मुख्य बिंदु
- जम्मू-कश्मीर की कुल 2.5 लाख हेक्टेयर अतिक्रमित भूमि में से 60,000 एकड़ से अधिक की भूमि को किया गया बरामद
- शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने की सतत एवं प्रभावी निगरानी के लिए भी डैशबोर्ड तैयार करने के लिए दिए गए निर्देश
- मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के राजस्व विभाग का करने जा रही है पूर्ण भारतीयकरण
जम्मू-कश्मीर के पंडितों की अचल संपत्तियों की सुरक्षा हेतु तत्कालीन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा एवं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सामूहिक प्रयास से जम्मू -कश्मीर में अतिक्रमण और भूमि जिहाद जैसी चली आ रही संस्कृति को खत्म किया जा रहा है। हाल ही में, जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने विगत बुधवार (12 जनवरी 2022) को बताया कि जम्मू-कश्मीर में 60,000 एकड़ से अधिक की अतिक्रमित जमीन को बरामद कर लिया गया है। उपराज्यपाल के सलाहकार आर.आर. भटनागर ने केंद्र शासित प्रदेश में अतिक्रमण हटाने की सतत निगरानी के लिए डैशबोर्ड बनाने के निर्देश दिए हैं। भटनागर ने राजस्व विभाग को नए अतिक्रमण या पुन: अतिक्रमण के किसी भी मामले में जिम्मेदारी तय करते समय जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने में किसी भी तरह की ढिलाई ना बरतने का भी निर्देश दिया।
जम्मू-कश्मीर में अतिक्रमित भूमि हुई आजाद
बता दें कि सलाहकार ने आयोजित एक बैठक में राजस्व विभाग के प्रदर्शन का आकलन करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें राजस्व सचिव, अभिरक्षक जनरल, पंजीकरण महानिरीक्षक तथा जम्मू विभाग के अन्य अधिकारी शामिल हुए। वहीं, एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि बैठक में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संभागायुक्तों ने भी भाग लिया। उन्होंने कहा, “बैठक में उन्हें बताया गया कि अब तक राज्य की 371901.1 कनाल (46,487.6 एकड़) राज्य भूमि, 110515.8 कनाल यानी 13,814.4 एकड़ चराई भूमि और 1314.11 कनाल यानी 164.2 एकड़ साझा भूमि अतिक्रमण करने वालों से प्राप्त की जा चुकी है।” साथ ही आर.आर. भटनागर ने राजस्व विभाग को शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने की सतत एवं प्रभावी निगरानी के लिए भी डैशबोर्ड तैयार करने के निर्देश दिए।
और पढ़ें: रियल एस्टेट निवेशकों के लिए खुला जम्मू-कश्मीर, पहली बार में ही हासिल किया 18,300 करोड़ का निवेश
उन्होंने अधिकारियों से एक ऐसा तंत्र विकसित करने के लिए कहा, जिसके तहत किसी भी पुनः प्राप्त भूमि का पुन: अतिक्रमण न किया जाए और साथ ही उन्हें भूमि के वाणिज्यिक हिस्से को पहले प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता देने की सलाह दी, उसके बाद अन्य भूमि और क्षेत्रों पर जोर देने को कहा। प्रवक्ता ने बताया कि सलाहकार ने भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, अवैध प्रविष्टियों को हटाने, गुम हुए अभिलेखों के पुन: निर्माण और राजस्व न्यायालयों की प्रगति के बारे में भी पूछताछ की।
भूमि रिकॉर्ड का हो रहा है डिजिटलीकरण
आर.आर. भटनागर ने अब तक दर्ज की गई प्रगति को दर्शाने वाली समय-सीमा के अलावा, अदालतों में लंबित सभी मामलों पर एक व्यापक रिपोर्ट भी मांगी है। प्रवक्ता ने कहा कि “बैठक में सूचित किया गया कि श्रीनगर और जम्मू के लिए भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण अपने अंतिम चरण में है और इसके फरवरी में पूरा होने की उम्मीद है।” उन्होंने आगे कहा कि शेष जिलों में ‘जमाबंदी’ को अपडेट करने का कार्य इसी माह में पूरा होने जा रहा है, जिसके बाद इसे तुरंत विकेंद्रीकृत तरीके से डिजिटाइज कर दिया जाएगा। सभी 6,850 राजस्व ग्रामों के बंदोबस्ती एवं डिजिटल सर्वेक्षण के संबंध में प्रवक्ता ने कहा कि सर्वेक्षण नियमावली का मसौदा तैयार कर लिया गया है और परियोजना प्रबंधन मॉड्यूल भी प्रक्रियाधीन है।
जम्मू-कश्मीर राजस्व विभाग का होगा पूर्ण भारतीयकरण
वहीं, इस बैठक में बिना किसी अतिरिक्त बोझ के राजस्व अभिलेखों के वास्तविक समय म्यूटेशन और पंजीकरण प्रणाली के एकीकरण के अलावा राजस्व अर्क प्राप्त करने हेतु ऑनलाइन सेवाओं के लिए प्रस्तावित रोडमैप को भी विस्तार से बताया गया। प्रवक्ता ने कहा कि प्रत्येक उप पंजीयक में लगभग 127 स्लॉट जोड़कर संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया तेज और आसान हो गई है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि “इन कार्यालयों के माध्यम से संपत्तियों के पंजीकरण में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। 2021 में पंजीकरणों की गणना 65,626 थी जबकि 2020 में केवल 39,039 पंजीकरण हुए थे।”
बताते चलें कि कम से कम 2.5 लाख हेक्टेयर अतिक्रमित राज्य भूमि और गांव की आम भूमि (शामलात और कहचराई) को पुनः प्राप्त करने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की मूल योजना अभी भी मीलों दूर है। 2.5 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की जगह अभी सरकार को 60 हजार हेक्टेयर की अतिक्रमित भूमि की ही प्राप्ति हुई है। राजस्व विभाग के रिकॉर्ड की साझा जानकारी के अनुसार, इस भूमि का लगभग 65% तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के जम्मू संभाग में पड़ता है।
वहीं, सरकार में कई लोग मानते हैं कि स्थानीय स्तर पर राजस्व कर्मचारियों के बीच स्थानिक भ्रष्टाचार के बिना इस तरह का व्यापक और दीर्घकालिक अतिक्रमण संभव नहीं हो सकता था लेकिन अनुच्छेद 370 के हटाते ही ऐसे लोगों पर गाज गिरना आरंभ हो चुका है। ऐसे में, सरकार का यह कदम अत्यंत सराहनीय है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के राजस्व विभाग का पूर्ण भारतीयकरण करने जा रही है।