हम भारतीय पूरी दुनिया में छा रहे हैं। दुनिया भी हमारे दमखम का लोहा मानने लगी है और वह जानती है कि 21वीं सदी भारत का युग है। इस परिवर्तन के पीछे आप हैं, आपके वोट की ताकत है, जिसके माध्यम से आप अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं। पहली बार आपने राष्ट्रवादी सरकार चुनी, जिसने राष्ट्र सर्वोपरि का नारा दिया और फिर देखते ही देखते स्थिति बदल गई और आज हम वहां पहुंच चुके हैं, जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। इसीलिए, अब यही दुनिया आपको नीचा दिखाने के लिए आपके द्वारा चुने गए राष्ट्रवादी जनप्रतिनिधियों को झुकाने पर तुली हुई है। इसी कड़ी में अब नया नाम जर्मन मीडिया कंपनी डॉयचे वेले का जुड़ गया है।
डॉयचे वेले (DW) जर्मनी का अंतरराष्ट्रीय प्रसारक है और सबसे सफल और प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स में से एक है। यह 32 भाषाओं में पत्रकारिता सामग्री प्रदान करता है, जिससे दुनिया भर के लोगों को अपनी राय बनाने का अवसर मिलता है। वर्ष 2021 में डॉयचे वेले 289 मिलियन साप्ताहिक यूजर कॉन्टैक्ट्स के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया। इसका सबसे मजबूत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म फेसबुक पर छपे लेख और यूट्यूब हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि आज कल ये मीडिया हाउस क्या छाप रही है? चलिये हम आपको बताते हैं!
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DW का आपत्तिजनक लेख
11 फरवरी 2022 को तनिका गोडबोले द्वारा लिखा गया एक लेख इस पत्रिका ने छापा। लेख का शीर्षक था- क्या एक ‘हिन्दू कट्टरवादी’ भारत का अगला प्रधानमंत्री हो सकता है? लेख का शीर्षक अपने आप में घोर आपत्तिजनक है, उससे भी आपत्तिजनक है उसकी टाइमिंग। यह लेख यूपी में हुए प्रथम चरण के चुनाव के ठीक एक दिन बाद आया है। हो सकता है शायद डॉयचे वेले को प्रथम चरण के चुनाव में सीएम योगी को मिले बढ़त का भान हो गया हो। या ये भी हो सकता है कि इन्हें हिजाब के नाम पर फैलते कट्टरता और हिन्दू एकीकरण के कारण योगी सरकार के पक्ष में जाती जनता का एहसास हो गया हो। क्या पता किशन, रुपेश पांडे और देश में हो रही हिन्दू लिंचिंग की घटना पर पर्दा डालने के उद्देश्य से ये लेख लिखा गया हो।
पर जो भी है हिन्दू कभी कट्टरवादी नहीं हो सकता, खुद राष्ट्रवादी और जनलोकप्रिय नेता योगी आदित्यनाथ ने स्वयं सार्वजनिक मंच से यह स्पष्ट कर दिया है। हां, ये अवश्य है कि ऐसे राष्ट्रवादी नेता ही वैश्विक मंच पर सशक्त भारत की नींव रखते है। अतः डॉयचे वेले ने सोचा हो कि क्यों न अभी से इनकी छवि धूमिल की जाये। और तो और ये मीडिया हाउस योगी आदित्यनाथ को गोकशी और लव जिहाद के खिलाफ उनके स्टैंड के लिए भी कोसता है तथा उन्हें एक धार्मिक कट्टरवादी बताता है। उसके लेख के अनुसार, पीएम मोदी के साथ सीएम योगी के संबंध खराब हैं और राष्ट्रीय स्तर पर उनकी नेता की छवि नहीं है।
योगी राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय नेता हैं
ऐसे में इस मीडिया संस्थान को हम ये संदेश दे दें कि गोकशी भारत के संविधान और राष्ट्र के कानून के विरुद्ध है। आपके देश में यह चलता होगा पर सनातन संस्कृति से सजा भारत कभी भी इसे सामाजिक स्तर पर स्वीकार नहीं करेगा। अतः गोकशी और लव जिहाद के विरुद्ध खड़ा नेता राष्ट्र के कानून के पक्ष में खड़ा एक राष्ट्रवादी नेता है, न कि एक धार्मिक कट्टरवादी। जहां तक रही बात आलाकमान से उनके संबंधों की, तो ये मोदी ही हैं, जिन्होंने यूपी को सीएम योगी दिया और पूरे देश ने ये प्रेम मोदी-योगी के उस वायरल फोटो में भी महसूस किया।
हां, एक बात और। जहां तक सवाल जगहों के नाम बदलने का है, वो तो तब तक निरंतर जारी रहेगा, जब तक हम अपने गौरव को पुनः प्राप्त नहीं कर लेते। अब वो दिन गए जब किसी अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक टुच्चे से लेख से भारतीयों में हीन भावना घर कर जाती थी। रही बात योगी के राष्ट्रीय नेता की, तो डॉयचे वेले (DW) जैसे जर्मनी के अंतरराष्ट्रीय प्रसारक योगी आदित्यनाथ पर लिख कर टीआरपी ले रहे हैं, तो इससे स्वतः सिद्ध होता है कि वो राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नेता हो चुके हैं!
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