मीडिया में प्रचलित ‘हिजाब विवाद’ की आड़ में झारखंड के एक नाबालिग की लिंचिंग को अनदेखा किया गया

मामले को दबाने की थी कोशिश!

भारत में एक समस्या को छोटा दिखाने के लिए दूसरे समस्या को उससे बड़ा बता दिया जाता है। इससे पहले वाली समस्या दब जाती है। वहीं, कई बार तो मामले को जानबूझकर बड़ा बनाया जाता है ताकि एक मामले को खत्म किया जा सके। आज पूरे देश में हिजाब विवाद सबसे ज्वलंत मुद्दा है। इस मुद्दे पर बवाल थमता नहीं दिख रहा है। वहीं, इस मुद्दे के सहारे झारखंड राज्य में हिंदू के साथ हुई लिंचिंग की घटना को दबाने की कोशिश की जा रही है। लिंचिंग किसी भी स्थिति में एक गैर सामाजिक गतिविधि है। भारत में पिछले कुछ वर्षों में लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि हुई है। दरअसल, हज़ारीबाग जिले के बरही थाना क्षेत्र के करियादपुर गांव में सरस्वती पूजा के बाद विसर्जन जुलूस के दौरान बीते रविवार शाम 17 वर्षीय रूपेश कुमार पांडेयय की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी।

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मुसलमान भीड़ ने हिंदू भक्तों के साथ किया हंगामा

हजारीबाग जिले में दो समुदायों के सदस्यों के बीच झड़प के दौरान एक लड़के की मौत के बाद भीड़ ने छह वाहनों को आग लगा दी। दुलमुहा देवी मंडप के पास युवक के साथ मारपीट की गई है। जिसके परिणामस्वरूप उप मंडल अस्पताल, बरही में उसकी मौत हो गई, जहां उसे बेहोशी की हालत में ले जाया गया था। मूर्ति विसर्जन के दौरान 18 वर्षीय लड़के की पहचान रूपेश कुमार पांडेय के रूप में की गई है। बता दें कि सिकंदर पांडेयय के 17 वर्षीय बेटे रुपेश कुमार पांडेयय धार्मिक जुलूस का हिस्सा थे, जिसे जनता के अप्रत्याशित विरोध का सामना करना पड़ा। हजारीबाग के नई तांड गांव के लखना दुलमहा इमामबाड़ा नामक इलाके से गुजरते हुए मुसलमान भीड़ ने हिंदू भक्तों के साथ हंगामा किया था।

वहीं, मॉब लिंचिंग अधिनियम 2021 के तहत दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के अलावा किशोर के परिवार के लिए मुआवजे में 5 लाख रुपये की मांग की गई है। हालांकि, लड़के के रिश्तेदारों ने भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग विधेयक, 2021 की रोकथाम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की मांग की है, जिसका उद्देश्य लोगों के संवैधानिक अधिकारों की ‘प्रभावी सुरक्षा’ प्रदान करना और भीड़ की हिंसा को रोकना है। हजारीबाग जिला प्रशासन ने लड़के के माता और पिता को 6,000 रुपये की आजीवन पेंशन के अलावा परिजनों को तत्काल 20,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। मामले की गम्भीरता को देखते हुए FIR दर्ज की गई है। FIR में मोहम्मद असलम, मोहम्मद अनीस, मोहम्मद कैफ, मोहम्मद गुफरान, मोहम्मद चंद, मोहम्मद ओसामा, मोहम्मद एहतम, मोहम्मद नाहिद का नाम शामिल हैं।

दोषियों के खिलाफ दर्ज हुई FIR 

बताते चलें कि कई अज्ञात लोगों के अलावा 27 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी (FIR) दर्ज की गई है। अब तक चार गिरफ्तारियां की गई हैं, जबकि अन्य की तलाश जारी रही है। वहीं, बरही में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है। हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक मनोज रतन छोटे ने PTI-भाषा को बताया, ”कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त बल की तैनाती की गई है।” पुलिस ने 4 जिलों में इंटरनेट व्यवस्था को भी रोक दिया है। वहीं, इस मामले पर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि “जिले की सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए जिले के साथ-साथ कोडरमा, गिरिडीह, चतरा, रामगढ़ और बोकारो में भी अफवाह फैलाने से रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।” उन्होंने यह भी कहा कि करियादपुर गांव में स्थिति नियंत्रण में है। अधिकारियों ने कहा कि राज्य के गृह विभाग से अनुमति मिलने के बाद उत्तरी छोटानागपुर मंडल में इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी।

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गौरतलब है कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास मामले को गम्भीरता से लेते हुए सभी दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया गया कि मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार के शासन के दौरान इस तरह की घटनाएं कई गुना बढ़ गई हैं। शिवसेना के करीब पांच दर्जन सदस्यों ने भी विरोध में बीते बुधवार शाम को विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मृतक के परिजनों को मुआवजा, सरकारी नौकरी और दोषियों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने की मांग की है।

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