2008 मालेगांव विस्फोट मामले में एक और गवाह गुरुवार को मुकर गया, यह दावा करते हुए कि उस पर महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) द्वारा RSS के सदस्यों का नाम लेने के लिए दबाव डाला गया था। अब तक जिन 226 गवाहों ने गवाही दी है, उनमें से वह अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं करने वाले 17वें गवाह था।
ATS के अधिकारियों ने, जिन्होंने पिछले हफ्ते सबूतों की रिकॉर्डिंग के दौरान मौजूद रहने की मांग की थी, उन्होने अब तक अदालत में पेश होने के लिए औपचारिक याचिका दायर नहीं की है। राज्य के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने पिछले महीने कहा था कि गवाहों के मुकरने पर ध्यान देते हुए ATS के एक प्रतिनिधि को सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहने के लिए कहा जाएगा।
गुरुवार को, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का प्रतिनिधित्व करने वाले विशेष लोक अभियोजक संदीप सदावर्ते ने गवाह से पूछताछ की, जिसने 2011 में ATS से जांच अपने हाथ में ली थी। 8 नवंबर, 2008 को मालेगांव विस्फोट मामले में दर्ज गवाह के बयान का एक हिस्सा ATS की चार्जशीट , 2008 में फरार आरोपी रामचंद्र कलसांगरा के साथ उसके संपर्क से संबंधित है।
मालेगांव विस्फोट मामले में गवाह ने अदालत को बताया कि उसे ATS अधिकारियों ने तीन-चार बार अवैध रूप से हिरासत में लिया था। उसने दावा किया कि उसके साथ मारपीट की गई, बंदूक की नोक पर धमकी दी गई और RSS के सदस्यों के नाम लेने का निर्देश दिया गया। गवाह के बयान, जो चार्जशीट का हिस्सा है, उसमें RSS के किसी सदस्य का नाम नहीं है। इसमें दावा किया गया कि गवाह ने ATS को बताया कि वह RSS का सदस्य है और उसका न तो विस्फोट से कोई लेना-देना है और न ही इसके बारे में कोई जानकारी है।
गवाह ने गुरुवार को अदालत को बताया कि वह RSS का सदस्य नहीं है और उसे इसके पदाधिकारियों के नाम नहीं पता हैं। उन्होंने कहा कि उन पर दबाव डाला गया और उन्हें धमकाया गया और इसके कारण उनके कान में चोट लगी। यह पूछे जाने पर कि क्या उसने किसी पुलिस अधिकारी को इसकी सूचना दी है, गवाह ने कहा कि वह डर के कारण सुचना नहीं दे पाया था।
इसी मामले को लेकर पिछले दिसंबर में, एक अन्य गवाह ने अदालत को बताया था कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित RSS के पांच सदस्यों का नाम लेने के लिए उन पर दबाव डाला गया था। पिछले हफ्ते ATS से मामले के सेवानिवृत्त जांच अधिकारी समेत दो अधिकारी कोर्ट में मौजूद थे. लेकिन बचाव पक्ष के कुछ वकीलों ने विरोध किया तो वे चले गए।
उन्होंने अदालत से कहा कि अगर मुकदमे में शामिल होने की अनुमति के लिए औपचारिक याचिका दायर की जाती है तो वे वरिष्ठों से निर्देश लेंगे। आपको बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास एक विस्फोट हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 अन्य घायल हो गए थे। इस मामले के आरोपियों में भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं। फिलहाल, ये सभी जमानत पर बाहर हैं।