योगी के खौफ से “ए पुलिस, ए पुलिस” चिल्लाने लगे हैं अखिलेश यादव!

"जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है"

akhilesh yadav

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एक व्यक्ति कितना भी झूठ का चादर ओढ़ ले, एक न एक दिन उसका असली व्यवहार सबके सामने आ ही जाता है| समय काल और परिस्थिति हर बात का आंकलन करा देती हैं। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ होता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कन्नौज के तिरवा में अपनी जनसभा के मंच के पास इलाके में मच रही भगदड़ और बैरिगेड तोड़ने वालों पर बल का प्रयोग किया तो मंचासीन अखिलेश तिलमिला गए। उन्होंने मंच से जनता को संबोधित करते हुए, बीच में ही पुलिस को निशाने पर लेना शुरू कर दिया।

दरअसल, पुलिस ने जनसभा के मंच के पास वाले इलाके में अंदर घुसने की कोशिश कर रहे लोगों को हटाने का प्रयास किया था। इस कारण से पुलिस को बल का भी प्रयोग करना पड़ गया जिसे मंच से अखिलेश यादव ने देख लिया। इसके बाद उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करते हुए, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को कन्नौज के तिरवा में मंच के पास के इलाके को खाली करने वाले पुलिसकर्मियों पर अपना आपा खो दिया। सामने आए एक वीडियो में, यादव को बार-बार ‘ऐ पुलिस … ऐ पुलिस ..’ चिल्लाते हुए देखा जा सकता है। सपा प्रमुख को आगे चिल्लाते हुए सुना जा सकता है, ‘मत करो, मत करो। इसके बाद अखिलेश ने पुलिस को हड़काते हुए उन्हें भाजपा के इशारे पर काम करने वाले पुलिस वाले तक कह दिया।

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अपने भाषण में अखिलेश ने आगे कहा कि, “ए पुलिस वालों, ऐ पुलिस, ऐ पुलिस वालों… क्यों कर रहे हो ये तमाशा, ऐ तुमसे ज्यादा बदतमीज कुछ नहीं हो सकता, क्यों ऐसा कर रहे हो भाई। ये लगता है बीजेपी वाले करवा रहे हैं। ये बीजेपी वालों ने रेड कार्ड इश्यू किए थे, याद है कि नहीं…”

ज्ञात हो कि, उत्तर प्रदेश में अब तक 2 चरणों के चुनाव के साथ कुल 113 सीटों पर मतदान हो चुका है। इसके बाद आ रहे अधिकांश विश्लेषणों में सपा को मनमुताबिक आशाओं की पूर्ति होती नहीं दिख रही है। ऐसे में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का मंच से यूँ तिलमिला जाना और जो पुलिस उनकी सुरक्षा में खड़ी है, उन्हें ही लताड़ लगाना उसी हताशा को परिभाषित कर रहा है जो हारने के भय से होता है।

एक ओर जहाँ मंच से अखिलेश पुलिस व्यवस्था और नियत्रंण की ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों को बीजेपी का बताते हुए नहीं थक रहे थे, वह इनकी सुरक्षा नहीं करती तो सरकार पर सवालिया निशान लगते रहते| अगर यही पुलिस, अपने बल प्रयोग नहीं करती और मंच के पास भीड़ को एकत्रित हो जाने देती और उसी बीच कोई आकर अप्रिय घटना करकर चला जाता तो यही समाजवादी नेता शासन प्रशासन को गाली देते नहीं थकते।

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जिस तरह का व्यवहार मंच से अखिलेश यादव ने पुलिस और पुलिस कर्मियों के प्रति प्रकट किया, वो निस्संदेह उनकी हताशा को दिखा रहा है। जबकि अभी तो मात्र 2 चरणों की वोटिंग पूर्ण हुई है। जब आगाज़ ऐसा है तो अंजाम कैसा होगा, साथ ही चुनाव के समय ऐसा व्यवहार कोई भी नेता करे तो उसे यही कहा जाएगा की खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे। अभी 5 चरणों का चुनाव शेष है और तब तक अखिलेश यादव का पारा कहाँ जाकर रुकेगा वो 10 मार्च से पहले पता चल ही जाएगा।

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