जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। क्राइम की दुनिया में कई ऐसे अनछुए और अनकहे पहलु होते हैं जो आज के परिदृश्य में टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म अपने माध्यम से दर्शकों को परोसने का काम करते है। यूं तो इन सभी का मूल उद्देश्य इनके अनुसार जनता के बीच सतर्कता पैदा करना होता है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इन शो का समाज पर क्या असर पड़ता है? कोई भी अपराधी अपराध करने से पूर्व नियोजन कर लेता है कि अपराध को कैसे अंजाम दिया जाए, अपराध भी हो जाए और वो पकड़ा भी न जाए। निश्चित रूप से ये सब करने और सीखने के लिए अपराधी प्लानिंग करता है औऱ उसकी प्लानिंग को मूर्त स्वरुप देते हैं टीवी पर चलने वाले कई तरह के क्राइम शो! इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि क्राइम शो, जिन्हें जनता की सतर्कता के लिए बनाया जाता है, वो कैसे अपराधियों को और ज्यादा क्रिएटिव बनाने का काम करते हैं।
टीवी के प्रादुर्भाव से ही उसके और दर्शक के बीच एक कड़ी का निर्माण किया गया है, ताकि वो प्रसारित हो रहे सभी कार्यकर्मों से जुड़ाव रख सके। दर्शक को यही लगे कि यह वास्तविक ही है और उन्हीं के बीच से है। निस्संदेह क्राइम से जुड़े कई प्रसारित होने वाले कार्यक्रम बीते 1 दशक से भारत के चटपटे-मसालेदार कार्यक्रमों का एक अभिन्न-हिस्सा बन गए हैं। अपने मनोरंजन के लिए दर्शक क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया, सीआईडी जैसे टीवी सीरियल देखने का ऐसा चस्का चढ़ा लेते हैं कि उनकी बुद्धि भी उसी के इर्द-गिर्द घूमने लगती है। ऐसे में शांत से शांत और मासूम से मासूम लगने वाला व्यक्ति उस दर्शक को षड्यंत्रकारी लगने लगता है, कई बार तो इसी सीरियल की धुन में वो अपने पारिवारिक सदस्यों को ही अपराधी समझने लगता है। यह उस प्रवृत्ति को दर्शाता है कि “किसी चीज़ की अति सदैव अच्छी नहीं होती है।”
अपराधियों के लिए Tutorial से कम नहीं है ऐसे शो
यही टीवी सीरियल और आज के ज़माने में लोकप्रिय हो चले ओटीटी प्लेटफॉर्म दर्शकों को हर वो चीज़ परोसने में जुट गए हैं, जिससे उनकी Viewership से लेकर TRP बढ़े। ऐसे में इनके अनुसार तथाकथित सत्य घटना पर आधारित कोई भी शो या वेब सीरीज़ बनाते हुए, वो उक्त घटना को और सनसनीखेज और आकर्षक बनाने के लिए उसमें मिर्च-मसाला भी मिश्रित करने का काम करते हैं। ऐसे में जो भी आपराधिक मानसिकता वाला दर्शक उस शो या वेब सीरीज़ को देखता है, तो उसे प्रेरणा मिलती है कि यदि दिखाए गए पात्र ने इतनी सफाई से जुर्म को अंजाम दे दिया तो उक्त आपराधिक मानसिकता वाला व्यक्ति उसी का अनुकरण करने का प्रयास करने लगता है। ऐसे में निस्संदेह यह पात्र और दिखाए गए घटनाक्रम अपराधी के लिए किसी Tutorial से कम नहीं है।
यूं तो इन सभी सीरियल पर नज़र रखना संभव नहीं है, क्योंकि यह सब एक वाणिज्यिक उद्यम है, वे पहले ही घटित हो चुकी अपराध की कहानियां दिखाते हैं।जो दर्शाती है कि अपराधी दिमाग हमारे रचनात्मक दिमाग से काफी आगे है। ऐसे में यह तथ्य है कि अपराधी का सबसे पहला गुरु आज के परिप्रेक्ष्य में ये टीवी शो और वेब सीरीज़ बन चुके हैं। युवाओं पर इस तरह के शो के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर, गुरुग्राम पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) सुभाष बोकन ने आईएएनएस को बताया, “परिपक्व लोग इन शो से प्रेरित नहीं होंगे, लेकिन कुछ अपराध हुए हैं।” बोकन के मुताबिक पूछताछ के दौरान, अपराधियों ने कहा कि वे अपराध शो देखते थे। उन्होंने कहा, “अपराधियों ने वैसे भी अपराध करने के बारे में सोचा था, लेकिन प्रक्रियाएं कैसे सटीक आ पाएं इसके बारे में उन्होंने टीवी शो से वह सब जाना है।”
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कई मामले आ चुके हैं सामने
एक उदाहरण साझा करते हुए, बोकन ने कहा, “कुछ महीने पहले, एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। उसकी बाइक और शव को एक नदी में फेंक दिया गया था ताकि यह हत्या की तरह न लगे। जब दोषियों से पूछा गया कि उनके दिमाग में यह सब कैसे आया, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘क्राइम पेट्रोल’ जैसे क्राइम शो देखे हैं। तो क्या पुलिस को ऐसे शो पर नजर रखनी चाहिए?” सत्य तो यह है कि जितना जनता का जागरूक होना आवश्यक है, उतनी ही जवाबदेही इन सभी टीवी शो और वेब सीरीज़ की बनती है कि ऐसी संजीदा घटनाओं को मिर्च-मसाला लगाकर प्रस्तुत न किया जाए, क्योंकि अपराधियों को उसी मिर्च-मसाले से बहुत कुछ सामान मिल जाता है, जिससे वो प्रेरित होते हैं और कई नृशंस घटनाओं को अंजाम देकर बचने का तरीका भी ढूंढ़ लेते हैं।
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