“कहते हैं सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं! आप चाहे जितना लाग लपेट लगाकर झूठ बता लो परन्तु एक स्तर के बाद वह झूठ नहीं टिक पाता।”
यह कहावत चीन पर सटीक बैठती है। चीन अपनी सुरक्षा एवं उससे जुड़ी क्षति को लेकर विश्व पटल पर सदैव झूठ बोलता आया है। वहीं, गलवान घाटी के मामले में चीन द्वारा बोला गया झूठ अब सबके समक्ष उजागर हो चुका है। हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया की एक रिपोर्ट के अनुसार गलवान घाटी में चीन के सैनिकों को हुए नुकसान के आकड़ें कई गुना अधिक हैं। ऑस्ट्रेलियाई अखबार ‘द क्लैक्सन’ (The Klaxon) की खबर के अनुसार, कुछ शोधकर्ताओं और चीन के ब्लॉगरों के हवाले से कहा गया है कि, “चीन को हुए नुकसान के दावे नए नहीं हैं लेकिन सोशल मीडिया शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा दिए गए साक्ष्यों से, जिन पर द क्लैक्सन की खबर आधारित है, ऐसा प्रतीत होता है कि चीन को हुआ नुकसान बीजिंग द्वारा बताये गए चार सैनिकों से कहीं ज्यादा था।”
इस रिपोर्ट ने खोल दी चीन के झूठ की पोल
वहीं, इस रिपोर्ट में चीनी सैनिकों के अधिक संख्या में हताहत होने को लेकर मुख्य भूमि चीनी ब्लॉगर्स के साथ चर्चा, कुछ चीनी नागरिकों से प्राप्त जानकारी और मीडिया रिपोर्टों से जुड़ी लंबी जांच को आधार बताया गया है। ऑस्ट्रेलियाई अखबार ‘द क्लैक्सन’ ने सोशिल मीडिया रिसर्च के हवाले से इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट छापी है, जिसमें रिसर्च के दौरान ‘द क्लैक्सन’ की रिपोर्ट के अनुसार 15 और 16 जून 2020 की आधी रात को गलवान में नदी की धारा में PLA के कम से कम 38 सैनिक डूब गए थे। डूबने वालों में जूनियर सार्जेंट वांग झूरोन भी था, जिसकी मौत को चीन की सरकार ने कबूल किया था। ऐसे में, गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के हताहत होने की संख्या नौ गुना अधिक थी।
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ऑस्ट्रेलिया अखबार ‘द क्लैक्सन’ ने चीन के उस फौजी अफसर की फोटो भी जारी की है जिसके बारे में यह दावा किया जा रहा है कि वो झड़प के दौरान वहां मौजूद था। उसका नाम कर्नल कवी फबाओ है और वह उस रात गलवान घाटी में चीनी टुकड़ी का कमांडर था। इससे पूर्व में स्वयं चीन को भी दबी जुबां में स्वीकारना पडा था कि गलवान में उसे कितना नुकसान हुआ है।
गलवान घाटी को लेकर चीन ने किया था झूठा दावा
बता दें कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ 15 जून 2020 को भीषण झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जिसके बाद पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के बिंदुओं पर दोनों सेनाओं ने बल और भारी हथियार तैनात किए थे। कई माह तक न नुकुर करने के बाद चीन ने फरवरी 2021 में आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और जवान मारे गए थे लेकिन रूस से लेकर सारे संसार का मानना है कि मरने वाले चीनी सैनिकों की संख्या इससे भी अधिक थी। वहीं, दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर गलवान में शहीद हुए 20 सैन्य कर्मियों के नाम अंकित किये गये हैं।
हालांकि, गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की क्षति को लेकर चीन के एक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक ट्वीट किया था किन्तु उसमें आंकड़ों का हवाला नहीं दिया गया था।
Four Chinese martyrs at the #GalwanValley conflict in June 2020 with India:
-Battalion commander Chen Hongjun, born in 1987
-Soldier Xiao Siyuan, born in 1996
-Soldier Wang Zhuoran, born in 1996
-Soldier Chen Xiangrong, born in 2001 & died at the age of 19https://t.co/ESXwc0zD5s pic.twitter.com/LtoKcseYXV— Global Times (@globaltimesnews) February 19, 2021
चीन को ही मुंह की खानी पड़ी
बताते चलें कि TFI Post के एक विश्लेषणात्मक अध्ययन के अनुसार कुछ दिनों पहले चीन ने गलवान विवाद को लेकर एक वीडियो जारी किया था। दरअसल, इस वीडियो फुटेज के अनुसार भारत और चीन की सेना के बीच जोरदार झड़प और पत्थरबाजी हुई थी। वीडियो के एक हिस्से में दिखाई दे रहा है कि कैसे कुछ चीनी सैनिक गलवान नदी की तेज धारा में खुद को संभाल नहीं पाए और बह गए। इस वीडियो फुटेज में ये भी दिखाया गया है कि कैसे चीनी सैनिक ऊंचाई वाली जगह से भारतीय जवानों पर पत्थर बरसा रहे हैं, परंतु विपरीत परिस्थितियों में भी भारतीय जवान डटे हुए हैं। वीडियो देखकर यह लग रहा है कि भारतीय जवानों ने बहुत कठिन परिस्थितियों में चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया।
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ऐसे में, ऑस्ट्रेलियाई अख़बार ‘द क्लैक्सन’ ने वास्तविकता पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है, उससे एक बार फिर स्पष्ट होता है कि कैसे गलवान घाटी में 15 जून को भारत नहीं, चीन को ही मुंह की खानी पड़ी थी। आज भी भारत को कभी अपने हताहतों की संख्या स्वीकारने में कोई झिझक नहीं होती और वह सदैव अपने बलिदानी सैनिकों के लिए सर्वोच्च युद्ध सम्मान भी देता है परंतु जिस प्रकार से चीन दुनिया से गलवान घाटी का सच छुपा रहा था, उससे इतना तो स्पष्ट था कि चीन ने इस झड़प में कुछ भी प्राप्त नहीं किया और केवल मुंह की खाकर ही रह गया।