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अजीत अंजुम: भाजपा विरोधियों की तलाश में अपनी भद पिटवाने वाले एक बेरोजगार पत्रकार

जब यूपी वालों ने अजीत अंजुम को भर-भर कर धोया!

Utkarsh Upadhyay द्वारा Utkarsh Upadhyay
28 February 2022
in व्यंग
अजीत अंजुम

Source- TFIPOST

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एक पत्रकार से क्या अपेक्षा की जाती है कि वो तथ्य बताए, बात को बिना तोड़े-मरोड़े समझाए और जनता से किये संवाद में शालीनता का परिचय दे। परंतु, आज हमारे देश में एक तथाकथित पत्रकारों की गैंग है, जिसे इन सब से कोई वास्ता नहीं है, उनका एकमात्र ध्येय है- पीएम मोदी और भाजपा का सीधा विरोध। इस ब्रिगेड में सबसे चर्चित और न जाने कहां से वित्तपोषित पूर्व पत्रकार और वर्तमान में पक्षकार अजीत अंजुम ग्राउंड ज़ीरो से अपनी खूब फजीहत करा रहे हैं। मेनस्ट्रीम मीडिया से पत्ता साफ़ होने के बाद YouTuber बने अजीत अंजुम अपनी एकतरफा ‘उद्देश्यपूर्ण’ रिपोर्टिंग शैली के लिए बदनाम हैं और अब जनता उन्हें ग्राउंड जीरो पर आइना दिखाना आरंभ कर चुकी है! इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे यूपी चुनाव में चुनावी सैर पर निकले अंजुम अब बेइज्जती के पर्याय बन चुके हैं!

और पढ़ें: इरफान पठान से लेकर मनोज वाजपेयी तक: इन सभी ने आरफा खानम शेरवानी की जमकर लगाई है क्लास

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अजीत अंजुम का जाति कार्ड

अजीत अंजुम अपनी अस्त-व्यस्त हालत में राज्य, उसके गांवों और कस्बों का दौरा करते हैं, पर जहां उनके एजेंडे की पूर्ति नहीं होती, वहां के लोगों से उनका मन खट्टा सा हो जाता है। वो उत्तर प्रदेश चुनाव में मूलतः योगी विरोधी लहर से जुड़े तथ्यों और सरकार समर्थित अपवादों से दूर अपनी एजेंडा पत्रकारिता खोजने की कोशिश करते हैं! हालांकि, अधिकांश रूप से राज्य की बयार अंजुम के लिए उल्टी हो जाती है, क्योंकि कई बार मोदी विरोध में उत्तर पाने की होड़ में उन्हें सामने से योगी समर्थित जनता से रूबरू होना पड़ता है, जिसके तुरंत बाद अंजुम का जाति कार्ड खुलता है कि “कौन जात हो भाई, अच्छा पंडित हो, तभी बीजेपी-बीजपी कर रहे हो।” लेकिन यह शब्द अंजुम के मुख से तब नहीं फूटते, जब कोई सपा समर्थक अखिलेश की चाशनी में डुबो-डुबो कर तारीफ करता है, तब यादव हो की नहीं, पूछना तो दूर कौन सी पार्टी को वोट करते हो, यह पूछ्ने में भी अजीत अंजुम की तबीयत तंग हो जाती है।

यूं तो भाजपा विरोधी आवाजों को खोजना अजीत अंजुम का प्रतिदिन का काम है। ऐसा प्रतीत होता है कि अंजुम पत्रकारिता नहीं, अब अपने राजनीतिक आकाओं के लिए अंतिम समय में प्रचार करके मतदाताओं और उनके मानस को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं! पांचवें चरण के मतदान के दौरान उन्होंने कुछ ऐसे प्रश्न जनता से किए, जो प्रश्न करना वास्तव में उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उदाहरण के लिए, उन्होंने एक वोटर से पूछा कि “आपने किसे वोट दिया”, “विकास कौन लाएगा?” “योगी जी, अखिलेश जी, बहनजी, आप किसे वोट दे रहे हैं?” यहां तक कि उन्होंने उन मतदाताओं को प्रभावित किया, जिन्होंने अभी तक वोट भी नहीं डाला था। हालांकि, अजीत के एजेंडे के विपरीत, अधिकांश मतदाताओं ने दावा किया कि वे भाजपा, योगी, मोदी और उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों के लिए मतदान कर रहे थे। एक वोटर ने तो यहां तक कह दिया कि ‘बीजेपी का सत्य सबके समक्ष है, यह किसी से छिपा नहीं है कि बीजेपी विकास की पार्टी है।”

Ajit Anjum standing outside polling booth and seems to harass voters

Not just voters coming out, but even voters going in

Many voters don't want to talk, but he is pressing them

His "questions" seem very close to actual campaigning, which is banned

EC should look into this.

— Abhishek (@AbhishBanerj) February 27, 2022

एक महिला ने कर दी थी अंजुम की बोलती बंद

पर ये तो अजीत अंजुम की अब तक की शैली ही रही है, जिसमें उन्होंने महारत हासिल तो की, परंतु पत्रकारिता के मूल्यों की बैंड बजा दी। यही कारण है कि India TV जैसे बड़े समूह से हटने के बाद, उन्हें किसी चैनल में जगह नहीं मिली, ले देकर TV9 Bharatvarsh ने अपने शुरुआती चरण में उन्हें बतौर संपादक रखा, पर जब वहां भी पत्रकारिता और पक्षकारिता में कोई अंतर नहीं दिखा, तो उन्हें TV9 समूह ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।

इसके अलावा, अनगिनत भाजपा मतदाताओं से अपनी बोलती बंद करवाने के बाद, अजीत अंजुम ने कई बार महिला मतदाताओं की जाति पूछकर कई बार सवालों को मोड़ने का प्रयास भी किया है। एक बार एक महिला ने उन्हें जवाब दिया कि वह टोकरी बनाने वाली जाति से आती है, तो अजीत ने पूछा कि वे दलित हैं या नहीं। हालांकि, महिला मतदाता को यह नहीं पता था कि दलित का क्या मतलब है। यहां भी वो जातिकार्ड खेलने वाले थे, लेकिन उस पर पानी फिर गया।

यूं तो यह पहली बार नहीं है जब अजीत अंजुम को अपने उत्साह पर अंकुश लगाना पड़ा और एजेंडा को नरम करना पड़ा है। ध्यान देने वाली बात है कि यूपी चुनाव के पिछले चरणों के दौरान, अजीत ने अपने भीतर के रवीश कुमार को बाहर निकालते हुए एक महिला से संपर्क किया और पूछा कि उसकी जाति क्या है? हालांकि, उक्त महिला ने, अजीत के विकृत एजेंडे से अवगत होने के कारण, सीधे जवाब दिया, “मैं हिंदू हूं”। उन्होंने फिर पूछा और महिला ने फिर से वहीं जवाब दिया। अजीत अंजुम की एक और बार घिग्घी बंध गई और मुंह में दही जम गया!

और पढ़े: Asia में तस्करी के सबसे बड़े बाज़ार पर लगा ताला, योगी आदित्यनाथ ने सोतीगंज मार्केट को किया बंद

Fantastic moment when Ajit Anjum asks a voter what is her caste.

The woman replies softly : I am a Hindu

India has changed a lot.

Get used to it, liberals.

— Abhishek (@AbhishBanerj) February 25, 2022

 

मेरठ में जातिवादी टिप्पणी

अजीत अंजुम के लिए शर्मिंदगी का एक और दौर तब आया, जब उन्होंने अपनी तुच्छ जातिवादी प्रवृत्ति दिखाई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हुए एक वीडियो में, अंजुम ने मेरठ के शिवलखास में स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करते हुए कुछ जातिवादी गालियां दी। अजीत के बयान स्व-वर्णित अम्बेडकरवादी सूरज बौद्ध के साथ अच्छी तरह से नहीं बैठे, जिन्होंने अंजुम की जातिवादी गालियों पर आपत्ति जताई और उन्हें कहावतों के बहाने उनका इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा। सभी दिशाओं से आलोचना का सामना करते हुए, अजीत ने माफी मांगने के लिए ट्विटर का सहारा लिया और वही कार्ड खेला जो जातिवादी अश्वेतों को गाली देने के लिए इस्तेमाल करते हैं – “मेरे काले दोस्त हैं, मैं नस्लवादी नहीं हो सकता।”

सनातनी हों या फिर लिबरल, रूह से दोनों एक ही हैं। अजीत अंजुम बताएं कि ये 'चोरी-चमारी' का क्या मतलब है? आपने यहां अपनी जाति क्यों नहीं जोड़ी? जातिसूचक गालियों को कहावतों का नाम न दें। @ajitanjum #CrushTheCaste pic.twitter.com/Sgcl8WKDdx

— Suraj Kumar Bauddh (@SurajKrBauddh) February 10, 2022

अजीत अंजुम ने ट्वीट किया, ‘मुझे माफ करना सूरजकृष्ण बौद्ध, मैं ‘चोरी-चाकरी’ बोलना चाहती था, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह कैसे कहा गया। मैं तहे दिल से माफी मांगता हूं। आशा है आप सभी मुझे क्षमा करेंगे। मैं न तो ऐसा हूं और न ही सोचता हूं, इसलिए मैं भी उन चंद पत्रकारों में से हूं, जो पिछले 6 महीनों में कई बार दलितों के बीच गए होंगे।” बता दें, इंटरनेट पर वायरल हो रही एक वीडियो में अंजुम ने मेरठ के शिवलखास में स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करते हुए “चोरी-चमारी” शब्द का उच्चारण किया था।

गौरतलब है कि ये जमाना वो नहीं रहा, जो एक समय पर था, ये पब्लिक वो नहीं रही, जो एक समय पर थी यानी नासमझ और अबोध। पब्लिक अब एक मिनट में तीन में न तेराह में वाले लोगों को झट से उनकी वास्तविकता से परिचित करा देती है, कुछ ऐसा ही एजेंडाधारी अजीत अंजुम के जीवन में हो रहा है, जहाँ बीच चौराहे पर उनकी रही बची शख्सियत भी बारह के भाव में जाती स्पष्ट दिख रही है। उत्तर प्रदेश राज्य की 403 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव अब अंतिम चरण में है। परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे। हालांकि, योगी के राज्य में महीनों बिताने के बाद, अजीत अंजुम को पहले से ही परिणाम पता चल रहा होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वो किस वनवास को जाते हैं!

और पढ़ें: योगी आदित्यनाथ के लिए बढ़िया संकेत, PM मोदी की तरह ही उन्हें भी बैन कर सकता है अमेरिका

Tags: अजील अंजुममेरठयूपी चुनाव
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