असम सरकार ने ‘धौलपुर’ को खाली कराने का खाका तैयार कर लिया है

हिमंता से सीखें 'घुसपैठियों' से कैसे निपटना है!

Himanta Biswa Sharma vs नजरूल इस्लाम

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धौलपुर का हस्तांतरण याद है? धौलपुर असम के सिपाझार में स्थित एक ग्राम है। पिछले वर्ष 20 और 23 सितंबर को, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में असम की भाजपा सरकार ने एक निर्णायक कदम उठाया और उन अवैध अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने का फैसला किया, जो एक जैविक कृषि परियोजना के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहे थे। हालांकि, वह निष्कासन अभियान हिंसक सिद्ध हुआ था, जब हजारों अवैध अतिक्रमणकारियों ने सरकारी अधिकारियों और पुलिस पर भाले, छुरे, चाकू और अन्य स्थानीय रूप से उपलब्ध हथियारों से हमला किया था। पुलिस द्वारा धक्का-मुक्की में दो लोगों की मौत हो गई और दोनों पक्षों के कई लोग घायल हो गए थे। अब असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस आक्रमण से विचलित न होकर इस पर दूनी शक्ति से प्रतिघात करने का निर्णय लिया है।

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विस्थापित हुए परिवारों के लिए सरकारी प्लान

हिमंता बिस्वा सरमा ने धौलपुर में हुए हमले के पीछे चरमपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया को लेकर प्रतिक्रिया दी थी। ध्यान देने वाली बात है कि सितंबर 2021 में बेदखली अभियान में 1,000 से अधिक परिवारों को धौलपुर से बेदखल किया गया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1,418 घरों, 48 दुकानों और तीन मस्जिदों को हटा दिया गया था। धौलपुर बेदखली से व्यापक आक्रोश फैल गया था। सामान्य संदिग्धों ने हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार पर मुस्लिम विरोधी और फासीवादी प्रकृति का आरोप लगाते हुए हमला बोला था। हालांकि, यह घटना असम की भाजपा सरकार को जनहित में काम करने से नहीं रोक सका।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि असम सरकार पिछले साल दरांग जिले में धौलपुर बेदखली अभियान के दौरान विस्थापित हुए 2,051 परिवारों को उसी जिले के दूसरे इलाके में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है। पहले चरण में परिवारों को डलगांव  में स्थानांतरित किया जाएगा। 31 जनवरी को एक आधिकारिक बैठक हुई, जिसमें स्थानीय विधायक, पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU) के सदस्य शामिल हुए थे। खबरों की मानें तो उसके बाद ही यह फैसला लिया गया है!

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पुनर्वास प्रक्रिया के पहले चरण में, निज़-सलमारा और धौलपुर-1 क्षेत्रों में रहने वाले 423 परिवारों को स्थानांतरित किया जाएगा, जबकि 210 परिवार जो पहले ही गरुखुटी छोड़ चुके हैं, उन्हें बाद में पुनर्वास किया जाएगा। इसी बीच, इस्लामवादियों को कड़ी चेतावनी देते हुए दरांग के उपायुक्त ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति ने “पूरी प्रक्रिया में खलल डालने” की कोशिश की, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, पुनर्वास पर AMSU के साथ एक पूर्व बैठक की अध्यक्षता करने वाले असम के राज्य मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा, “जिला प्रशासन पुनर्वास प्रक्रिया में सहायता करेगा और यह संभवत: इसी महीने यह कार्य शुरू हो जाएगा।” 

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स्वतंत्रता के पहले से है समस्या

ध्यान देने वाली बात है कि पिछले साल धौलपुर से निकाले गए सभी लोग बंगाली भाषी मुसलमान थे। इसका प्रभावी अर्थ यह है कि बेदखल किए गए लोग अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए हो सकते हैं। वास्तव में, जब यह संज्ञान में आया कि धौलपुर में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले अवैध प्रवासी हैं, तब भाजपा सरकार बेदखली के साथ आगे बढ़ी थी।

अब हिमंता सरकार के इस कदम से यह चर्चा तेज हो गई है कि एक बार बेदखल किए गए लोगों का ठीक से पुनर्वास हो जाने के बाद, असम की भाजपा सरकार वास्तविक भारतीय नागरिकों की पहचान करने और उन्हें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों से अलग करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। असम में काफी संख्या में अवैध बांग्लादेशी राज्य के संसाधनों को निचोड़ रहे हैं और हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ऐसे सभी घुसपैठियों को जल्द से जल्द निर्वासित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

गौरतलब है कि अप्रवास और अतिक्रमण के साथ असम की समस्या भारत की स्वतंत्रता से पहले की है। भारत के दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन के बाद, यह और तेजी से बढ़ गया। जैसे ही अवैध अप्रवासी असम में आए, उन्होंने बसने के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी। चूंकि अवैध अप्रवासी झुंड में चलते थे, इसलिए किसी भी व्यक्ति के लिए उनका विरोध करना मुश्किल हो जाता था। धीरे-धीरे उन्होंने कुख्यात ‘लैंड-जिहाद’ रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया। अवैध अप्रवास पर फोकस इतना अधिक था कि 2021 के असम विधानसभा चुनाव तक भूमि जिहाद सुर्खियों में नहीं आया।

घुसपैठियों से मुक्त होगा असम

इस गंभीर मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वादा किया था कि यदि भाजपा सरकार एक बार फिर से कार्यभार संभालती है, तो असम में घुसपैठियों द्वारा अवैध अप्रवास और भूमि हथियाने की समस्या से निपटने के लिए कार्य किया जाएगा। सत्ता में आने के बाद, हिमंता बिस्वा सरमा ने इस खतरे के खिलाफ एक अभियान शुरू किया और होजई, करीमगंज तथा दर्राई जैसे जिलों में हजारों बीघा जमीन को मुक्त कराया। आपको बता दें कि असम में हमेशा से अवैध प्रवासियों की समस्या रही है।

लेकिन हिमंता बिस्वा सरमा राज्य को अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों से मुक्त कराने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। वह असम की भूमि पर अवैध कब्जे को नष्ट कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्हें उनके मूल देश में वापस भेज दिया जाए। इसके लिए, असम सरकार ने उन लोगों में से अवैध बांग्लादेशी लोगों की पहचान करने का काम शुरू कर दिया है, जिन्हें उनके कब्जे वाली भूमि से बेदखल कर दिया गया है।

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