9 महीने पूर्व हमने सपा प्रायोजित ‘धर्म संसद’ की भविष्यवाणी की थी, अब यह सच हो गया है

यति नरसिंहानंद का सच जितना आश्चर्यजनक है, उतना ही उसका अतीत भयानक है!

अंग्रेजी में एक कहा जाता है,If you can’t convince them, confuse them यानि “अगर आप किसी को सहमत नहीं कर सकते हैं तो उसे भ्रमित कर दीजिए।” यह सिद्धांत दिग्गज टेक कम्पनी एप्पल द्वारा आजमाया है। किसी मॉडल में वह कोनो को कर्व कर देता है और किसी में वह स्क्रीन चौड़ा कर देती है। एप्पल पिछले कई सालों से यही काम कर रही है।

लेकिन इसके अलावा यही सिद्धान्त यति नरसिंहानंद पर भी लागू होता है। जिसे लाया इस तरह गया कि लोग अभी तक कन्फ्यूज हैं कि ये व्यक्ति है कैसा? क्या वो धर्म के लिए लड़ने वालों में से हैं या धर्म के नाम पर अपनी छवि चमकने वालों में से? और क्योंकि वह भगवा भी पहनता है तो कोई भी भ्रमित हो सकता है।

नरसिंहानंद का सच जितना आश्चर्यजनक है, उतना ही उसका भूत भयानक है। उस व्यक्ति ने सबको आज शर्मिंदा कर दिया है। कल यति नरसिंहानंद को उत्तराखंड पुलिस ने गिरफ्तार किया । वसीम रिजवी उर्फ ​​जितेंद्र त्यागी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद वह  धर्म संसद में प्रस्तुत व्यक्तियों में से गिरफ्तार होने वाला दूसरा व्यक्ति है।

दिसंबर 2021 में हरिद्वार में आयोजित धार्मिक सभा या ‘धर्म संसद’ में, कई हिंदू पुजारियों ने इस्लाम के विरुद्ध आपत्तिजनक बयान दिए। इस धर्म संसद में मनमोहन सिंह को गोली मारने की धमकी के साथ-साथ हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए मुसलमानों का संहार तक की बात कही गई थी।
कार्यक्रम में अपने भाषण में, यति नरसिंहानंद ने कथित तौर पर कहा कि “हिंदू ब्रिगेड को बड़े और बेहतर हथियारों से लैस करना चलिये” , “मुसलमानों से खतरे के खिलाफ हमें समाधान निकालना होगा।”

लेकिन अब तक लोगों को लग रहा था कि यति धर्म संसद में दिये अपने भाषण के कारण गिरफ्तार हुआ है लेकिन पुलिस ने एनडीटीवी को बताया कि यती नरसिंहानंद को महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए गिरफ्तार किया गया है, न कि धर्म संसद या धार्मिक सभा में अभद्र भाषा के लिए ।

लेकिन हम क्यों कह रहे हैं कि यति नरसिंहानंद नामक यह व्यक्ति लोगों को भ्रमित करने में सक्षम है?

किसी के लिए वह दीपक यादव है, तो किसी के लिए वह दीपक त्यागी। किसी के लिए वह डासना मंदिर का प्रमुख महंत है, तो किसी के लिए वह हिंदुओं का तारणहार। इसी यति नरसिंहानंद सरस्वती का एक वीडियो सोशल मीडिया पर कुछ समय पूर्व वायरल हो रहा था, जिसमें उसने भाजपा के प्रति न केवल विष उगला है, अपितु भाजपा की महिला नेताओं के विरुद्ध जमकर भद्दी बाते भी कही है। अब किसी दल कि आलोचना करना गलत नहीं है, लेकिन आलोचना के नाम पर महिलाओं पर अभद्र टिपणी करना, झूठ फैलाना और अपनी घृणा दिखाना, क्या इसे उचित ठहराया जा सकता है?

 

यति नरसिंहानंद सरस्वती कि महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी वाली वीडियो पर सभी ने यति नरसिंहानंद के कुत्सित विचारों की आलोचना की थी। लोगों ने यति नरसिंहानंद को ‘जिहादी सोच से बीमार कोई कुंठित आदमी’ बताते हुए NCW व उत्तर प्रदेश पुलिस से उनकी गिरफ़्तारी की माँग भी की है। ये भी कहा गया था कि ये व्यक्ति माँ जगदम्बा के मंदिर में बैठने योग्य नहीं है।

TFI ने आज से कुछ महीनों पहले ही बताया था कि यति नरसिंहानंद सरस्वती पूर्णतया दूध का धुला नहीं हैं। वह अपने आप को हिंदूवादी एवं राष्ट्रवादी बताता फिरता है, परंतु उसे केवल भाजपा से ही नहीं, बल्कि योगी आदित्यनाथ जैसे लोगों से भी काफी चिढ़ है, जो हिन्दुत्व के विषय पर मोदी सरकार से अधिक आक्रामक माने जाते हैं।

जब कोविड की दूसरी लहर आई थी, तो पंजाब, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य फिसड्डी सिद्ध हुए, जबकि उत्तर प्रदेश ने पहली लहर की भांति दूसरी लहर में भी कुशल प्रबंधन से सब कुछ संभाल लिया। जहां उत्तर प्रदेश के ‘कोविड प्रबंधन मॉडेल’ की कुछ सार्वजनिक तौर तो कुछ छुपकर प्रशंसा कर रहे थे, तो वहीं यति नरसिंहानंद सरस्वती भी थे, जिन्होंने न केवल विपक्षियों के झूठे आरोपों को दोहराया, अपितु योगी प्रशासन के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग भी किया।

 

लेकिन इस विडियो पर हर ओर से आलोचना मिलने पर पलटी मारते हुए यति नरसिंहानंद को अचानक योगी अदित्यनाथ अच्छे लाग्ने लगे। उसने कहा कि ‘मैं तो योगी के साथ हूँ!’

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अब इन घटनाओं को चुनावी नज़रिये से देखते हैं । 2017 में, उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अपने दम पर 312 सीटें जीती थीं। इसने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को केवल दिखावे में बदल दिया था। अभी सोचिए कि यूपी में वापसी के लिए कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा लालायित है? जो कैसे भी बस सत्ता पाना चाहती है? वो है समाजवादी पार्टी है।

अखिलेश यादव जानते हैं कि उनकी जाति के फार्मूले को भाजपा ने पहले 2017 में, और फिर 2019 में – सपा-कांग्रेस गठबंधन के बावजूद, जोरदार तरीके से ध्वस्त किया है। ऐसे में समाजवादी पार्टी क्या करेगी? या कोई भी ऐसी पार्टी क्या कर सकती है? क्या वो चुपचापसब देखती रहेगी? या फिर सत्ता के लिए लड़ेगी? अखिलेश यादव ने लड़ने का फैसला किया, लेकिन समस्या यह है कि उनके शस्त्रागार में केवल जातिगत संयोजन हैं – और भाजपा ने अतीत में इसे विफल साबित किया हुआ है। इसलिए अखिलेश यादव ने योजना बनाई और इस योजना में भाजपा की नाक के नीचे से सवर्ण हिंदू वोटों की चोरी करना शामिल था।

अब आपको एक और बात बताते हैं । यति नरसिंहानंद अपनी जवानी के दिनों में समाजवादी पार्टी का नेता रह चुका है।  वह समाजवादी पार्टी का युवा छात्र नेता रहने के बाद यहाँ आया है। ऐसे में यह पूरी संभावना है कि उसे विपक्षी दलों द्वारा भेजा गया हो ताकि जो हिन्दू भाजपा के झंडे तले एक हो गए है, उसमें फुट डाल सके।

पिछले वर्ष जून में TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने ट्वीट किया था कि, “जो लोग मुझे जानते हैं वे जानते हैं कि मैं conspiracy theories में नहीं उलझता। मेरा एक पूर्वानुमान है: समाजवादी पार्टी भाजपा से उच्च वर्ग के वोट छीनने के लिए एक भव्य योजना के साथ तैयार है। और यह “आपकी” मदद से किया जाएगा। आपके द्वारा, मेरा मतलब यहाँ भोले-भाले लोगों से है। पिछले 2-3 वर्षों में “बनाए गए” दक्षिणपंथी योद्धाओं से सावधान रहें। वे हिंदुत्व के सबसे मुखर समर्थकों के रूप में आपके सामने आएंगे। वे आपको बताते रहेंगे कि बीजेपी ने हिंदुओं को कैसे ठगा। वे इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए अग्रिम पंक्ति के योद्धा होंगे और वे सीधे तौर पर सपा की प्रशंसा नहीं करेंगे।“

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आब आप इसे यति से जोड़कर सोचिए। कौन है यति नरसिंहनद? अचानक ये कैसे इतना प्रसिद्ध हो गया? कैसे ये दक्षिणपंथ में एक सनसनी के तौर पर उभरा? आप याद करें तो यति तब सुर्खियों में आया जब उसे दसना मंदिर में घुसने वाले एक मुसलमान युवक की पिटाई की और उसके बाद सोशल मीडिया उस आदमी के समर्थन से भर गया।
इसके अलावा सोश्ल मीडिया, विशेषकर व्हाट्सएप और फेसबुक में हिंदुओं को भाजपा विरोधी दुष्प्रचार के लिए मजबूर किया जा रहा है। “भाजपा ने आपके लिए क्या किया है?”, “योगी ने आपके लिए क्या किया है?”

समाजवादी पार्टी मुख्य रूप से युवाओं को निशाना बना रही है और ये सब चुनावों से कुछ समय पहले ही प्रारम्भ हुआ है

अब यती कभी भी मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का आह्वान करने से पीछे नहीं हटा। वह बहुत जल्दी प्रसिद्ध हो गया। एक धर्म संसद जिसमें मुसलमानों के नरसंघारों की बात हुई और उसका प्रसारण टेलिविजन पर हुआ। ये देख ऐसा लगता है कि ये सब जानकर किया गया जिससे बाद में भाजपा पर दोष मढ़ा जा सके और यह कहा जा सके कि भाजपा ने हिंदुओं कि बात करने वालों कि रक्षा नहीं की। अब अखिलेश यादव कैसे भी मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, और यति और उनके जैसे अन्य सभी जोर-शोर से यादव परिवार की ‘कुटिल’ आकस्मिक योजना का हिस्सा हैं।

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