मुख्य बिंदु
- तमिलनाडु के लावण्या आत्महत्या मामले की जांच करेगी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)
- लावण्या के पिता ने दायर की थी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के द्वारा जांच हेतु याचिका
- तमिलनाडु में जबरन धर्मांतरण के कारण लावण्या ने की थी आत्महत्या
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ ने तमिलनाडु में हुए लावण्या आत्महत्या मामले में आखिरकार आदेश दे ही दिया। बीते 19 जनवरी को आत्महत्या करनेवाली कक्षा 12 की 17 वर्षीय छात्रा लावण्या के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित कर दी गयी। न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन की पीठ ने लावण्या के पिता की CID जांच की मांग पर यह आदेश दिया।
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CBI करेगी लावण्या आत्महत्या मामले की जांच
लावण्या की मौत ने तमिलनाडु में उस समय एक विवाद को जन्म दे दिया, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि छात्रावास की नन रकील मैरी ने दो साल पहले उसे और उसके माता-पिता को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की थी। लावण्या के पिता ने यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि उनका तंजावुर पुलिस की जांच पर से विश्वास उठ गया है। अतः CBI-CID जैसी जांच एजेंसी को मामला सौंप दिया जाये।
लावण्या तंजावुर के माइकलपट्टी में स्थित सेक्रेड हार्ट्स हायर सेकेंडरी स्कूल नामक एक बोर्डिंग हाउस में रहती थी। बीते 19 जनवरी को उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद लावण्या का एक वीडियो सामने आया, जिसमें उन्हें मृत्यु से दो दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 44 सेकेंड के वीडियो में लावण्या को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि दो साल पहले रकील मैरी नाम की एक महिला ने उसे ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहा था, जिसे उसने और उसके माता-पिता ने मना कर दिया था।
मुथुवेल नामक एक विहिप नेता ने लड़की का वीडियो शूट किया था। पिछली सुनवाई में, मद्रास उच्च न्यायालय ने उस व्यक्ति से वीडियो की जांच के लिए अपना फोन पुलिस को सौंपने के लिए कहा था। न्यायालय ने लड़की के माता-पिता को तंजावुर न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने और अपने बयान नए सिरे से दर्ज करने का निर्देश दिया था, जिसे बाद में एक सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश किया गया था। न्यायालय ने मुथुवेल को अपना फोन पुलिस को सौंपने के लिए भी कहा था और पुलिस को निर्देश दिया था कि वह वीडियो को लेकर उसे परेशान न करें।
हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण पर लगे रोक
हालांकि, लोक अभियोजक ने न्यायालय को बताया कि मुथुवेल जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। वहीं, पुलिस कई कोणों से इस मामले की जांच कर रही है। 53 गवाहों से पूछताछ भी की गई है। इसके अलावा यह तर्क भी दिया गया कि प्राथमिकी दर्ज किए जाने के समय माता-पिता द्वारा धर्मांतरण के आरोप नहीं लगाए गए थे। भाजपा ने आरोप लगाया था कि लड़की की मौत धर्म परिवर्तन के दबाव के कारण हुई है। भाजपा ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। बता दें कि लावण्या और उनके माता-पिता के आरोपों की जांच के लिए भाजपा ने कुछ दिनों पहले एक महिला समिति का गठन किया था।
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मालूम हो कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता और समान संरक्षण का प्रावधान करता है। वहीं, अनुच्छेद 21 किसी भी व्यक्ति के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है। विशेष रूप से, अनुच्छेद 25 किसी व्यक्ति को धार्मिक स्वतन्त्रता का नैतिक अधिकार प्रदान करता है ताकि वह अपने पसंद के किसी भी धर्म का पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित कर सके। ऐसे में, यह ना सिर्फ लावण्या की हत्या है बल्कि उसके संवैधानिक अधिकारों का भी हनन है। वहीं, एक बच्ची की मौत शायद देश के सर्वोच्च न्यायालय को भी हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण पर निर्देश पारित करने के लिए झकझोर सके।