क्रिकेट में जो जंग ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में जारी है। फुटबॉल में जो जंग बार्सिलोना और रियल मैड्रिड में वर्षों से चल रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वही जंग भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच में जारी है। खैर बार्सिलोना अगर हार भी जाये तो बुरी बात नहीं है, लेकिन वह होम ग्राउंड पर हार जाए तो इससे शर्मनाक हार कुछ भी नहीं होगी। अब समाजवादी पार्टी के साथ भी होम ग्राउंड में हार वाली स्थिति बन गई है। मैनपुरी समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। वहां पर एक के बाद एक चुनाव में समाजवादी पार्टी का दबदबा दिखा है। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता दिख रहा है कि यह गढ़ भी समाजवादी पार्टी के हाथों से फिसलने वाला है। ध्यान देने वाली बात है कि समाजवादी पार्टी का गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी में सीएम योगी और भाजपा का जय-जयकार हो रहा है और परिणामस्वरुप सपा का यह अभेद्य किला अब ध्वस्त होने के कगार पर है।
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मैनपुरी में होगी करारी टक्कर
दरअसल, समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मैनपुरी से की थी, जो अब उनके बेटे अखिलेश यादव के लिए आधार तैयार कर रही है, लेकिन अब यह किला ध्वस्त होने के लिए तैयार है। मैनपुरी जिले में चार विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें मैनपुरी, भोंगांव, किशनी और करहल शामिल है। फिलहाल चारों सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। इस विधानसभा चुनाव में सपा ने मौजूदा विधायक राजू यादव, बृजेश कठेरिया, आलोक कुमार शाक्य को क्रमशः मैनपुरी सदर, किशनी और भोंगाँव विधानसभा क्षेत्रों से मैदान में उतारा है। और करहल विधानसभा सीट से खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने करहल से अखिलेश यादव के खिलाफ केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल को मैदान में उतारा है।
मैनपुरी के स्थानीय लोगों को सपा का वफादार वोट बैंक माना जाता है, लेकिन अब वह भी प्रदेश की बेहतर हो रही स्थिति और राज्य के कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की सराहना करते नहीं थक रहे हैं। मैनपुरी के स्थानीय लोगों को यह लगता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सपा को कड़ी टक्कर दे सकती है। यह बातें सिर्फ हवा हवाई नहीं है। लोग भी यह बात मान रहे हैं।
मैनपुरी के मूल निवासी रॉकी शुक्ला का कहना है कि इस क्षेत्र में तीन प्रमुख मुद्दों में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की कमी शामिल है, लेकिन जब बात इस मुद्दों पर काम करने की आई तो शुक्ला ने बताया कि “भाजपा का प्रभाव इस बार अच्छा है। पहले यह सीट सपा उम्मीदवारों के लिए आसान हुआ करती था, लेकिन अब मैं कह सकता हूं कि सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला है।”
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कुर्सी दांव लगी है अखिलेश यादव की कुर्सी
इस संघर्ष को खुद अखिलेश यादव भी समझते हैं। उनकी खुद की सीट करहल तहसील भी इस बार सुरक्षित नहीं है। भाजपा ने प्रतिद्वंद्वी के रूप में SP सिंह बघेल को उतारा है, जिनका प्रभाव करहल में काफी ज्यादा है। दूसरी बात यह है कि SP सिंह बघेल, समाजवादी पार्टी के नस- नस को जानते हैं। ध्यान देने वाली बात है कि वह पूर्व में सपा का हिस्सा भी रहे हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अपनी पराजय को सामने देखकर पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के गुंडो ने SP सिंह पर हमला भी कर दिया था। उत्तर प्रदेश में मैनपुरी जिले की करहल तहसील के अत्तिकुल्लापुर गांव के समीप केंद्रीय मंत्री एवं करहल से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल के काफिले पर पथराव और लाठियों से हमला किया गया था।
मैनपुरी पुलिस ने घटना को संज्ञान में लेते हुए मामला दर्ज कर लिया गया है। मैनपुरी पुलिस ने कहा, “एसपी सिंह बघेल सुरक्षित हैं।” घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए बघेल ने कहा, “जब मैं चुनाव प्रचार करके लौट रहा था, तो अत्तिकुल्लापुर गांव के पास कुछ लोगों ने हमारी कारों पर हमला कर दिया। वे ‘अखिलेश भैया जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे। हमने पुलिस से शिकायत की है और मामला दर्ज कर लिया गया है।” गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की। अधिकारियों ने कहा, “उन्हें 11 फरवरी को केंद्र सरकार का सशस्त्र सुरक्षा कवच मिला था।” कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि राज्य में भाजपा के बढ़ते जनाधार से अखिलेश यादव डर गए हैं। उन्हें अपनी हार का भय है और अगर उनका भय सही साबित हो गया, तो न सिर्फ करहल विधानसभा जाएगा, बल्कि सपा का गढ़ मैनपुरी भी उनके हाथों से निकल जाएगा।