केंद्र में पीएम मोदी की सरकार आने के बाद से भारत सुरक्षा मामलों में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। विश्व पटल पर भारत ने हर एक मोर्चे पर दुनिया के ताकतवर देशों को पछाड़ते हुए अपनी शक्ति को दोगुना कर लिया है। आतंक परस्त पाकिस्तान और चीन के साथ बढ़ते विवाद को देखते हुए अब मोदी सरकार ने रूस से एस-400 मिसाइल का सौदा किया है, जिससे देश की रक्षा बल को मजबूती प्रदान होगी। परंतु रूस और भारत के इस डील से अमेरिका दुखी दिख रहा है और वो भारत के प्रति अपनी कुंठा भी जता चुका है।
अब भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बीते दिन शुक्रवार को रूस के साथ भारत के एस-400 मिसाइल सौदे पर संयुक्त राज्य अमेरिका की नाराजगी का करारा जवाब दिया है। साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत और रूस के बीच एक विशेष रणनीतिक साझेदारी है। उन्होंने कहा “हम एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करते हैं, यह हमारे रक्षा अधिग्रहण पर भी लागू होता है।” बागची ने आगे कहा कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका भी एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं।
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भारत ने दिया स्पष्ट जवाब
दरअसल, संयुक्त राज्य अमेरिका भारत द्वारा रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद को लेकर चिंतित है। वहीं, दूसरी ओर भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उसके फैसले देश की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय हित में लिए जाते हैं। अमेरिका के अनुसार, रूस भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम बेच रहा है, जो अस्थिर करने वाली भूमिका को उजागर करता है। भारत द्वारा रूस से कई अरब रुपये का मिसाइल रक्षा प्रणाली को लेकर सौदा किए जाने पर अमेरिका नाराज है और वो लगातार इससे बचने की सलाह देता रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका की चिंताओं और बाइडेन प्रशासन से प्रतिबंधों की धमकियों के बावजूद, भारत ने अपना विचार बदलने से इनकार कर दिया है और मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के साथ आगे बढ़ रहा है।
अमेरिका का CAATSA कानून
अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता नेड प्राइस (Ned Price) ने कहा कि रूस अस्थिर करने वाली भूमिका में है। रूस न केवल इस क्षेत्र में, बल्कि संभावित रूप से इससे अलग हटकर भी खेल खेल रहा है। उन्होंने कहा कि हमने डील के संबंध में कोई दृढ़ संकल्प नहीं लिया है। CAATSA के तहत प्रतिबंधों के जोखिम को देखते हुए हम भारत सरकार के साथ इस पर चर्चा कर रहे हैं। नेड प्राइस भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों पर रूसी एस-400 प्रणाली के निहितार्थ पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
इस मामले पर बोलते हुए नेड प्राइस ने आगे कहा, “चाहे वह भारत हो या कोई अन्य देश हो, हम सभी देशों से रूसी हथियार प्रणालियों के लिए बड़े नए लेन देन से बचने का आग्रह करते रहते हैं।” इसी बीच, भारत ने एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम की तैनाती में तेजी लाई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पहली यूनिट के इस साल अप्रैल तक सुचारु रूप से चालू होने की उम्मीद है।
बाइडेन प्रशासन ने अब तक CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) प्रतिबंधों पर कोई निर्णय नहीं लिया है। नेड प्राइस ने आगे कहा कि “मेरे पास पेश करने के लिए कोई समयसीमा नहीं है, लेकिन ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हम भारत में अपने भागीदारों के साथ चर्चा कर सकते हैं।” ध्यान देने वाली बात है कि CAATSA एक अमेरिकी कानून है, जो वहां की सरकार को यह अधिकार देता है कि वह रूस से बड़े हथियार खरीदने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई करे और अमेरिका इसे लेकर काफी पहले से ही भारत को धमकाते आ रहा है।
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एक साथ 36 लक्ष्य को साध सकता है S-400
यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि एस-400 ट्रायम्फ, एक मोबाइल, सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है, जो एयरक्राफ्ट, यूएवी, क्रूज मिसाइल (Cruise Missile) और बैलिस्टिक मिसाइल को रोकने की काबिलियत रखता है। इसे रूस के अल्माज़ सेंट्रल डिज़ाइन ब्यूरो फॉर मरीन इंजीनियरिंग (ACDBME) द्वारा विकसित किया गया है। यह वर्तमान में बाजार में उपलब्ध सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है। मिसाइल प्रणाली को सामरिक और रणनीतिक विमानों, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों और हाइपरसोनिक हथियारों को नष्ट करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।
आपको बता दें यह मिसाइल सिस्टम 400 किमी की रेंज में किसी भी हवाई लक्ष्य को साधने की क्षमता रखता है, खास बात ये है कि एक ही वक्त में 36 लक्ष्य एक साथ साध सकता है। इसे सक्रिय करने में पांच मिनट का वक्त लगता है। ये रूस के पहले वाले हवाई सुरक्षा तंत्र से दोगुना ज्यादा असरदार है और इसमें मौजूदा और भविष्य की हवाई, आर्मी और नौसेना की इकाई के साथ एकीकृत होने की क्षमता है। भारत अक्टूबर 2018 में, तत्कालीन ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बावजूद S-400 के अनुबंध के साथ आगे बढ़ा था। साथ ही भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 5 अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके मुताबिक एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पांच यूनिट खरीदने की बात तय हुई थी।
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