हाल ही में, 1 जनवरी 2022 को लगभग 6,003 गैर सरकारी संगठनों (NGO) को विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के पंजीकृत संगठनों की सूची से हटा दिया गया था। अधिकारियों ने कहा कि इन संस्थानों ने या तो अपने FCRA लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था या केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके आवेदनों को खारिज कर दियाl इस कदम के बाद, गृह मंत्रालय के डैशबोर्ड के अनुसार अब देश में FCRA पंजीकृत संगठनों की संख्या 22,832 से घटकर 16,829 रह गई है। वहीं, मिशनरीज ऑफ चैरिटी जैसे गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द करने के बाद से यूनाइटेड किंगडम की सरकार परेशान है।
इस मामले को लेकर यूके सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों (NGO ) के वित्त पोषण लाइसेंस की जानकारी के लिए भारत सरकार द्वारा विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के उपयोग पर ड्रिल-डाउन करने के लिए विशिष्ट संख्या मांगी है। दरअसल, ब्रिटेन की संसद के उच्च सदन के सांसदों ने बीते गुरुवार को इस मुद्दे पर बहस की, जहां पेंट्रेगर्थ के क्रॉसबेंच सहकर्मी लॉर्ड हैरिस द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के बाद पूछा गया कि ब्रिटिश सरकार ने अपने भारतीय समकक्षों को ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी के लिए विदेशी धन को अवरुद्ध करने’ के बारे में क्या बताया था।
NGO’s के लाइसेंस रद्द होने से ब्रिटेन की सरकार है परेशान
वहीं, इस मामले को लेकर यूके सरकार के मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने कहा, “हम कुछ गैर सरकारी संगठनों के बारे में जानते हैं, जो भारत सरकार द्वारा विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम के उपयोग के कारण भारत में कठिनाइयों का सामना करते हैं और कुछ गैर-सरकारी संगठनों के हाल ही में अपने विदेशी फंडिंग लाइसेंस को नवीनीकृत करने के लिए आवेदन को भारत ने खारिज कर दिया है।”
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उन्होंने आगे कहा कि “भारत में लाइसेंस के मुद्दे पर मैंने विशेष रूप से गौर किया है और हमें नहीं पता कि इसके आवेदनों को क्यों खारिज कर दिया गया?” मिशनरीज ऑफ चैरिटी के संदर्भ में उन्होंने कहा, “मैंने वर्तमान में मौजूद संख्याओं के प्रकारों को देखने के लिए कहा है विपक्ष के लॉर्ड हैरिस ने इस मामले पर मंत्री पर दबाव डाला और सवाल किया कि क्या मिशनरीज ऑफ चैरिटी के खिलाफ कार्रवाई लोगों को ईसाई धर्म में शामिल होने से रोकने के लिए थी?”
इसके जवाब में मंत्री अहमद ने कहा ”जिन संगठनों के लाइसेंस समाप्त हो गए हैं, उनमें से कुछ का अस्तित्व समाप्त हो गया है क्योंकि उन्होंने समय पर अपने आवेदन जमा नहीं किए। इसमें सिर्फ ईसाई NGO नहीं हैं बल्कि 250 हिंदू NGO और 250 से अधिक मुस्लिम NGO भी शामिल हैं, इसलिए क्या यह विशेष रूप से ईसाई संगठनों के खिलाफ है, यह डेटा द्वारा नहीं दिखाया गया है, लेकिन मैं इस संबंध में और जानकारी जुटा रहा हूं।” वहीं, इस मामले को लेकर लंदन में भारतीय उच्चायोग ने कहा कि वह ब्रिटेन के संसद सदस्यों के बीच चर्चा पर टिप्पणी नहीं करना चाहता एवं यह भारत के गृह मंत्रालय द्वारा नियमित प्रसंस्करण का आंतरिक मामला है और यह कानून के तहत लिया गया फैसला है।
देश की सुरक्षा को लेकर सचेत है मोदी सरकार
हाल ही में, कोलकाता में मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी का अन्य गैर सरकारी संगठनों के साथ FCRA नवीनीकरण नहीं किया गया था। इसके अलावा जिन 6003 संगठनों का लाइसेंस रद्द हुआ है, उनमें ऑक्सफैम इंडिया, जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI), नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी, इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर (IICC), इंडिया हैबिटेट सेंटर, ट्यूबरकुलोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया, चैतन्य रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी, हमदर्द एजुकेशन सोसाइटी, दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क सोसाइटी, लेडी श्री राम कॉलेज फॉर विमेन, इमैनुएल हॉस्पिटल एसोसिएशन आदि शामिल हैं l लेकिन अंग्रेजी सरकार को इससे इतनी मिर्ची लग गई है कि वे ब्रिटिश संसद में यह मामला बार -बार उठा रहे हैं।
गौरतलब है कि मोदी सरकार अपनी कार्रवाई में काफी निडर रही है। यहां तक कि ग्रीनपीस और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे गैर सरकारी संगठनों के FCRA पंजीकरण भी रद्द कर दिए गए हैं। इस मामले में 25 दिसंबर, 2021 को, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘FCRA 2010 और विदेशी योगदान विनियमन नियम (FCRR) 2011 के तहत पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करने’ के लिए MoC के FCRA लाइसेंस के नवीनीकरण के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद वाम-उदारवादियों को इस कदम से एक बड़ा झटका लगा है।
हालांकि, मोदी सरकार ने ऐसे और गैर सरकारी संगठनों पर नकेल कसना जारी रखा है, जो वाम-उदारवादी पारिस्थितिकी तंत्र के करीब हैं। ऐसे में, मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वाम-उदारवादियों की बातों में न आकर वह FCRA को लागू करेगी क्योंकि यह देश की अखंडता और सुरक्षा का मामला है, जिसको लेकर मोदी सरकार हमेशा से गंभीर रही है।