्कॉन बांग्लादेश‘ के माध्यम से अपनी सच्चाई फैलाना चाहते थे, लेकिन इन दोनों समूहों के आधिकारिक Twitter हैंडल को अकारण ही निलंबित कर दिया गया था।

ऐसे में, भारत के पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर Twitter की यह तथाकथित मदद भाजपा के लिए बुरा संकेत लेकर आएगा। वहीं, हम अगर Twitter की विचारधारा को छोड़ भी दें तो Twitter की कोई औकात नहीं है कि वह विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करे!

Exit mobile version