घर में नहीं हैं दानें और अम्मा चलीं भुनाने। यह है हमारे देश भारत के एक वर्ग की हालत जो अपने मूल के लोगों को कुछ नहीं समझते हैं और बाकी सभी विदेशी और पश्चिमी घटनाओं को देश और देशवासियों से ऊपर समझते हैं। आज यह स्थिति तब है जब यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग के बीच भारत का एक वर्ग भारत सरकार से यह चाहता है कि वो यूक्रेन के साथ खड़े हों क्योंकि आज वो पीड़ित है, पर असल स्थिति तो यह है कि यूक्रेन में रह रहे, पढ़ रहे भारतीय मूल किए लोगों को यूक्रेन-पोलेंड बॉर्डर पर यूक्रेन की सेना प्रताड़ित कर रही है, साथ ही अब यूक्रेन में “INDIANS NOT ALLOWED” की तख्तियां साफ़ देखी जा सकती हैं पर भारत के उस वर्ग को वह कभी नहीं दिखेगा।
उसे तो बस यह दिखता है कि भारत रूस का साथ देकर यूक्रेन पर हो रही रुसी बर्बरता पर चुप है। सत्य तो यह है कि यह वर्ग नीच और कुंठित मानसिकता से ग्रसित है, उसे बस वो दिखता है जो उसके आका चार चवन्नी देकर दिखा देते हैं।
यूक्रेन-पोलैंड सीमा पर फंसे भारतीय छात्रों की ओर से उनके दर्द की दास्ताँ भारत को मिल रही हैं। जिसमें दावा किया गया है कि यूक्रेन के सुरक्षा कर्मियों द्वारा कथित तौर पर उनके साथ मारपीट की गई और उनके साथ ‘दुर्व्यवहार’ किया गया क्योंकि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की थी। ठंड की स्थिति में 72 घंटे से अधिक समय तक फंसे रहने वाले इन छात्रों में से कई ने आरोप लगाया कि उन्हें लात मारी गई, पीटा गया, घसीटा गया और कुछ से उनके फोन भी छीन लिए गए।
1/ #Indian students trying to leave #Ukraine at the Ukraine – Poland border are getting a beating from Ukrainian police and are not allowed to leave
Not clear why. This is already all over the news in #India
Another video in the second tweet below.pic.twitter.com/KRVoBxrLjd
— Indo-Pacific News – Geo-Politics & Defense (@IndoPac_Info) February 27, 2022
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भारतीयों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार शुरू!
संदीप कौर के अनुसार, यूक्रेनियन पहले कुछ छात्रों को पार करने की अनुमति दे रहे थे लेकिन बाद में उन्हें पोलैंड में प्रवेश करने से रोक दिया। कौर ने इस संवाददाता को बताया, “मैं अपने भाई और अपने कुछ दोस्तों के साथ एक समूह में इंतज़ार कर रही थी। पहले, अधिकारियों ने हमें एक पंक्ति में खड़े होने के लिए कहा और हमने वही किया। बाद में उन्होंने लड़कियों से अलग लाइन बनाने को कहा… फिर उन्होंने मुझे सरहद पार करने दी जबकि मेरा भाई दूसरी तरफ इंतजार कर रहा था। जब मेरे भाई ने कहा कि वह भी कतार में है, तो उन्होंने उसे घसीटा और डंडों से पीटा।”
खाने के मोहताज हो रहे हैं भारतीय-
झांसी के रहने वाले डॉ. एसएस सिंह, जो कि इस समय महोबा के एक राजकीय महाविद्यालय में प्राचार्य हैं, उनका बेटा यूक्रेन में मेडिकल का छात्र है। हजारों अन्य बच्चों की तरह वह भी रोमेनिया बॉर्डर पर फंसा हुआ है। अखिल ने बातचीत में बताया कि उनका लगभग डेढ़ सौ छात्रों का एक ग्रुप बस से रात भर का सफर तय करके रोमानिया पहुंचा। बॉर्डर तक का लगभग 10 किमी का सफर इन लोगों ने पैदल तय किया। यहां सुबह सात बजे बॉर्डर खुला तो केवल 60-70 बच्चे अंदर किए गए और फिर से बॉर्डर बंद हो गया। बताया गया कि शाम को चार-पांच बजे दोबारा खुलेगा। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कोई रोस्टर या शेड्यूल तय नहीं है कि कब कितने बच्चे बॉर्डर से पार किए जाएंगे। अब भी लगभग छह हजार बच्चे फंसे हुए हैं।
अखिल ने बताया कि खाने के लिए बिस्किट या थोड़े-बहुत पैक्ड फूड का इंतजाम तो इन लोगों के पास है लेकिन खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। सबसे खराब बात तो यह है कि अगर कोई भारतीय वहां रेस्टोरेंट में जाकर खाना चाहे तो उसका स्वागत ‘नो इंडियंस अलाउड’ के साइनबोर्ड से हो रहा है।
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लविवि नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी की छात्रा मोनिशा कलबुर्गी के मुताबिक उसके कुछ दोस्त पोलैंड बॉर्डर से लौटे हैं। उन्होंने दावा किया कि यूक्रेनी कर्मी इस बात से नाखुश हैं कि भारत ने रूस का समर्थन किया, उन्होंने कहा कि यह दुर्व्यवहार का कारण था। एक अन्य छात्र ने बताया, ”हम सुबह 4 बजे टर्नोपिल से निकले थे. भारतीय दूतावास ने सूचित किया था कि पोलैंड की सीमा खुली है और हम जा सकते हैं, लेकिन सीमा पर यूक्रेन की सेना ने हमें रोक दिया। तापमान तीन डिग्री है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। जब हमने पोलिश दूतावास को फोन किया, तो उन्होंने हमें कीव दूतावास को फोन करने के लिए कहा, जिसने हमें पोलिश दूतावास के साथ समन्वय करने के लिए कहा।”
1/ #Indian students trying to leave #Ukraine at the Ukraine – Poland border are getting a beating from Ukrainian police and are not allowed to leave
Not clear why. This is already all over the news in #India
Another video in the second tweet below.pic.twitter.com/KRVoBxrLjd
— Indo-Pacific News – Geo-Politics & Defense (@IndoPac_Info) February 27, 2022
जिस प्रकार आज भारतीय होने के बाद भी भारत का एक वर्ग यूक्रेन की इस नीच हरकत पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है, उससे यह साबित होता है कि कितने पाखंडी हैं कुछ भारतीय। उनके अनुसार भारत से जुड़े और उसके मैत्री देश ही दोषी हैं और जिसके कारण भारत भी उनकी नज़रों में आरोपी है। जाहिलपन की हद तब है जब इतनी क्रूर वीडियो वायरल होने के बाद भी इस वर्ग का दिल नहीं पसीजा और आज भी उसे यूक्रेन और उसकी सेना पर हुए अत्याचार दिख रहे हैं, भारतीयों पर हो रही बर्बरता नहीं। गालियां खा लेंगे पर भारत का होने में इस कट्टरपंथ के बीज से उपजे तुच्छ लोग, कभी भारतीयता अपनाएंगे नहीं।
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यही यूक्रेन है जिसने कश्मीर मामले पर पाकिस्तान का साथ दिया था।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का खुलकर विरोध किया था।
ऐसे राष्ट्र के मामले में भारत ने तटस्थ रहकर अच्छा काम किया है।